किशनगंज। एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत किशनगंज जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड में आज 247 शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को एनीमिया की समस्या, इसके समाधान, और स्वास्थ्य जागरूकता के महत्व से परिचित कराना था। इस कार्यक्रम में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, और स्वास्थ्य विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया, जिससे कार्यक्रम और अधिक प्रभावी बन गया।
यह प्रशिक्षण न केवल बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार का लक्ष्य रखता है, बल्कि किशनगंज जिले को एनीमिया मुक्त बनाने के अभियान को एक सशक्त दिशा प्रदान करता है।
एनीमिया: एक गंभीर चुनौती
भारत में एनीमिया एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है, विशेष रूप से बच्चों और किशोरों में। यह तब होता है जब शरीर में आयरन और हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। इसके कारण कमजोरी, थकान, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। एनीमिया का प्रभाव बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उनकी पढ़ाई और मानसिक विकास पर भी गहरा प्रभाव डालता है।
शिक्षक समाज के मार्गदर्शक हैं
किशनगंज के सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा: “शिक्षक समाज के मार्गदर्शक होते हैं। उनकी भूमिका न केवल बच्चों को शिक्षित करने तक सीमित है, बल्कि उनके समग्र विकास में भी अहम है। एनीमिया जैसी समस्या से निपटने के लिए शिक्षकों को जागरूक करना बेहद आवश्यक है। इस प्रशिक्षण के माध्यम से, वे बच्चों और उनके अभिभावकों को सही पोषण, आयरन युक्त आहार, और नियमित स्वास्थ्य जांच के महत्व के बारे में जागरूक कर पाएंगे। यह कदम किशनगंज को एनीमिया मुक्त बनाने में निर्णायक साबित होगा।”
बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कुंजी
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा: “एनीमिया मुक्त भारत अभियान हमारे बच्चों के स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य की कुंजी है। यह पहल समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने का आह्वान करती है। शिक्षकों का इसमें अहम योगदान होगा क्योंकि वे बच्चों और उनके परिवारों तक स्वास्थ्य जागरूकता पहुंचा सकते हैं। मैं सभी शिक्षकों से अनुरोध करता हूं कि वे इस प्रशिक्षण का पूरा लाभ उठाएं और इसे अपने स्कूलों और समुदायों में लागू करें।”
प्रशिक्षण कार्यक्रम की विशेषताएं
कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों को निम्नलिखित जानकारी दी गई:
एनीमिया के लक्षण, कारण और रोकथाम के उपाय।
आयरन फोलिक एसिड की गोलियों के महत्व पर चर्चा।
संतुलित और पौष्टिक आहार की आवश्यकता।
नियमित स्वास्थ्य जांच और स्वच्छता का महत्व।
टेढ़ागाछ प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने कहा कि स्कूलों में पोषण जागरूकता कार्यक्रम शुरू करना और बच्चों में स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देना एनीमिया को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है।
शिक्षकों की भूमिका
प्रशिक्षण के बाद, शिक्षकों ने इस पहल की सराहना की। उन्होंने इसे ज्ञानवर्धक और बच्चों के स्वास्थ्य एवं भविष्य के लिए एक आवश्यक कदम बताया। शिक्षकों ने आश्वासन दिया कि वे इस जानकारी को न केवल बच्चों बल्कि उनके अभिभावकों तक भी पहुंचाएंगे।
समाज के लिए संदेश
स्वास्थ्य विभाग ने अभिभावकों और समाज के सभी व्यक्तियों से अपील की कि वे बच्चों के खानपान और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें। हरी सब्जियां, फल, दालें, और आयरन युक्त भोजन को आहार में शामिल करें। इसके साथ ही, बच्चों को नियमित रूप से आयरन फोलिक एसिड की गोलियां दें और समय-समय पर उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराएं।
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि किशनगंज जिले में 247 शिक्षकों को प्रशिक्षण देना न केवल एनीमिया मुक्त भारत अभियान को गति देगा, बल्कि बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य में सुधार लाने का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग का यह समन्वित प्रयास पूरे राज्य के लिए प्रेरणा बनेगा और बच्चों के स्वस्थ एवं सशक्त भविष्य की दिशा में एक मजबूत कदम होगा।
राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।
