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बच्चों का कराएं बीसीजी का टीकाकरण और टीबी के खतरे से रखें दूर।

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

  • बचाव के लिए टीकाकरण के साथ सतर्कता भी जरूरी, रहें सावधान
  • लगातार खांसी रहने पर तुरंत कराएं जांच, सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध है समुचित जांच व इलाज की व्यवस्था

मौसम में हो रहे बदलाव के कारण सर्दी-खांसी और बुखार समेत अन्य बीमारियों का दौर शुरू हो गया है। लोग इन मौसमी बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं। इसलिए, स्वास्थ्य के प्रति हर व्यक्ति को विशेष सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। खासकर छोटे-छोटे बच्चों के स्वास्थ्य की उचित देखभाल बेहद जरूरी है। दरअसल, छोटे बच्चों में टीबी जैसे संक्रामक रोग के चपेट में आने की अधिक संभावना रहती है। इसलिए, इससे बचाव के लिए बच्चों को बीसीजी का टीका लगवाना आवश्यक है। क्योंकि, कुपोषित और एनीमिया पीड़ित बच्चों में टीबी होने का विशेष खतरा होता है। इसलिए, ऐसे बच्चों की उचित देखभाल बेहद जरूरी है।

टीबी एक संक्रामक बीमारी

जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है और इससे बच्चों को अधिक खतरा रहता है। इसलिए, इससे बचाव के लिए बच्चों के प्रति विशेष सजग रहने की जरूरत है। इससे बचाव के लिए हर व्यक्ति को अपने बच्चे को निश्चित रूप से बीसीजी का टीका लगवाना चाहिए। यह बचाव के लिए सबसे बेहतर और आसान उपाय है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी मायकोबैटेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु के कारण होती है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है, क्योंकि यह हवा के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। टीबी के मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह, नाक से निकलने वाली बारीक बूंदों से फैलती है। फेफड़ों के अलावा कोई दूसरा टीबी इतना संक्रामक नहीं होता।

टीबी पीड़ित बच्चे के संपर्क से सामान्य बच्चे को बचाएं

डॉ. मंजर आलम ने बताया कि टीबी पीड़ित बच्चे के संपर्क से सामान्य बच्चे को दूर रखें। यदि घर से बाहर जाने की आवश्यकता हो तो बच्चे को मास्क पहनाकर ही भेजें। क्योंकि, टीबी संक्रामक बीमारी होती है। इसलिए, बच्चों को श्वसन संबंधित स्वच्छता रखने के लिए प्रेरित करें। उन्हें पौष्टिक आहार दें और खानपान में विटामिन-सी वाले भोज्य पदार्थ शामिल करें। टीबी पीड़ित बच्चों के लिए अच्छी नींद जरूरी है।

लक्षण महसूस होते ही कराएं जांच

सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि लक्षण महसूस होते ही मरीजों को बिना देर किए अपनी जांच करवानी चाहिए। जिला सदर अस्पताल, सभी पीएचसी तथा जिले के अन्य सरकारी अस्पतालों में मुफ्त जांच से लेकर समुचित इलाज एवं दवाई की मुफ्त सुविधा उपलब्ध है। इतना ही नहीं, टीबी पीड़ित मरीजों को उचित पोषण आहार के लिए सहायता राशि भी दी जाती है।

बचाव के उपाय

  1. 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करें।
  2. मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर करें।
  3. मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां नहीं थूकें।
  4. पौष्टिक खाना खाएं, व्यायाम व योग करें।
  5. बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।
  6. भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें।

ये हैं टीबी के लक्षण

  • भूख न लगना, वजन अचानक कम होना।
  • बेचैनी एवं सुस्ती रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट व रात में पसीना आना।
  • हल्का बुखार रहना।
  • खांसी, जिसमें बलगम आना और कभी-कभी खांसी में खून आना।
  • गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आना और वहीं फोड़ा होना।
  • गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी।
  • महिलाओं को बुखार के साथ गर्दन जकड़ना, आंखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं।
  • पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं।
  • टीबी न्यूमोनिया के लक्षण में तेज बुखार, खांसी व छाती में दर्द होता है।

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