“मां स्वस्थ होगी, तभी परिवार और समाज मजबूत बनेगा” — इसी भावना को केंद्र में रखते हुए किशनगंज जिले में सोमवार को सुरक्षित मातृत्व और परिवार नियोजन को लेकर एक व्यापक स्वास्थ्य अभियान चलाया गया। जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर विशेष शिविरों का आयोजन कर ग्रामीण महिलाओं तक जरूरी चिकित्सा सेवाएं पहुंचाई गईं।
हर प्रखंड में हुआ आयोजन, महिलाओं की जांच से लेकर परामर्श तक
अभियान के अंतर्गत जिले के विभिन्न प्रखंडों में आयोजित स्वास्थ्य शिविरों की शुरुआत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों द्वारा की गई। इन शिविरों में गर्भवती महिलाओं की संपूर्ण स्वास्थ्य जांच की गई, जिनमें HIV, सिफलिस, हीमोग्लोबिन, ब्लड प्रेशर, वजन और पेशाब की जाँच शामिल रही। साथ ही जरूरतमंद महिलाओं को आयरन व कैल्शियम की गोलियां, टीटी इंजेक्शन और आवश्यक दवाएं मुफ्त वितरित की गईं। कई महिलाओं को समय रहते जटिलताओं से बचाने हेतु अल्ट्रासाउंड जांच भी उपलब्ध कराई गई।
परिवार नियोजन पर फोकस, महिलाओं के साथ पुरुषों की भी भागीदारी जरूरी
कार्यक्रम में मौजूद सदर अस्पताल की महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शबनम यास्मीन ने कहा कि “परिवार नियोजन केवल जनसंख्या नियंत्रण का साधन नहीं, बल्कि एक स्वस्थ समाज की बुनियाद है।” योग्य दंपतियों को अंतरा इंजेक्शन, पीपीआईयूसीडी, आईयूसीडी, छाया गोली जैसे गर्भनिरोधक साधन निःशुल्क प्रदान किए गए। उन्हें इन विकल्पों के सुरक्षित और दीर्घकालिक लाभों के बारे में जानकारी भी दी गई।
परिवार नियोजन पखवाड़ा में चल रहे हैं विविध कार्यक्रम
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने जानकारी दी कि जिले में 11 से 31 जुलाई तक “परिवार नियोजन पखवाड़ा” मनाया जा रहा है। इसके तहत शुक्रवार को विशेष स्वास्थ्य मेलों का आयोजन हुआ, जहां दंपतियों को स्थायी व अस्थायी साधनों के बारे में परामर्श दिया गया। उन्होंने बताया कि इन मेलों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और जागरूकता दोनों में सुधार देखने को मिल रहा है।
नसबंदी को लेकर भ्रांतियां दूर करना आवश्यक: पुरुषों की भागीदारी अहम
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने इस अवसर पर कहा, “परिवार नियोजन की जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं की नहीं होनी चाहिए। पुरुषों को भी आगे आना होगा। नसबंदी एक सुरक्षित और सरल प्रक्रिया है, जिसे अपनाकर पुरुष अपने परिवार के स्वास्थ्य और सुखद भविष्य में योगदान दे सकते हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि विभाग पुरुषों को जागरूक करने के लिए विशेष प्रयास कर रहा है।
जागरूकता और सहभागिता ही है विकास की कुंजी
जिला पदाधिकारी विशाल राज ने अभियान को सराहते हुए कहा, “एक स्वस्थ मां ही समाज के लिए स्वस्थ नागरिक तैयार कर सकती है। मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे।” उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे समय पर स्वास्थ्य सेवाएं लें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।
यह सिर्फ स्वास्थ्य सेवा नहीं, सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत है
डीपीएम डॉ. मुनाजिम ने बताया कि यह अभियान केवल चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में एक सकारात्मक सोच विकसित करने का जरिया भी बन रहा है। “जब मां स्वस्थ होगी, तभी बच्चा स्वस्थ होगा और एक सुनियोजित परिवार में हर सदस्य को समुचित देखभाल मिलेगी।”
निष्कर्ष: किशनगंज जिले में सुरक्षित मातृत्व और परिवार नियोजन को लेकर चलाया गया यह अभियान एक बड़े सामाजिक बदलाव की ओर संकेत करता है। यह पहल न सिर्फ महिलाओं के स्वास्थ्य की रक्षा कर रही है, बल्कि एक जागरूक, जिम्मेदार और स्वस्थ समाज की नींव भी रख रही है।
सारस न्यूज़, किशनगंज।