किशनगंज। एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत किशनगंज जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड में आज 247 शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को एनीमिया की समस्या, इसके समाधान, और स्वास्थ्य जागरूकता के महत्व से परिचित कराना था। इस कार्यक्रम में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, और स्वास्थ्य विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया, जिससे कार्यक्रम और अधिक प्रभावी बन गया।
यह प्रशिक्षण न केवल बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार का लक्ष्य रखता है, बल्कि किशनगंज जिले को एनीमिया मुक्त बनाने के अभियान को एक सशक्त दिशा प्रदान करता है।
एनीमिया: एक गंभीर चुनौती
भारत में एनीमिया एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है, विशेष रूप से बच्चों और किशोरों में। यह तब होता है जब शरीर में आयरन और हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। इसके कारण कमजोरी, थकान, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। एनीमिया का प्रभाव बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उनकी पढ़ाई और मानसिक विकास पर भी गहरा प्रभाव डालता है।
शिक्षक समाज के मार्गदर्शक हैं
किशनगंज के सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा: “शिक्षक समाज के मार्गदर्शक होते हैं। उनकी भूमिका न केवल बच्चों को शिक्षित करने तक सीमित है, बल्कि उनके समग्र विकास में भी अहम है। एनीमिया जैसी समस्या से निपटने के लिए शिक्षकों को जागरूक करना बेहद आवश्यक है। इस प्रशिक्षण के माध्यम से, वे बच्चों और उनके अभिभावकों को सही पोषण, आयरन युक्त आहार, और नियमित स्वास्थ्य जांच के महत्व के बारे में जागरूक कर पाएंगे। यह कदम किशनगंज को एनीमिया मुक्त बनाने में निर्णायक साबित होगा।”
बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कुंजी
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा: “एनीमिया मुक्त भारत अभियान हमारे बच्चों के स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य की कुंजी है। यह पहल समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने का आह्वान करती है। शिक्षकों का इसमें अहम योगदान होगा क्योंकि वे बच्चों और उनके परिवारों तक स्वास्थ्य जागरूकता पहुंचा सकते हैं। मैं सभी शिक्षकों से अनुरोध करता हूं कि वे इस प्रशिक्षण का पूरा लाभ उठाएं और इसे अपने स्कूलों और समुदायों में लागू करें।”
प्रशिक्षण कार्यक्रम की विशेषताएं
कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों को निम्नलिखित जानकारी दी गई:
एनीमिया के लक्षण, कारण और रोकथाम के उपाय।
आयरन फोलिक एसिड की गोलियों के महत्व पर चर्चा।
संतुलित और पौष्टिक आहार की आवश्यकता।
नियमित स्वास्थ्य जांच और स्वच्छता का महत्व।
टेढ़ागाछ प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने कहा कि स्कूलों में पोषण जागरूकता कार्यक्रम शुरू करना और बच्चों में स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देना एनीमिया को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है।
शिक्षकों की भूमिका
प्रशिक्षण के बाद, शिक्षकों ने इस पहल की सराहना की। उन्होंने इसे ज्ञानवर्धक और बच्चों के स्वास्थ्य एवं भविष्य के लिए एक आवश्यक कदम बताया। शिक्षकों ने आश्वासन दिया कि वे इस जानकारी को न केवल बच्चों बल्कि उनके अभिभावकों तक भी पहुंचाएंगे।
समाज के लिए संदेश
स्वास्थ्य विभाग ने अभिभावकों और समाज के सभी व्यक्तियों से अपील की कि वे बच्चों के खानपान और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें। हरी सब्जियां, फल, दालें, और आयरन युक्त भोजन को आहार में शामिल करें। इसके साथ ही, बच्चों को नियमित रूप से आयरन फोलिक एसिड की गोलियां दें और समय-समय पर उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराएं।
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि किशनगंज जिले में 247 शिक्षकों को प्रशिक्षण देना न केवल एनीमिया मुक्त भारत अभियान को गति देगा, बल्कि बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य में सुधार लाने का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग का यह समन्वित प्रयास पूरे राज्य के लिए प्रेरणा बनेगा और बच्चों के स्वस्थ एवं सशक्त भविष्य की दिशा में एक मजबूत कदम होगा।
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