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कार्मेल मिशन स्कूल में ‘चेस इन स्कूल’ कार्यक्रम से बच्चों ने सीखा जीत का मंत्र।

राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।

किशनगंज के प्रतिष्ठित कार्मेल मिशन स्कूल में ‘चेस इन स्कूल’ कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम बच्चों के मानसिक विकास और तार्किक सोच को बढ़ावा देने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ। कार्यक्रम का आयोजन चेस क्रॉप्स और जिला शतरंज संघ किशनगंज के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम का नेतृत्व स्कूल के सम्मानित निदेशक बिन्नी मैरी इसाक, प्रधानाचार्य डॉ. जॉनसन इसाक, और उप प्रधानाचार्य एनामुल हक ने किया।

शंकर नारायण दत्ता की अहम भूमिका

जिला शतरंज संघ किशनगंज के महासचिव शंकर नारायण दत्ता ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके मार्गदर्शन और सक्रिय भागीदारी ने बच्चों को शतरंज की रणनीतियां सीखने और मानसिक संतुलन को विकसित करने के लिए प्रेरित किया।

कमल कर्मकार और नीरोज खान का प्रशिक्षण

कार्यक्रम के मुख्य प्रशिक्षक और चेस क्रॉप्स के निदेशक कमल कर्मकार, जो एक अनुभवी फिडे इंस्ट्रक्टर भी हैं, ने बच्चों को खेल की गहराई सिखाई। उन्होंने ‘चेस इन स्कूल’ कार्यक्रम के आयोजन सचिव की भूमिका भी निभाई। प्रशिक्षक नीरोज खान ने भी खेल की तकनीक और उन्नत कौशल सिखाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

बच्चों का उत्साह और शानदार प्रदर्शन

कार्यक्रम में विद्यालय की प्रतिभाशाली छात्राओं, जैसे प्रिया, साक्षी, ज़ैनब, काव्या, जिया, फलक, सृष्टि, नाभ्य, शिफा, मरियम, आरुषि, खुशी, साजदा, और फैंसी ने अपने शानदार प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया। उनकी रचनात्मकता, त्वरित निर्णय लेने की क्षमता, और खेल के प्रति जुनून ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

बौद्धिक विकास और आत्मविश्वास का मंच

यह कार्यक्रम न केवल शतरंज के प्रति रुचि बढ़ाने का जरिया बना, बल्कि बच्चों के आत्मविश्वास और अनुशासन को भी नई ऊंचाई दी। यह पहल तार्किक सोच, समस्या-समाधान, और आत्मनियंत्रण जैसे गुणों के विकास में सहायक साबित हुई।

भविष्य के लिए नए आयाम

कार्यक्रम की सफलता पर विद्यालय, चेस क्रॉप्स, और जिला शतरंज संघ ने प्रसन्नता व्यक्त की। शंकर नारायण दत्ता ने कहा, “शतरंज न केवल एक खेल है, बल्कि यह बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास का एक महत्वपूर्ण साधन है। हम चाहते हैं कि हर बच्चा शतरंज के माध्यम से अपने जीवन में नई ऊंचाइयों को छुए।” प्रधानाचार्य डॉ. जॉनसन इसाक ने कहा, “शतरंज के माध्यम से बच्चों का बौद्धिक और नैतिक विकास हमारा मुख्य उद्देश्य है।” चेस क्रॉप्स के निदेशक कमल कर्मकार ने कहा, “हमारा लक्ष्य शतरंज को हर स्कूल और हर बच्चे तक पहुंचाना है।”

कार्यक्रम की यह सफलता न केवल बच्चों के लिए लाभकारी साबित हुई, बल्कि किशनगंज जिले में शतरंज के प्रचार-प्रसार की दिशा में एक नई पहल बनकर उभरी।

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