जिले में आगामी 22 से 25 अगस्त तक मिशन परिवार विकास के तहत सरकार की ओर से परिवार नियोजन को सशक्त बनाने को लेकर परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत अस्थायी सेवाओं को शत प्रतिशत लागू करने के लिए जिले के सभी सरपंचों के लिए एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से किया जाएगा। इस संबंध में जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने कहा कि जनप्रतिनिधियों के सहयोग से परिवार विकास अभियान को मजबूती मिलेगी। जिलाधिकारी ने जिले के सभी सरपंचों को कार्यक्रम में भाग लेने की अपील करते हुए कहा कि परिवार नियोजन व्यक्ति और समाज दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। क्योंकि कम बच्चों पर व्यक्ति उनका अच्छे से पालन-पोषण कर सकेगा जो आगे अच्छे नागरिक बनेंगे। जिसके कारण समाज उन्नत बन सकेगा तथा समाज का स्तर ऊपर उठेगा। इस कार्यक्रम को समुदाय एवं स्थानीय स्तर के पंचायत जनप्रतिधियों की सहभागिता से ही प्रभावी रूप में लागू करने पर देश का आर्थिक रूप से तीव्र विकास संभव है। गरीबी, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता को कम किया जा सकता है। विकसित भारत की कल्पना कर सकते हैं। इसीलिए सभी जनप्रतिनिधियों से अपील है कि आगामी 22 अगस्त को किशनगंज एवं पोठिया प्रखंड के सरपंचों का सिविल सर्जन कार्यालय में, 23 अगस्त को बहादुरगंज एवं दिघल्बेंक के सरपंचों का बहादुरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में, 24 अगस्त को टेढागाछ एवं कोचाधामन प्रखंड के सरपंचों का कोचाधामन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं 25 अगस्त को ठाकुरगंज प्रखंड के सरपंचों का ठाकुरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आयोजित उन्मुखीकरण कार्यक्रम में अपनी सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए।
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने के बारे में समुदाय में फैली भ्रांतियों को दूर करने की आवश्यकता है। जिसमें जनप्रतिनिधियों की भूमिका अहम मानी जाती है। परिवार नियोजन में अस्थायी रूप से नवीन गर्भनिरोधक अंतरा एवं छाया को महिलाओं के द्वारा सहजता से स्वीकार किया जा रहा है। परिवार नियोजन से संबंधित उपायों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। उन्होंने बताया कि हाल ही में जारी किए गए शोध के अनुसार परिवार नियोजन की सेवाओं को सुलभ बनाकर अनचाहे गर्भ के मामले में 70 फीसदी, मातृत्व मृत्यु दर में 67 फीसदी, नवजात मृत्यु दर में 77 फीसदी व प्रसव संबंधी जटिलता के मामलों में दो तिहाई तक कमी लाई जा सकती है। जिला योजना समन्वयक सह नोडल पदाधिकारी ने बताया कि केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कुल प्रजनन दर, प्रति महिला बच्चों की कुल संख्या में कमी, आधुनिक गर्भनिरोधों के उपयोग को बढ़ाने, गर्भनिरोधक साधनों की सामुदायिक स्तर पर पहुंच सुनिश्चित करने एवं परिवार नियोजन के प्रति जन-जागरूकता को बढ़ाने के लिए उच्च कुल प्रजनन दर की सूची में शामिल बिहार में मिशन परिवार विकास की शुरुआत की गयी है। डीडीए सुमन सिन्हा ने बताया कि अस्थायी साधनों के इस्तेमाल से परिवार नियोजन में मदद मिलती है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। इसलिए अस्थायी साधनों के इस्तेमाल में किसी तरह का संकोच नहीं करें। कंडोम, कॉपर-टी, अंतरा का उपयोग कर परिवार नियोजन करें। महिलाओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पहला बच्चा 20 साल की उम्र के बाद ही पैदा करें। साथ ही दूसरे बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल जरूर रखें। इससे जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहता है। साथ ही बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। जिससे वह भविष्य में होने वाली किसी भी बीमारी से लड़ने में सक्षम होता है। दो बच्चे हो जाने के बाद महिला बंध्याकरण या फिर पुरुष नसबंदी करा सकते हैं। जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ मुनाजिम ने बताया बच्चों में 3 से 5 वर्षो का अंतराल रखने के लिए महिलाओं को पूरी तरह से स्वस्थ होना लाज़िमी है क्योंकि जब तक महिलाएं स्वस्थ नहीं रहेगी, तब तक बच्चे का लालन पालन ठीक से नहीं कर पाएगी। अंतराल के बाद तंदरुस्त मां एक तंदरुस्त बच्चे को जन्म देगी। जिससे प्रसूता एवं नवजात शिशुओं में जोखिम की संभावना काफी कम हो जाती है।
सारस न्यूज, किशनगंज।
