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दूषित पानी और भोजन से हेपेटाइटिस ए और ई का संक्रमण हो सकता है, सावधानी है जरूरी: सिविल सर्जन।

हेपेटाइटिस उच्च जोखिम वाली श्रेणी में आते हैं,

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

हेपेटाइटिस एक गंभीर बीमारी है, जो मुख्य रूप से लीवर को प्रभावित करती है। इसका संक्रमण वायरस द्वारा होता है और इसके विभिन्न प्रकार होते हैं – हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई। इस बीमारी से ग्रसित होने पर लीवर की कार्यक्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। हेपेटाइटिस के प्रकार, कारण, लक्षण, बचाव और विशेषज्ञों द्वारा दी गई सलाह के बारे में जानना आवश्यक है, ताकि समय पर इलाज और बचाव किया जा सके।सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया की दूषित पानी और भोजन से हेपेटाइटिस ए और ई का संक्रमण होने की सम्भावना ज्यादा रहती है , हेपेटाइटिस का प्रमुख कारण वायरस होता है। हेपेटाइटिस ए और ई ज्यादातर दूषित पानी और भोजन से फैलते हैं, जबकि हेपेटाइटिस बी, सी, और डी मुख्य रूप से संक्रमित रक्त और शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलते हैं।कई बार संक्रमित रक्त के जरिए भी हेपेटाइटिस वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है। इसलिए, जब भी रक्त चढ़ाया जाता है, उसकी सही जांच करवाना जरूरी होता है।हेपेटाइटिस बी और सी असुरक्षित यौन संबंधों से फैल सकते हैं, विशेषकर जब शारीरिक तरल पदार्थों का आदान-प्रदान होता है।अधिक मात्रा में शराब पीने या हानिकारक दवाओं का सेवन करने से भी लीवर को नुकसान पहुँचता है, जिससे हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है।

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया की हेपेटाइटिस के लक्षण कई बार शुरूआती अवस्था में नज़र नहीं आते, लेकिन कुछ आम संकेत होते हैं जो इस बीमारी की ओर संकेत करते हैं सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बाते की यदि ये लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

  • त्वचा और आंखों में पीलापन (जॉन्डिस)
  • थकान और कमजोरी महसूस होना
  • भूख कम लगना
  • पेट दर्द और सूजन
  • गहरे रंग का मूत्र और हल्के रंग का मल
  • बुखार और मांसपेशियों में दर्द

हेपेटाइटिस से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियों का पालन करना बेहद जरूरी है:

  1. साफ पानी और स्वच्छ भोजन: दूषित पानी और भोजन से हेपेटाइटिस ए और ई का संक्रमण हो सकता है। इसलिए स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें और केवल शुद्ध या उबला हुआ पानी पिएं।
  2. टीकाकरण: हेपेटाइटिस बी और ए के लिए टीके उपलब्ध हैं, जो आपको इन वायरस से बचाने में मदद कर सकते हैं। बच्चों को जन्म के बाद हेपेटाइटिस बी का टीका लगाया जाता है। इसके अलावा, वयस्कों को भी इसे लेने की सलाह दी जाती है।
  3. खून की जाँच: खून चढ़ाने से पहले सुनिश्चित करें कि रक्त की सही ढंग से जांच की गई हो ताकि हेपेटाइटिस बी और सी से बचा जा सके।
  4. स्वच्छता बनाए रखें: व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें, खासकर खाना बनाते और खाते समय। हाथ धोना एक सरल लेकिन प्रभावी उपाय है।
  5. असुरक्षित यौन संबंध से बचाव: हेपेटाइटिस बी और सी से बचने के लिए असुरक्षित यौन संबंधों से बचना चाहिए। कंडोम का प्रयोग करना सुरक्षित यौन संबंधों के लिए आवश्यक है।
    हेपेटाइटिस उच्च जोखिम वाली श्रेणी में आते हैं,
    जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बतया की “हेपेटाइटिस एक साइलेंट किलर है, क्योंकि इसके लक्षण प्रारंभिक अवस्था में सामने नहीं आते। इसके लिए लोगों को नियमित रूप से लीवर की जांच करानी चाहिए, खासकर यदि वे उच्च जोखिम वाली श्रेणी में आते हैं, जैसे कि असुरक्षित यौन संबंध रखने वाले या अधिक मात्रा में शराब का सेवन करने वाले। “टीकाकरण सबसे प्रभावी तरीका है, खासकर हेपेटाइटिस बी से बचने के लिए। इसके अलावा, स्वस्थ जीवनशैली अपनाना और नियमित रूप से डॉक्टर से परामर्श लेना महत्वपूर्ण है।” वे यह भी कहते हैं कि “जिन व्यक्तियों को हेपेटाइटिस का संक्रमण हो चुका है, उन्हें नियमित जांच कराते रहना चाहिए ताकि किसी भी जटिलता को समय रहते नियंत्रित किया जा सके। हेपेटाइटिस एक गंभीर समस्या है, लेकिन यदि इसके कारणों और लक्षणों को समझा जाए और सही सावधानियां बरती जाएं, तो इससे बचा जा सकता है। स्वच्छता, टीकाकरण, और स्वस्थ जीवनशैली हेपेटाइटिस से बचाव के मुख्य उपाय हैं। जागरूकता और समय पर इलाज से इस बीमारी को पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकता ह।

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