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बीएसएफ कैंप किशनगंज में नशा मुक्ति और कैंसर जागरूकता पर विशेष शिविर आयोजित।

सारस न्यूज़, किशनगंज।

स्वास्थ्य विभाग की पहल पर जवानों को दी गई स्वास्थ्य की नई जिम्मेदारी


किशनगंज स्थित बीएसएफ कैम्प परिसर मंगलवार को स्वास्थ्य जागरूकता का केंद्र बन गया, जहाँ नशा मुक्ति, मौखिक कैंसर और गैर संचारी रोगों (NCDs) से जुड़ी एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का नेतृत्व एनसीडीओ डॉ. उर्मिला कुमारी ने किया, जिसमें बीएसएफ जवानों और अधिकारियों को नशे के दुष्परिणाम और गंभीर बीमारियों से समय पर बचाव के उपायों से अवगत कराया गया।

सिविल सर्जन बोले — “बीएसएफ जवान समाज के लिए बने उदाहरण”

कार्यक्रम में उपस्थित सिविल सर्जन डॉ. राजकुमार चौधरी ने कहा, “नशा मुक्त समाज का सपना तभी साकार होगा जब हम जमीनी स्तर पर चेतना फैलाएं। बीएसएफ जैसे अनुशासित बलों में स्वास्थ्य संबंधी पहल न केवल जवानों को लाभ पहुंचाएगी, बल्कि वे आम जनता के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनेंगे।”
उन्होंने मौखिक कैंसर की समय पर पहचान और ओरल स्क्रीनिंग की आवश्यकता पर विशेष ज़ोर दिया।

तंबाकू और शराब—धीमे ज़हर की तरह

मुख्य वक्ता डॉ. उर्मिला कुमारी ने बताया कि तंबाकू, गुटखा, शराब और धूम्रपान केवल लत नहीं, बल्कि धीरे-धीरे जानलेवा बीमारियों की ओर बढ़ने की सीढ़ी हैं। उन्होंने कहा, “हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कैंसर जैसे गैर संचारी रोग बहुत हद तक हमारी जीवनशैली से जुड़े होते हैं। अगर लक्षणों को प्रारंभिक अवस्था में पहचाना जाए तो इनसे बचाव और इलाज संभव है।”

नि:शुल्क ओरल स्क्रीनिंग और चिकित्सा जांच

शिविर के दौरान बीएसएफ जवानों के लिए मुफ्त मौखिक जांच की व्यवस्था की गई, जिसमें दांत, मसूड़ों और जीभ की स्कैनिंग की गई। कुछ संदिग्ध मामलों को आगे की विस्तृत जांच के लिए रेफर किया गया।

शपथ लेकर जवानों ने कहा – “अब नहीं करेंगे नशा”

कार्यशाला के दौरान एक सुखद दृश्य देखने को मिला जब कई जवानों ने मौके पर ही नशा छोड़ने की शपथ ली। विभाग की ओर से नशा मुक्ति से संबंधित जानकारीपूर्ण पंपलेट्स भी वितरित किए गए।
विशेषज्ञों ने बताया कि नशा छुड़ाना मुश्किल हो सकता है, पर असंभव नहीं। इसके लिए चिकित्सकीय परामर्श, मनोबल और पारिवारिक सहयोग ज़रूरी है।

स्वास्थ्य जागरूकता की नई लहर की शुरुआत

स्वास्थ्य विभाग की एनसीडी सेल द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान का उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाना है। डॉ. उर्मिला ने बताया कि आने वाले महीनों में कॉलेजों, पंचायतों और संस्थानों में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
कार्यक्रम में चिकित्सक, दंत विशेषज्ञ, हेल्थ एजुकेटर और बीएसएफ अधिकारी भी सक्रिय रूप से शामिल हुए।

“हर नागरिक बने जागरूकता का वाहक” – डॉ. उर्मिला

कार्यक्रम के समापन पर डॉ. उर्मिला कुमारी ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “एक स्वस्थ और नशामुक्त राष्ट्र की बुनियाद तभी रखी जा सकती है जब हम खुद से शुरुआत करें। सीमावर्ती क्षेत्रों में इस तरह की पहल बेहद ज़रूरी है, ताकि समाज के पहरेदार भी स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें।”


🟢 निष्कर्ष:
किशनगंज बीएसएफ कैंप में आयोजित यह स्वास्थ्य जागरूकता शिविर, केवल एक चिकित्सा कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन की शुरुआत थी। स्वास्थ्य विभाग की इस पहल को जन-जन तक पहुंचाने की ज़रूरत है ताकि हर नागरिक अपने स्वास्थ्य के प्रति ज़िम्मेदार बन सके।


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