जिले में आगामी 22 से 25 अगस्त तक मिशन परिवार विकास के तहत सरकार की ओर से परिवार नियोजन को सशक्त बनाने को लेकर परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत अस्थायी सेवाओं को शत प्रतिशत लागू करने के लिए जिले के सभी सरपंचों के लिए एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से किया जाएगा। इस संबंध में जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने कहा कि जनप्रतिनिधियों के सहयोग से परिवार विकास अभियान को मजबूती मिलेगी। जिलाधिकारी ने जिले के सभी सरपंचों को कार्यक्रम में भाग लेने की अपील करते हुए कहा कि परिवार नियोजन व्यक्ति और समाज दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। क्योंकि कम बच्चों पर व्यक्ति उनका अच्छे से पालन-पोषण कर सकेगा जो आगे अच्छे नागरिक बनेंगे। जिसके कारण समाज उन्नत बन सकेगा तथा समाज का स्तर ऊपर उठेगा। इस कार्यक्रम को समुदाय एवं स्थानीय स्तर के पंचायत जनप्रतिधियों की सहभागिता से ही प्रभावी रूप में लागू करने पर देश का आर्थिक रूप से तीव्र विकास संभव है। गरीबी, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता को कम किया जा सकता है। विकसित भारत की कल्पना कर सकते हैं। इसीलिए सभी जनप्रतिनिधियों से अपील है कि आगामी 22 अगस्त को किशनगंज एवं पोठिया प्रखंड के सरपंचों का सिविल सर्जन कार्यालय में, 23 अगस्त को बहादुरगंज एवं दिघल्बेंक के सरपंचों का बहादुरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में, 24 अगस्त को टेढागाछ एवं कोचाधामन प्रखंड के सरपंचों का कोचाधामन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं 25 अगस्त को ठाकुरगंज प्रखंड के सरपंचों का ठाकुरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आयोजित उन्मुखीकरण कार्यक्रम में अपनी सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए।
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने के बारे में समुदाय में फैली भ्रांतियों को दूर करने की आवश्यकता है। जिसमें जनप्रतिनिधियों की भूमिका अहम मानी जाती है। परिवार नियोजन में अस्थायी रूप से नवीन गर्भनिरोधक अंतरा एवं छाया को महिलाओं के द्वारा सहजता से स्वीकार किया जा रहा है। परिवार नियोजन से संबंधित उपायों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। उन्होंने बताया कि हाल ही में जारी किए गए शोध के अनुसार परिवार नियोजन की सेवाओं को सुलभ बनाकर अनचाहे गर्भ के मामले में 70 फीसदी, मातृत्व मृत्यु दर में 67 फीसदी, नवजात मृत्यु दर में 77 फीसदी व प्रसव संबंधी जटिलता के मामलों में दो तिहाई तक कमी लाई जा सकती है। जिला योजना समन्वयक सह नोडल पदाधिकारी ने बताया कि केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कुल प्रजनन दर, प्रति महिला बच्चों की कुल संख्या में कमी, आधुनिक गर्भनिरोधों के उपयोग को बढ़ाने, गर्भनिरोधक साधनों की सामुदायिक स्तर पर पहुंच सुनिश्चित करने एवं परिवार नियोजन के प्रति जन-जागरूकता को बढ़ाने के लिए उच्च कुल प्रजनन दर की सूची में शामिल बिहार में मिशन परिवार विकास की शुरुआत की गयी है। डीडीए सुमन सिन्हा ने बताया कि अस्थायी साधनों के इस्तेमाल से परिवार नियोजन में मदद मिलती है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। इसलिए अस्थायी साधनों के इस्तेमाल में किसी तरह का संकोच नहीं करें। कंडोम, कॉपर-टी, अंतरा का उपयोग कर परिवार नियोजन करें। महिलाओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पहला बच्चा 20 साल की उम्र के बाद ही पैदा करें। साथ ही दूसरे बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल जरूर रखें। इससे जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहता है। साथ ही बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। जिससे वह भविष्य में होने वाली किसी भी बीमारी से लड़ने में सक्षम होता है। दो बच्चे हो जाने के बाद महिला बंध्याकरण या फिर पुरुष नसबंदी करा सकते हैं। जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ मुनाजिम ने बताया बच्चों में 3 से 5 वर्षो का अंतराल रखने के लिए महिलाओं को पूरी तरह से स्वस्थ होना लाज़िमी है क्योंकि जब तक महिलाएं स्वस्थ नहीं रहेगी, तब तक बच्चे का लालन पालन ठीक से नहीं कर पाएगी। अंतराल के बाद तंदरुस्त मां एक तंदरुस्त बच्चे को जन्म देगी। जिससे प्रसूता एवं नवजात शिशुओं में जोखिम की संभावना काफी कम हो जाती है।
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