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जिले में शुरू हुआ दस्त रोकथाम अभियान।

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

जिंक-ओआरएस कार्नर बनाये गये है दस्त को रोकने के लिए शौचालय का उपयोग करें।

दस्त से पीड़ित बच्चे आसानी से निर्जलित हो सकते हैं। निर्जलीकरण गंभीर, यहां तक कि घातक भी हो सकता है। शिशुओं या छोटे बच्चों को दस्त होने पर निर्जलीकरण होने का विशेष खतरा होता है। वे बहुत जल्दी अस्वस्थ हो सकते हैं। दस्तच की वजह से कई बार बच्चों में खड़े होने की क्षमता भी नहीं रह जाती है। यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो बच्चे को अस्पताल ले जाना पड़ सकता है।दस्त की रोकथाम हेतु राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जिले में मंगलवार को सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार की अध्यक्षता में सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन ने बच्चो को ओआरएस पैकेट देकर एवं जागरूकता रथ को रवाना कर दस्त रोकथाम अभियान की शुरुआत की गयी। उक्त कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि जिले सभी स्वास्थ्य केंद्र में आज कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है।‌ जो आगामी 22 सितम्बर तक चलेगा। वही 0 से 05 वर्ष तक के सभी बच्चों को ओआरएस पैकेट दिया जायेगा। दस्त से ग्रसित बच्चों को जिंक की गोलियां उपलब्ध करायी जायेगी। दस्त रोकथाम अभियान का मुख्य उद्देश्य डायरिया के प्रसार को कम करते हुए इससे होने वाले शिशु मृत्यु को शून्य स्तर पर लाना है। सिविल सर्जन ने बताया कि 0 से 05 वर्ष तक के बच्चों की डायरिया से होने वाली मृत्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट की कमी होना है। ओआरएस और जिंक के उपयोग से डायरिया से होने वाली मृत्यु को रोका जा सकता है। कहा कि जिले के सभी प्रखंडों के स्वास्थ्य केंद्रों, उप केंद्रों के साथ अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में शामिल शहरी, झुग्गी- झोपड़ी, कठिन पहुंच वाले क्षेत्र, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र, घुमंतू-निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट भट्ठे वाले क्षेत्र आदि में वितरण के लिये ओआरएस-जिंक स्टॉल लगाया जाएगा।।कहा कि 05 वर्ष से कम उम्र के बच्चों दस्त ग्रसित होने के लक्षण दिखाई देते ही नजदीकी अस्पताल में इलाज सुनिश्चित कराना चाहिए। उक्त कार्यक्रम में मुख्य रूप से डीएस, डीआईओ डॉ देवेन्द्र कुमार, डीडीए सुमन सिन्हा, डीसीएम, पिरामल एवं पिएसआई, यूनिसेफ से सहयोगी तथा स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित रहे।

जिंक-ओआरएस कार्नर बनाये गये है

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी (डीआइओ) डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि 05 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के घरों में प्रति बच्चा एक-एक ओआरएस पैकेट वितरण किया जायेगा। परिवार के सदस्यों को ओआरएस घोल बनाने की विधि बतायी जायेगी। इससे होने वाले लाभ, साफ-सफाई, हाथ धोने के तरीकों आदि के बारे में जानकारी दी जायेगी। दस्त के दौरान बच्चों को जिंक की गोली उम्र के अनुसार उपयोग कराने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा परिजनों को जागरूक किया जायेगा। बताया कि जिंक का उपयोग करने से बच्चों के दस्त की तीव्रता में कमी आ जाती है एवं अगले 02 से 03 महीने तक बच्चों के दस्त एवं निमोनिया से ग्रसित होने की संभावना कम हो जाती है। बताया कि दस्त रोकथाम अभियान के तहत सभी प्रखंडों जिंक-ओआरएस कार्नर बनाये जायेंगे।।वहां से लक्षित बच्चों को एवं दस्त प्रभावित बच्चों को ओआरएस घोल और जिंक की गोली उपलब्ध करायी जायेगी। कहा कि जिले में 03 लाख 96 हजार 790 ओआरएस पैकेट्स और 03 लाख 78 हजार 882 जिंक की गोली वितरण का लक्ष्य है।

जिले के सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया की कार्यक्रम के सफल सञ्चालन के लिए सदर अस्पताल उपाधीक्षक, सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को जिला पदाधिकारी के द्वारा आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए है। उन्होंने सभी स्वास्थ्य संस्थानों पर ओआरएस एवं ज़िंक की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता रखने का निर्देश दिया है। अभियान के अनुश्रवण एवं पर्यवेक्षण हेतु सीएचओ /स्टाफ नर्स एवं सहयोगी संस्थानों का सहयोग लिया जाय। उन्होंने ने बताया कि गर्मी एवं बरसात के मौसम में बच्चों में दस्त के केस ज्यादा मिलते हैं। इनसे बचाव के लिए आशा, जीविका व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के सहयोग से बच्चों व अभिभावकों को हाथ धोने व साफ सफाई की जानकारी दी जाएगी। दस्त होने पर बच्चों की सुरक्षा हेतु स्वास्थ्य कर्मियों के साथ ही सभी स्वास्थ्य केंद्रों को मुस्तैद किया जा रहा है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में विशेष ध्यान रखा जा रहा है। डीडीए ने बताया कि पोस्टर, हाथों को साबुन से कब धोएं एवं होर्डिंग प्राप्त हुए हैं।वही अभियान के तहत स्वास्थ्य उपकेंद्र, अतिसंवेदनशील क्षेत्र शहरी झुग्गी, झोपड़ी, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट भट्ठे क्षेत्र, अनाथालय तथा ऐसे चिह्नित क्षेत्र जहां दो तीन वर्ष पूर्व तक दस्त के मामले अधिक संख्या में पाये गये हों, छोटे गांव व टोले जहां साफ सफाई व पानी की आपूर्ति एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी हो आदि को प्राथमिकता वाले क्षेत्र में रखा गया है। इस पूरे कार्यक्रम के लिए जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है। इनसाइट एप्प के माध्यम सभी पदाधिकारी इसका अनुश्रवन करना सुनिश्चित करेंगे

दस्त को रोकने के लिए शौचालय का उपयोग करें।

डीडीए सुमन सिन्हा ने बताया कि दस्त के दौरान और दस्त के बाद भी आयु के अनुसार स्तनपान, ऊपरी आहार और भोजन जारी रखा जाना चाहिए। पीने के लिए साफ और सुरक्षित पेयजल का उपयोग करें। खाना बनाने और खाना खाने से पूर्व और बच्चे का मल साफ करने के उपरांत साबुन से हाथ धोना जरूरी है। दस्त को रोकने के लिए शौचालय का उपयोग करें। खुले में शौच नहीं जायें। बच्चे के मल का सुरक्षित एवं त्वरित निपटान। स्तनपान जारी रखें, जिसमें उन बच्चों को स्तनपान कराना भी शामिल है जिन्हें स्तनपान कराया जा रहा है तथा बीमारी के दौरान और बाद में अतिरिक्त आहार दें। सुरक्षित संचालन के बाद स्वच्छ पेयजल का उपयोग करें। माँ को भोजन तैयार करने से पहले, बच्चे को खिलाने से पहले तथा बच्चे का मल साफ करने के बाद अपने हाथ साबुन से धोने चाहिए।

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