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किशनगंज मात्स्यिकी महाविद्यालय के 17 विद्यार्थि अखिल भारतीय प्रतियोगिता परीक्षा में हुए उत्तीर्ण, आईसीएआर के प्रतिष्ठित संस्थानों में किया गया चयन।


सारस न्यूज, किशनगंज।


सीमांचल क्षेत्र के किशनगंज जिले के डॉ कलाम कृषि महाविद्यालय अर्राबाड़ी के प्रांगण में स्थित मात्स्यिकी महाविद्यालय, किशनगंज ने एकबार फिर से राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा आयोजित अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षा में कुल 17 विद्यार्थियों के सफल परिणाम के साथ-साथ देश भर में अपने राज्य का नाम रौशन किया है।
उक्त बातों की जानकारी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ वी पी सैनी ने देते हुए बताया कि
इस वर्ष 2023 में अखिल भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् के राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा आयोजित अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षा (पीजी) में महाविद्यालय के इस सत्र से कुल 27 विद्यार्थयों ने भाग लिया था जिनमें कुल 17 विद्यार्थयों की सफलता के साथ-साथ महाविद्यालय ने अपने क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षा (पीजी) में उत्तीर्ण कुल 17 विद्यार्थियों में से 8 छात्र- छ्त्राओं का चयन देश की प्रतिष्ठित केंद्रीय मात्स्यिकी विश्वविद्यालय संस्थान, मुंबई में हुआ एवं अन्य छात्रों का चयन देश के अन्य विभिन्न प्रतिष्ठित महाविद्यालयों में हुआ जो कि इस क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है।
उन्होंने बताया कि मात्स्यिकी महाविद्यालय के सफल अभ्यर्थियों एवं उनके द्वारा प्राप्त ऑल इंडिया रैंकिंग के आधार पर क्रमशः शशांक कुमार सिन्हा, वीरेंद्र कुमार, आर्या कुमारी, बरखा अस्थाना, वर्तिका प्रिया, आकांक्षा कुमारी, निधि गुप्ता, अंजली कुमारी, सृष्टि कुमारी, निशांत कुमार, राज प्रिया, दीपाली राज, श्रुति कुमारी, रौशनी कुमारी, प्रशांत राज, नूतन कुमारी एवं सृष्टि कुमारी ने सफलता पाई है।
ज्ञात हो की पिछले वर्ष 2022 में आयोजित अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षा में कुल 12 विद्यार्थियों के सफल परिणाम आये थे जिसमें 6 विद्यार्थियों का चयन अखिल भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् (आईसीएआर ) की प्रतिष्ठित केंद्रीय मात्स्यिकी विश्वविद्यालय संस्थान, मुंबई में हुआ। अपने इसी सफलता के क्रम को दुहराते हुए फिर से एक बार किशनगंज क्षेत्र स्थित मात्स्यिकी महाविद्यालय ने यह साबित किया है कि बिहार राज्य के बच्चे प्रतिभा के मामले में कहीं से भी कमतर नहीं हैं एवं संस्थान आने वाले समय में मात्स्यिकी प्रक्षेत्र के मानव संसाधन विकास में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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