सारस न्यूज, वेब डेस्क।
ना बाँटो राम-रहीम को
बिंदु अग्रवाल (शिक्षिका मध्य विद्यालय गलगलिया किशनगंज बिहार)
ना बाँटो राम-रहीम को
ना बाँटो कृष्ण-करीम को,
ना जात-पात, और नाम धर्म के,
मत बाँटो इस “जमीन” को।
सूरज ने किरणें नहीं बाँटी,
ना चंदा ने चाँदनी।
अम्बर ने बादल नहीं बाँटें,
ना भौरों ने रागिनी।
नदियों ने जलधारा को,
कब बाँटा जात के नाम पर?
पेड़ो ने छाया नहीं बाँटी,
ऊँच-नीच के नाम पर।
फूलों की खुशबू को देखो,
सबको समान ही मिलती है।
कलियाँ फूलों की हर आँगन,
एक समान ही खिलती है।
बारिश की बूंदे हर छत पे,
एक ही राग सुनाती है।
गौरैया हर घर-आँगन में।
फुदक-फुदक कर गाती है।
जब ईश्वर ने कुछ नही बाँटा,
ना सूरज ना चाँद को।
क्यों निज स्वार्थ के वश में होकर,
हम बाँट रहे इंसान को।
सारस न्यूज़
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