गांव में डोर टू डोर कचरा उठाव लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान फेज दो फ्लाप साबित हो रहा है। अब ना साफ सफाई होती है और न ही कचरा का उठाव ही किया जाता है। प्रखंड के जिन पंचायतों में भी इस योजना की शुरुआत की गई है अधिकांश पंचायतों में यह योजना टांय-टांय फीस है। दो साल के अंदर पंचायतों में इस योजना की शुरुआत संबंधित विभाग से जुड़े अधिकारियों के द्वारा बड़े तामझाम के साथ किया गया है। इस के तहत ई रिक्शा, पैदल रिक्शा, सफाई कर्मी की बहाली भी की गई है। साथ ही हर परिवार को हरा और नीला डस्टबिन भी वितरण किया गया है। पंचायत स्तर पर मुखिया की अध्यक्षता में पंचायत क्रियान्वयन प्रबंधन इकाई के द्वारा इसका संचालन भी किया जा रहा है। ठोस और गीला कचरा प्रबंधन की कार्य योजना बना दी गई है। अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई (कंचन घर) में ठोस और गीला कचरा को जमा करना है। जहां गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग निस्तारित किया जाना है। गांव को स्वच्छ एवं सुंदर बनाने के उद्देश्य से सरकार की ओर से इस योजना की शुरुआत की गई है। इस संदर्भ में तेघरिया पंचायत के नजरुल, पुरन्दाहा पंचायत के शिवानंद हल्दीखोड़ा पंचायत के अंसार मौधो पंचायत के सायम प्रवेज कठामठा पंचायत के आलम का कहना है कि सरकार की यह महत्वकांक्षी योजना फ्लाप साबित हो रही है। ई-रिक्शा कहीं पड़ा हुआ है तो पैदल रिक्शा कहीं लगा हुआ है। न घरों में लोग डस्टबिन में कचरा डालते हैं और न ही सफाई कर्मी इसे उठा कर ले जाते हैं। डस्टबिन भी कहीं नजर नहीं आता है। सिर्फ कागजी खानापूर्ति की जाती है। तेघरिया पंचायत के महबूब का कहना है कि पंचायत में लाखों की लागत से निर्मित कंचन घर भी बेकार पड़ा है। सरकार के लाखों खर्च के बाद भी आम जनों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है। पुरन्दाहा पंचायत के एस कुमार का कहना है इस पंचायत में भी यह योजना फ्लाप है। ई रिक्शा बहुत दिनों से मुखिया प्रतिनिधि के दरवाजे में लगा हुआ बेकार पड़ा है। इस संदर्भ में लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान से जुड़े प्रखंड स्तरीय समन्वयक से संपर्क साधा गया लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।
देवाशीष चटर्जी, सारस न्यूज, बहादुरगंज।
गांव में डोर टू डोर कचरा उठाव लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान फेज दो फ्लाप साबित हो रहा है। अब ना साफ सफाई होती है और न ही कचरा का उठाव ही किया जाता है। प्रखंड के जिन पंचायतों में भी इस योजना की शुरुआत की गई है अधिकांश पंचायतों में यह योजना टांय-टांय फीस है। दो साल के अंदर पंचायतों में इस योजना की शुरुआत संबंधित विभाग से जुड़े अधिकारियों के द्वारा बड़े तामझाम के साथ किया गया है। इस के तहत ई रिक्शा, पैदल रिक्शा, सफाई कर्मी की बहाली भी की गई है। साथ ही हर परिवार को हरा और नीला डस्टबिन भी वितरण किया गया है। पंचायत स्तर पर मुखिया की अध्यक्षता में पंचायत क्रियान्वयन प्रबंधन इकाई के द्वारा इसका संचालन भी किया जा रहा है। ठोस और गीला कचरा प्रबंधन की कार्य योजना बना दी गई है। अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई (कंचन घर) में ठोस और गीला कचरा को जमा करना है। जहां गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग निस्तारित किया जाना है। गांव को स्वच्छ एवं सुंदर बनाने के उद्देश्य से सरकार की ओर से इस योजना की शुरुआत की गई है। इस संदर्भ में तेघरिया पंचायत के नजरुल, पुरन्दाहा पंचायत के शिवानंद हल्दीखोड़ा पंचायत के अंसार मौधो पंचायत के सायम प्रवेज कठामठा पंचायत के आलम का कहना है कि सरकार की यह महत्वकांक्षी योजना फ्लाप साबित हो रही है। ई-रिक्शा कहीं पड़ा हुआ है तो पैदल रिक्शा कहीं लगा हुआ है। न घरों में लोग डस्टबिन में कचरा डालते हैं और न ही सफाई कर्मी इसे उठा कर ले जाते हैं। डस्टबिन भी कहीं नजर नहीं आता है। सिर्फ कागजी खानापूर्ति की जाती है। तेघरिया पंचायत के महबूब का कहना है कि पंचायत में लाखों की लागत से निर्मित कंचन घर भी बेकार पड़ा है। सरकार के लाखों खर्च के बाद भी आम जनों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है। पुरन्दाहा पंचायत के एस कुमार का कहना है इस पंचायत में भी यह योजना फ्लाप है। ई रिक्शा बहुत दिनों से मुखिया प्रतिनिधि के दरवाजे में लगा हुआ बेकार पड़ा है। इस संदर्भ में लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान से जुड़े प्रखंड स्तरीय समन्वयक से संपर्क साधा गया लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।
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