“मां स्वस्थ होगी, तभी परिवार और समाज मजबूत बनेगा” — इसी भावना को केंद्र में रखते हुए किशनगंज जिले में सोमवार को सुरक्षित मातृत्व और परिवार नियोजन को लेकर एक व्यापक स्वास्थ्य अभियान चलाया गया। जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर विशेष शिविरों का आयोजन कर ग्रामीण महिलाओं तक जरूरी चिकित्सा सेवाएं पहुंचाई गईं।
हर प्रखंड में हुआ आयोजन, महिलाओं की जांच से लेकर परामर्श तक
अभियान के अंतर्गत जिले के विभिन्न प्रखंडों में आयोजित स्वास्थ्य शिविरों की शुरुआत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों द्वारा की गई। इन शिविरों में गर्भवती महिलाओं की संपूर्ण स्वास्थ्य जांच की गई, जिनमें HIV, सिफलिस, हीमोग्लोबिन, ब्लड प्रेशर, वजन और पेशाब की जाँच शामिल रही। साथ ही जरूरतमंद महिलाओं को आयरन व कैल्शियम की गोलियां, टीटी इंजेक्शन और आवश्यक दवाएं मुफ्त वितरित की गईं। कई महिलाओं को समय रहते जटिलताओं से बचाने हेतु अल्ट्रासाउंड जांच भी उपलब्ध कराई गई।
परिवार नियोजन पर फोकस, महिलाओं के साथ पुरुषों की भी भागीदारी जरूरी
कार्यक्रम में मौजूद सदर अस्पताल की महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शबनम यास्मीन ने कहा कि “परिवार नियोजन केवल जनसंख्या नियंत्रण का साधन नहीं, बल्कि एक स्वस्थ समाज की बुनियाद है।” योग्य दंपतियों को अंतरा इंजेक्शन, पीपीआईयूसीडी, आईयूसीडी, छाया गोली जैसे गर्भनिरोधक साधन निःशुल्क प्रदान किए गए। उन्हें इन विकल्पों के सुरक्षित और दीर्घकालिक लाभों के बारे में जानकारी भी दी गई।
परिवार नियोजन पखवाड़ा में चल रहे हैं विविध कार्यक्रम
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने जानकारी दी कि जिले में 11 से 31 जुलाई तक “परिवार नियोजन पखवाड़ा” मनाया जा रहा है। इसके तहत शुक्रवार को विशेष स्वास्थ्य मेलों का आयोजन हुआ, जहां दंपतियों को स्थायी व अस्थायी साधनों के बारे में परामर्श दिया गया। उन्होंने बताया कि इन मेलों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और जागरूकता दोनों में सुधार देखने को मिल रहा है।
नसबंदी को लेकर भ्रांतियां दूर करना आवश्यक: पुरुषों की भागीदारी अहम
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने इस अवसर पर कहा, “परिवार नियोजन की जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं की नहीं होनी चाहिए। पुरुषों को भी आगे आना होगा। नसबंदी एक सुरक्षित और सरल प्रक्रिया है, जिसे अपनाकर पुरुष अपने परिवार के स्वास्थ्य और सुखद भविष्य में योगदान दे सकते हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि विभाग पुरुषों को जागरूक करने के लिए विशेष प्रयास कर रहा है।
जागरूकता और सहभागिता ही है विकास की कुंजी
जिला पदाधिकारी विशाल राज ने अभियान को सराहते हुए कहा, “एक स्वस्थ मां ही समाज के लिए स्वस्थ नागरिक तैयार कर सकती है। मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे।” उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे समय पर स्वास्थ्य सेवाएं लें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।
यह सिर्फ स्वास्थ्य सेवा नहीं, सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत है
डीपीएम डॉ. मुनाजिम ने बताया कि यह अभियान केवल चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में एक सकारात्मक सोच विकसित करने का जरिया भी बन रहा है। “जब मां स्वस्थ होगी, तभी बच्चा स्वस्थ होगा और एक सुनियोजित परिवार में हर सदस्य को समुचित देखभाल मिलेगी।”
निष्कर्ष: किशनगंज जिले में सुरक्षित मातृत्व और परिवार नियोजन को लेकर चलाया गया यह अभियान एक बड़े सामाजिक बदलाव की ओर संकेत करता है। यह पहल न सिर्फ महिलाओं के स्वास्थ्य की रक्षा कर रही है, बल्कि एक जागरूक, जिम्मेदार और स्वस्थ समाज की नींव भी रख रही है।
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