जलपाईगुड़ी: अयोध्या में राम लला के मंदिर के उद्घाटन को लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है। कई लोग मंदिर के उद्घाटन का गवाह बनने के लिए अनोखे अंदाज में वहां पहुंचकर इतिहास बनाना चाहते हैं। कुछ राम भक्त साइकिल, मोटर साइकिल अथवा गाड़ी से अयोध्या पहुंचने को उत्सुक हैं। और इसी उद्देश्य से भवानी प्रसाद रिमाल असम से पैदल ही अयोध्या के लिए निकल पड़े है। 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन है। उस ऐतिहासिक घटना का गवाह बनने के लिए रिमाल डिब्रूगढ़ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक पैदल निकले है, जो कोई मामूली बात नहीं है। इस संदर्भ में भवानी प्रसाद का तर्क है कि मैं रामलला के मंदिर का उद्घाटन देखने पैदल ही निकला हूँ ऐतिहासिक क्षणों को अपनी आँखों से देखना सौभाग्य की बात है। सोमवार को जलपाईगुड़ी पहाड़पुर से निकलते वक्त बुजुर्ग को उम्मीद है कि वह 21 तारीख को राम जन्मभूमि पहुंच जाएंगे। करीब 1200 किलोमीटर लंबे रास्ते से पैदल चलने के बाद वह अयोध्या पहुंचेंगे। सड़क पर कई लोगों ने उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने किसी से कुछ नहीं लिया है। उनके मुताबिक मेरी यात्रा की कहानी सुनने के बाद कई लोगों ने कार में लिफ्ट की रिक्वेस्ट की। लेकिन मैंने इसे इंकार कर दिया। कईयों ने पानी या खाना दिया। हालांकि मुझे आश्रय के लिए घर पर रहने के लिए कहा गया था, फिर भी मैं नहीं रुका। क्योंकि मेरा मानना है कि कष्ट सहकर ही राम को पाया जा सकता है।
सारस न्यूज, किशनगंज।
जलपाईगुड़ी: अयोध्या में राम लला के मंदिर के उद्घाटन को लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है। कई लोग मंदिर के उद्घाटन का गवाह बनने के लिए अनोखे अंदाज में वहां पहुंचकर इतिहास बनाना चाहते हैं। कुछ राम भक्त साइकिल, मोटर साइकिल अथवा गाड़ी से अयोध्या पहुंचने को उत्सुक हैं। और इसी उद्देश्य से भवानी प्रसाद रिमाल असम से पैदल ही अयोध्या के लिए निकल पड़े है। 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन है। उस ऐतिहासिक घटना का गवाह बनने के लिए रिमाल डिब्रूगढ़ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक पैदल निकले है, जो कोई मामूली बात नहीं है। इस संदर्भ में भवानी प्रसाद का तर्क है कि मैं रामलला के मंदिर का उद्घाटन देखने पैदल ही निकला हूँ ऐतिहासिक क्षणों को अपनी आँखों से देखना सौभाग्य की बात है। सोमवार को जलपाईगुड़ी पहाड़पुर से निकलते वक्त बुजुर्ग को उम्मीद है कि वह 21 तारीख को राम जन्मभूमि पहुंच जाएंगे। करीब 1200 किलोमीटर लंबे रास्ते से पैदल चलने के बाद वह अयोध्या पहुंचेंगे। सड़क पर कई लोगों ने उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने किसी से कुछ नहीं लिया है। उनके मुताबिक मेरी यात्रा की कहानी सुनने के बाद कई लोगों ने कार में लिफ्ट की रिक्वेस्ट की। लेकिन मैंने इसे इंकार कर दिया। कईयों ने पानी या खाना दिया। हालांकि मुझे आश्रय के लिए घर पर रहने के लिए कहा गया था, फिर भी मैं नहीं रुका। क्योंकि मेरा मानना है कि कष्ट सहकर ही राम को पाया जा सकता है।
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