–फाइलेरिया दर के सही आकलन को लेकर चलाया गया एनबीएस: सिविल सर्जन
फाइलेरिया उन्मूलन में नाइट ब्लड सर्वे का महत्वपूर्ण योगदान
–लक्ष्यसेअधिक लोगों का लिया गया रक्त का नमूना:
फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिसको लेकर जिले में 04 से 15 दिसंबर तक नाइट ब्लड सर्वे अभियान चलाया गया था। जिसके तहत ज़िले के सभी प्रखंडों के दो-दो गांवों का चयन किया गया था। चयनित स्थलों पर रात्रि में लोगों के रक्त का नमूना लिया गया। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि जिले में फाइलेरिया के प्रसार दर का सही तरीके से अनुमान लगाने के लिए ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में स्थायी एवं रैंडम साइट के तहत नाइट ब्लड सर्वे (एनबीएस) अभियान चलाया गया। लाइलाज बीमारी के उन्मूलन के लिए पिरामल एवं सीफार जैसी सहयोगी संगठनों के द्वारा सामुदायिक जागरूकता के लिए सहयोग किया जा रहा है।
एनबीएस की सफलता में वार्ड पार्षद सहित जनप्रतिनिधियों का मिला सहयोग: डीवीडीसीओ डॉ मंजर आलम ने बताया कि जिले के सभी प्रखंडों में पंचायत जनप्रतिनिधियों द्वारा अभियान में सहयोग किया गया। शहरी क्षेत्रों में स्थानीय वार्ड पार्षद के द्वारा भरपुर सहयोग मिला। रात्रि में 8 बजे से ब्लड सैंपलिंग का कार्य शुरू किया जाता था जो रात्रि के 12 बजे तक चलता था। इसमें 20 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष एवं महिलाओं का सैंपल लिया गया था। इसका एकमात्र उद्देश्य यही है कि फाइलेरिया के मरीज मिलने के बाद उसका तत्काल इलाज मुहैया कराकर जिले को रोग से मुक्ति दिलाना। नाइट ब्लड सर्वे अभियान में शत प्रतिशत सफ़लता के लिए सहयोगी संस्थाओं के द्वारा प्रचार वाहन के माध्यम से जनजागरूकता अभियान चलाया गया था।
लक्ष्य से अधिक लोगों का लिया गया रक्त का नमूना: जिला रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने बताया कि जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में दो स्थलों का चयन किया गया था। शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चार स्थलों सहित कुल 24 स्थानों का चयन किया गया था। जिसमें रक्त के नमूने लेने के लिए स्थायी और रैंडम स्टॉल लगाया गया था। जिले में नाइट ब्लड सर्वे के दौरान कुल लक्ष्य 7200 के विरुद्ध 7228 रक्त के नमूने का संग्रह किया गया।
आशा एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं एवं जनप्रतिनिधि की भूमिका सराहनीय: सलाहकार
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण (डीवीबीडीसी) सलाहकार अविनाश रॉय ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के तहत फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों की पहचान विभागीय स्तर पर होने के बाद चयनित स्थलों पर मध्य रात्रि में ही रक्त के नमूने लिए गए हैं। रक्त संग्रह के बाद उसे प्रयोगशाला भेजा गया है। जहां रक्त में फाइलेरिया के परजीवी की मौजूदगी का पता लगाया जा रहा है। बता दें कि फाइलेरिया के परजीवी रात्रि में ही सक्रिय होते हैं। इसीलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही जानकारी मिलती है। इसके बाद ही विभाग द्वारा फाइलेरिया के संभावित रोगियों का समुचित इलाज किया जाता है। शहरी क्षेत्रों में वार्ड पार्षद तो ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत जनप्रतिनिधियों के अलावा आशा कार्यकर्ता एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं की भूमिका काफ़ी सराहनीय मानी जा रही है।
सारस न्यूज, राहुल कुमार, किशनगंज।
