लंबे समय से निर्माणाधीन भारत-नेपाल सीमा सड़क का 80 प्रतिशत हिस्सा वर्ष 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है। शेष 20 प्रतिशत कार्य 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा। यही लक्ष्य मानकर तेजी से निर्माण कराया जा रहा है। हालांकि, अब तक सिर्फ 226 किलोमीटर सड़क का निर्माण ही पूरा हुआ है। बिहार में कुल 552 किलोमीटर लंबी सड़क बननी है। सीमा की सुरक्षा और लोगों के बेहतर आवागमन को ध्यान में रखते हुए इस सड़क का निर्माण कराया जा रहा है।
पथ निर्माण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मिट्टी भराई का काम चल रहा था, जिस कारण निर्माण कार्य धीमा रहा। 426 किलोमीटर में मिट्टी भराई का कार्य पूरा कर लिया गया है। इससे निर्माण कार्य में अब तेजी आएगी। बिहार में सात जिलों पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज से यह सड़क गुजरती है। मालूम हो कि भारत-नेपाल सीमा सड़क की स्वीकृति वर्ष 2010 में मिली थी। वर्ष 2012- 13 में इसका निर्माण शुरू हुआ। अब-तक सड़क के निर्माण पर 1280 करोड़ खर्च किया जा जुका है। निर्माण का खर्च भारत सरकार दे रही है। वहीं, इस सड़क के लिए भू-अर्जन, पोल आदि का हस्तांतरण, फॉरेस्ट क्लीयरेंस और 121 उच्चस्तरीय पुलों का निर्माण राज्य सरकार के निधि से किया जा रहा है। इनमें 119 उच्च स्तरीय पुलों का निर्माण पूरा कर लिया गया है। यह सड़क सात मीटर चौड़ी है। साथ ही दोनों ओर ढाई-ढाई मीटर के फुटपाथ भी होंगे।
भारत-नेपाल सीमा सड़क सामरिक दृष्टि से काफी अहम है। इसका निर्माण होने से सीमा पार शस्त्र, नशीले पदार्थों आदि की तस्करी पर प्रभावी नियंत्रण हो सकेगा। साथ ही, सीमावर्त्ती इलाकों में यातायात की सुविधा बेहतर होगी। इसके अलावा सड़क के आस-पास के क्षेत्र में आर्थिक एवं सामाजिक विकास होगा। नये बाजार भी बनेंगे। रोजगार भी बढ़ेंगे। मालूम हो कि सीमा पर खेत के रास्ते भी भारत और नेपाल में लोग आवाजाही करते हैं। इससे तस्करी की आशंका बनी रहती है। सड़क का निर्माण होने से भारत-नेपाल सीमाम पर निगरानी भी बेहतर ढंग से हो सकेगी। इसके अलावा बाढ़ आने पर बचाव और राहत कार्य चलाने में भी सुविधा होगी। पश्चिम चंपारण में मदनपुर से शुरू होकर पूर्वी चंपारण के रक्सौल, सीतामढ़ी के बैरगनिया, मधुबनी के जयनगर, सुपौल में बीरपुर, अररिया में सिकटी होते हुए किशनगंज में गलगलिया तक जाएगी। अब तक पश्चिम चंपारण में 07 किमी, पूर्वी चंपारण में 15 किमी, सीतामढ़ी में 05 किमी, मधुबनी में 24 किमी, सुपौल में 41 किमी, अररिया में 94 किमी एवं किशनगंज में 40 किमी लंबी सड़क बनी है।
सारस न्यूज, किशनगंज।
लंबे समय से निर्माणाधीन भारत-नेपाल सीमा सड़क का 80 प्रतिशत हिस्सा वर्ष 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है। शेष 20 प्रतिशत कार्य 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा। यही लक्ष्य मानकर तेजी से निर्माण कराया जा रहा है। हालांकि, अब तक सिर्फ 226 किलोमीटर सड़क का निर्माण ही पूरा हुआ है। बिहार में कुल 552 किलोमीटर लंबी सड़क बननी है। सीमा की सुरक्षा और लोगों के बेहतर आवागमन को ध्यान में रखते हुए इस सड़क का निर्माण कराया जा रहा है।
पथ निर्माण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मिट्टी भराई का काम चल रहा था, जिस कारण निर्माण कार्य धीमा रहा। 426 किलोमीटर में मिट्टी भराई का कार्य पूरा कर लिया गया है। इससे निर्माण कार्य में अब तेजी आएगी। बिहार में सात जिलों पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज से यह सड़क गुजरती है। मालूम हो कि भारत-नेपाल सीमा सड़क की स्वीकृति वर्ष 2010 में मिली थी। वर्ष 2012- 13 में इसका निर्माण शुरू हुआ। अब-तक सड़क के निर्माण पर 1280 करोड़ खर्च किया जा जुका है। निर्माण का खर्च भारत सरकार दे रही है। वहीं, इस सड़क के लिए भू-अर्जन, पोल आदि का हस्तांतरण, फॉरेस्ट क्लीयरेंस और 121 उच्चस्तरीय पुलों का निर्माण राज्य सरकार के निधि से किया जा रहा है। इनमें 119 उच्च स्तरीय पुलों का निर्माण पूरा कर लिया गया है। यह सड़क सात मीटर चौड़ी है। साथ ही दोनों ओर ढाई-ढाई मीटर के फुटपाथ भी होंगे।
भारत-नेपाल सीमा सड़क सामरिक दृष्टि से काफी अहम है। इसका निर्माण होने से सीमा पार शस्त्र, नशीले पदार्थों आदि की तस्करी पर प्रभावी नियंत्रण हो सकेगा। साथ ही, सीमावर्त्ती इलाकों में यातायात की सुविधा बेहतर होगी। इसके अलावा सड़क के आस-पास के क्षेत्र में आर्थिक एवं सामाजिक विकास होगा। नये बाजार भी बनेंगे। रोजगार भी बढ़ेंगे। मालूम हो कि सीमा पर खेत के रास्ते भी भारत और नेपाल में लोग आवाजाही करते हैं। इससे तस्करी की आशंका बनी रहती है। सड़क का निर्माण होने से भारत-नेपाल सीमाम पर निगरानी भी बेहतर ढंग से हो सकेगी। इसके अलावा बाढ़ आने पर बचाव और राहत कार्य चलाने में भी सुविधा होगी। पश्चिम चंपारण में मदनपुर से शुरू होकर पूर्वी चंपारण के रक्सौल, सीतामढ़ी के बैरगनिया, मधुबनी के जयनगर, सुपौल में बीरपुर, अररिया में सिकटी होते हुए किशनगंज में गलगलिया तक जाएगी। अब तक पश्चिम चंपारण में 07 किमी, पूर्वी चंपारण में 15 किमी, सीतामढ़ी में 05 किमी, मधुबनी में 24 किमी, सुपौल में 41 किमी, अररिया में 94 किमी एवं किशनगंज में 40 किमी लंबी सड़क बनी है।
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