महंगाई आसमान छू रही है। विगत दो महीनों में यह और बढ़ गई। घी, दाल, तेल, दूध के बाद अब आटा, चावल और दाल के दाम भी बढ़े हैं। जुलाई व अगस्त महीने में आटा और चावल के भाव कई बार बढ़े। दो माह पूर्व जो आटा 26 से 28 रुपए प्रति किलोग्राम था। वह बढ़कर 33 से 35 रुपए प्रति किलोग्राम हो गया है। वहीं 28 रुपए किलो मिलने वाला मोटा उसना चावल 35 से 38 रुपए प्रति किलो हो गया है। दाल की कीमत में भी लगभग 20 रुपए प्रति किलोग्राम उछाल आया है।
इससे लोगों का घरेलू बजट बिगड़ने लगा है। एक छोटे परिवार का भी मासिक खर्च कम से कम 500 से 1000 रुपये बढ़ गया है। 18 जुलाई को जीएसटी के नये प्राविधान को लागू किया गया था। इसके साथ ही आटा-चावल का भाव बढ़ना शुरू हो गया था। थोक विक्रेताओं की मानें तो जीएसटी के नए प्रावधान लागू होने के साथ-साथ बारिश की कमी के कारण फसल की पैदावार में आई गिरावट भी कीमतों की वृद्धि का मुख्य कारण है।
बारिश में कमी आने के कारण इस बार धान उत्पादन पर असर पड़ेगा। इसी संभावना की वजह से बाजार में चावल के भाव तेज हो रहे है। इसका खामियाजा मध्यम वर्गीय परिवारों को भुगतना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि तेल, रिफांइड के दाम बढ़ने पर फिर भी कटौती कर के किसी तरह काम चला ले रहे थे। लेकिन अब आटा-चावल के दाम में भी बढ़ोतरी होने लगी है। उसमें कैसे कटौती करें।
सारस न्यूज टीम, किशनगंज।
महंगाई आसमान छू रही है। विगत दो महीनों में यह और बढ़ गई। घी, दाल, तेल, दूध के बाद अब आटा, चावल और दाल के दाम भी बढ़े हैं। जुलाई व अगस्त महीने में आटा और चावल के भाव कई बार बढ़े। दो माह पूर्व जो आटा 26 से 28 रुपए प्रति किलोग्राम था। वह बढ़कर 33 से 35 रुपए प्रति किलोग्राम हो गया है। वहीं 28 रुपए किलो मिलने वाला मोटा उसना चावल 35 से 38 रुपए प्रति किलो हो गया है। दाल की कीमत में भी लगभग 20 रुपए प्रति किलोग्राम उछाल आया है।
इससे लोगों का घरेलू बजट बिगड़ने लगा है। एक छोटे परिवार का भी मासिक खर्च कम से कम 500 से 1000 रुपये बढ़ गया है। 18 जुलाई को जीएसटी के नये प्राविधान को लागू किया गया था। इसके साथ ही आटा-चावल का भाव बढ़ना शुरू हो गया था। थोक विक्रेताओं की मानें तो जीएसटी के नए प्रावधान लागू होने के साथ-साथ बारिश की कमी के कारण फसल की पैदावार में आई गिरावट भी कीमतों की वृद्धि का मुख्य कारण है।
बारिश में कमी आने के कारण इस बार धान उत्पादन पर असर पड़ेगा। इसी संभावना की वजह से बाजार में चावल के भाव तेज हो रहे है। इसका खामियाजा मध्यम वर्गीय परिवारों को भुगतना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि तेल, रिफांइड के दाम बढ़ने पर फिर भी कटौती कर के किसी तरह काम चला ले रहे थे। लेकिन अब आटा-चावल के दाम में भी बढ़ोतरी होने लगी है। उसमें कैसे कटौती करें।
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