किशनगंज के अराबाड़ी स्थित कॉलेज ऑफ फिशरी में गुरुवार को मछुआरा दिवस (Fish Farmer Day) का आयोजन बड़े उत्साह और गरिमा के साथ किया गया। यह कार्यक्रम मछली पालन क्षेत्र में कृषकों के योगदान को मान्यता देने और मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में जिले के विभिन्न प्रखंडों से आए मछली पालकों, मछुआ समुदाय के प्रतिनिधियों, छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।
इस अवसर पर मत्स्य विशेषज्ञों द्वारा मछली पालन की उन्नत तकनीकें, जल संसाधनों का बेहतर प्रबंधन, उच्च गुणवत्ता वाली मछली नस्लों का चयन और मछली रोग नियंत्रण जैसे विषयों पर विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यक्रम में कई सफल मछली पालकों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया।
जिला मत्स्य पदाधिकारी श्री प्रशुन कुमार प्रभात ने उपस्थित मछली पालकों को संबोधित करते हुए कहा, “आज मछली पालन सिर्फ पोषण का जरिया नहीं बल्कि रोजगार और आत्मनिर्भरता का एक सशक्त माध्यम बन गया है। यदि वैज्ञानिक तरीकों को अपनाया जाए, तो उत्पादन को कई गुना बढ़ाया जा सकता है।”
कार्यक्रम के दौरान मत्स्य विज्ञान के छात्रों ने पोस्टर प्रदर्शनी, मॉडल प्रस्तुति और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन किया।
इस मौके पर मत्स्य उद्योग से जुड़े प्रमुख उद्यमी डॉ. मनोज शर्मा (गुजरात), एक्वा डॉक्टर सॉल्यूशन के संस्थापक श्री देवतानु वर्मन और बिहार एनिमल हसबेंडरी एवं फिशरीज विश्वविद्यालय के कुलपति भी मौजूद रहे। इन विशेषज्ञों ने अपने अनुभवों और विचारों को कृषकों के साथ साझा किया और उन्हें व्यवसायिक दृष्टिकोण से मत्स्य पालन के विस्तार हेतु प्रेरित किया।
सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
किशनगंज के अराबाड़ी स्थित कॉलेज ऑफ फिशरी में गुरुवार को मछुआरा दिवस (Fish Farmer Day) का आयोजन बड़े उत्साह और गरिमा के साथ किया गया। यह कार्यक्रम मछली पालन क्षेत्र में कृषकों के योगदान को मान्यता देने और मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में जिले के विभिन्न प्रखंडों से आए मछली पालकों, मछुआ समुदाय के प्रतिनिधियों, छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।
इस अवसर पर मत्स्य विशेषज्ञों द्वारा मछली पालन की उन्नत तकनीकें, जल संसाधनों का बेहतर प्रबंधन, उच्च गुणवत्ता वाली मछली नस्लों का चयन और मछली रोग नियंत्रण जैसे विषयों पर विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यक्रम में कई सफल मछली पालकों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया।
जिला मत्स्य पदाधिकारी श्री प्रशुन कुमार प्रभात ने उपस्थित मछली पालकों को संबोधित करते हुए कहा, “आज मछली पालन सिर्फ पोषण का जरिया नहीं बल्कि रोजगार और आत्मनिर्भरता का एक सशक्त माध्यम बन गया है। यदि वैज्ञानिक तरीकों को अपनाया जाए, तो उत्पादन को कई गुना बढ़ाया जा सकता है।”
कार्यक्रम के दौरान मत्स्य विज्ञान के छात्रों ने पोस्टर प्रदर्शनी, मॉडल प्रस्तुति और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन किया।
इस मौके पर मत्स्य उद्योग से जुड़े प्रमुख उद्यमी डॉ. मनोज शर्मा (गुजरात), एक्वा डॉक्टर सॉल्यूशन के संस्थापक श्री देवतानु वर्मन और बिहार एनिमल हसबेंडरी एवं फिशरीज विश्वविद्यालय के कुलपति भी मौजूद रहे। इन विशेषज्ञों ने अपने अनुभवों और विचारों को कृषकों के साथ साझा किया और उन्हें व्यवसायिक दृष्टिकोण से मत्स्य पालन के विस्तार हेतु प्रेरित किया।
Leave a Reply