–फाइलेरिया दर के सही आकलन को लेकर चलाया गया एनबीएस: सिविल सर्जन
फाइलेरिया उन्मूलन में नाइट ब्लड सर्वे का महत्वपूर्ण योगदान
–लक्ष्यसेअधिक लोगों का लिया गया रक्त का नमूना:
फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिसको लेकर जिले में 04 से 15 दिसंबर तक नाइट ब्लड सर्वे अभियान चलाया गया था। जिसके तहत ज़िले के सभी प्रखंडों के दो-दो गांवों का चयन किया गया था। चयनित स्थलों पर रात्रि में लोगों के रक्त का नमूना लिया गया। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि जिले में फाइलेरिया के प्रसार दर का सही तरीके से अनुमान लगाने के लिए ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में स्थायी एवं रैंडम साइट के तहत नाइट ब्लड सर्वे (एनबीएस) अभियान चलाया गया। लाइलाज बीमारी के उन्मूलन के लिए पिरामल एवं सीफार जैसी सहयोगी संगठनों के द्वारा सामुदायिक जागरूकता के लिए सहयोग किया जा रहा है।
एनबीएस की सफलता में वार्ड पार्षद सहित जनप्रतिनिधियों का मिला सहयोग: डीवीडीसीओ डॉ मंजर आलम ने बताया कि जिले के सभी प्रखंडों में पंचायत जनप्रतिनिधियों द्वारा अभियान में सहयोग किया गया। शहरी क्षेत्रों में स्थानीय वार्ड पार्षद के द्वारा भरपुर सहयोग मिला। रात्रि में 8 बजे से ब्लड सैंपलिंग का कार्य शुरू किया जाता था जो रात्रि के 12 बजे तक चलता था। इसमें 20 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष एवं महिलाओं का सैंपल लिया गया था। इसका एकमात्र उद्देश्य यही है कि फाइलेरिया के मरीज मिलने के बाद उसका तत्काल इलाज मुहैया कराकर जिले को रोग से मुक्ति दिलाना। नाइट ब्लड सर्वे अभियान में शत प्रतिशत सफ़लता के लिए सहयोगी संस्थाओं के द्वारा प्रचार वाहन के माध्यम से जनजागरूकता अभियान चलाया गया था।
लक्ष्य से अधिक लोगों का लिया गया रक्त का नमूना: जिला रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने बताया कि जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में दो स्थलों का चयन किया गया था। शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चार स्थलों सहित कुल 24 स्थानों का चयन किया गया था। जिसमें रक्त के नमूने लेने के लिए स्थायी और रैंडम स्टॉल लगाया गया था। जिले में नाइट ब्लड सर्वे के दौरान कुल लक्ष्य 7200 के विरुद्ध 7228 रक्त के नमूने का संग्रह किया गया।
आशा एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं एवं जनप्रतिनिधि की भूमिका सराहनीय: सलाहकार
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण (डीवीबीडीसी) सलाहकार अविनाश रॉय ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के तहत फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों की पहचान विभागीय स्तर पर होने के बाद चयनित स्थलों पर मध्य रात्रि में ही रक्त के नमूने लिए गए हैं। रक्त संग्रह के बाद उसे प्रयोगशाला भेजा गया है। जहां रक्त में फाइलेरिया के परजीवी की मौजूदगी का पता लगाया जा रहा है। बता दें कि फाइलेरिया के परजीवी रात्रि में ही सक्रिय होते हैं। इसीलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही जानकारी मिलती है। इसके बाद ही विभाग द्वारा फाइलेरिया के संभावित रोगियों का समुचित इलाज किया जाता है। शहरी क्षेत्रों में वार्ड पार्षद तो ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत जनप्रतिनिधियों के अलावा आशा कार्यकर्ता एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं की भूमिका काफ़ी सराहनीय मानी जा रही है।
Leave a Reply