शिशुओं की साफ-सफाई और बेहतर स्वास्थ्य का रख रहीं ख्याल।
जिले में एचबीएनसी (होम बेस्ड न्यू बॉर्न केयर) कार्यक्रम के तहत नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर जन्म के पहले 42 दिनों तक शिशुओं की देखभाल और निगरानी कर रही हैं। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों के पोषण को सुधारना, उनका समुचित विकास सुनिश्चित करना, और डायरिया व निमोनिया जैसी बीमारियों से होने वाली मौतों को रोकना है। आशा कार्यकर्ता माताओं को शुरुआती छह माह तक केवल स्तनपान कराने, बच्चे को छूने से पहले हाथ धोने, और संभावित बीमारियों के लक्षणों को पहचानने जैसे उपायों की जानकारी दे रही हैं।
आशा कार्यकर्ताओं द्वारा छह बार विजिट
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि शिशु के जन्म के बाद आशा कार्यकर्ता छह बार विजिट करती हैं। ये विजिट 1वें, 3वें, 7वें, 14वें, 21वें, 28वें, और 42वें दिन होती हैं। इस दौरान बच्चे के पोषण, स्तनपान, और स्वास्थ्य की जांच की जाती है। साथ ही, माताओं को बताया जाता है कि छह माह तक केवल मां का दूध दिया जाए और पानी या अन्य आहार से बचा जाए।
एमसीपी कार्ड से निगरानी और विशेष देखभाल
एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत आशा कार्यकर्ता एमसीपी (मदर एंड चाइल्ड प्रोटेक्शन) कार्ड के माध्यम से बच्चों के विकास की निगरानी कर रही हैं। कम वजन वाले नवजात शिशुओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा तैयार किए गए वृद्धि एवं विकास निगरानी चार्ट के आधार पर बच्चों की आयु के अनुसार वजन और लंबाई दर्ज की जाती है। आशा कार्यकर्ता टीकाकरण का लेखा-जोखा भी रखती हैं और बीमारी की स्थिति में समुचित चिकित्सा सुविधा लेने की सलाह देती हैं।
माताओं और परिवारों को दी जा रही जानकारी
बच्चे को गर्म रखना: बच्चे के सिर और पैरों को हमेशा ढका रखना और कमरे का तापमान संतुलित रखना।
नाल को सूखा रखना: नाल पर कोई क्रीम या तेल न लगाएं और शौच के बाद हाथ धोना सुनिश्चित करें।
खतरों के संकेत पहचानना: बच्चे का सुस्त होना, सांस लेने में दिक्कत, शरीर का अत्यधिक गर्म या ठंडा होना।
नवजात देखभाल पर जागरूकता
सिविल सर्जन ने बताया कि नवजात देखभाल सप्ताह के दौरान समुदाय और स्वास्थ्य केंद्रों पर शिशु देखभाल से जुड़े विषयों पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। जन्म के एक घंटे के भीतर शिशु को स्तनपान कराने और छह माह तक केवल स्तनपान जारी रखने पर जोर दिया जाएगा।
आशा कार्यकर्ताओं की यह पहल न केवल बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार ला रही है, बल्कि माताओं को उनके अधिकार और कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक कर रही है।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
माताओं को स्तनपान के प्रति जागरूक कर रहीं।
एमसीपी कार्ड के माध्यम से बच्चों के विकास पर नजर।
शिशुओं की साफ-सफाई और बेहतर स्वास्थ्य का रख रहीं ख्याल।
जिले में एचबीएनसी (होम बेस्ड न्यू बॉर्न केयर) कार्यक्रम के तहत नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर जन्म के पहले 42 दिनों तक शिशुओं की देखभाल और निगरानी कर रही हैं। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों के पोषण को सुधारना, उनका समुचित विकास सुनिश्चित करना, और डायरिया व निमोनिया जैसी बीमारियों से होने वाली मौतों को रोकना है। आशा कार्यकर्ता माताओं को शुरुआती छह माह तक केवल स्तनपान कराने, बच्चे को छूने से पहले हाथ धोने, और संभावित बीमारियों के लक्षणों को पहचानने जैसे उपायों की जानकारी दे रही हैं।
आशा कार्यकर्ताओं द्वारा छह बार विजिट
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि शिशु के जन्म के बाद आशा कार्यकर्ता छह बार विजिट करती हैं। ये विजिट 1वें, 3वें, 7वें, 14वें, 21वें, 28वें, और 42वें दिन होती हैं। इस दौरान बच्चे के पोषण, स्तनपान, और स्वास्थ्य की जांच की जाती है। साथ ही, माताओं को बताया जाता है कि छह माह तक केवल मां का दूध दिया जाए और पानी या अन्य आहार से बचा जाए।
एमसीपी कार्ड से निगरानी और विशेष देखभाल
एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत आशा कार्यकर्ता एमसीपी (मदर एंड चाइल्ड प्रोटेक्शन) कार्ड के माध्यम से बच्चों के विकास की निगरानी कर रही हैं। कम वजन वाले नवजात शिशुओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा तैयार किए गए वृद्धि एवं विकास निगरानी चार्ट के आधार पर बच्चों की आयु के अनुसार वजन और लंबाई दर्ज की जाती है। आशा कार्यकर्ता टीकाकरण का लेखा-जोखा भी रखती हैं और बीमारी की स्थिति में समुचित चिकित्सा सुविधा लेने की सलाह देती हैं।
माताओं और परिवारों को दी जा रही जानकारी
बच्चे को गर्म रखना: बच्चे के सिर और पैरों को हमेशा ढका रखना और कमरे का तापमान संतुलित रखना।
नाल को सूखा रखना: नाल पर कोई क्रीम या तेल न लगाएं और शौच के बाद हाथ धोना सुनिश्चित करें।
खतरों के संकेत पहचानना: बच्चे का सुस्त होना, सांस लेने में दिक्कत, शरीर का अत्यधिक गर्म या ठंडा होना।
नवजात देखभाल पर जागरूकता
सिविल सर्जन ने बताया कि नवजात देखभाल सप्ताह के दौरान समुदाय और स्वास्थ्य केंद्रों पर शिशु देखभाल से जुड़े विषयों पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। जन्म के एक घंटे के भीतर शिशु को स्तनपान कराने और छह माह तक केवल स्तनपान जारी रखने पर जोर दिया जाएगा।
आशा कार्यकर्ताओं की यह पहल न केवल बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार ला रही है, बल्कि माताओं को उनके अधिकार और कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक कर रही है।
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