दवाओं के सेवन में लापरवाही के कारण सामान्य टीबी एमडीआर और एक्सडीआर में तब्दील हो जाती है।
अब 24 माह की जगह 9 से 11 माह में दवाओं के नियमित सेवन से ठीक हो रहे हैं मरीज।
चिकित्सक किसी भी बीमारी में दवाओं का पूरा कोर्स करने की सलाह देते हैं। यह सलाह तब और भी अधिक जरूरी हो जाती है, जब बीमारी गंभीर हो। टीबी के मामले में भी ऐसा ही होता है। टीबी के मरीजों को इलाज के दौरान दवाओं का कोर्स पूरा करने के लिए कहा जाता है, लेकिन कई लोग लापरवाही करते हैं और नियमित रूप से दवाएं नहीं लेते, जिसके कारण सामान्य टीबी मल्टी ड्रग रजिस्टेंट (एमडीआर) और एक्सटेंसिव ड्रग रेजिस्टेंट (एक्सडीआर) टीबी में बदल जाती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि एमडीआर टीबी, टीबी का बिगड़ा हुआ रूप है। इसमें टीबी के बैक्टीरिया पर सामान्य दवाएं काम नहीं करतीं। जहां आम टीबी कमजोर शरीर वालों को प्रभावित करती है, वहीं एमडीआर टीबी सभी वर्गों को प्रभावित कर सकती है। अच्छी बात यह है कि अब एमडीआर और एक्सडीआर टीबी का इलाज संभव है।
टीबी की खतरनाक श्रेणी: एक्सडीआर
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार बताते हैं कि जब एमडीआर टीबी के रोगी की दवा शुरू करने के छह माह बाद भी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो वह एक्सडीआर टीबी की श्रेणी में आ जाता है। एक्सडीआर टीबी टीबी की सबसे खतरनाक श्रेणी है, जिसके लिए दवाओं का नियमित सेवन अत्यंत आवश्यक है। अच्छी खबर यह है कि अब एमडीआर और एक्सडीआर टीबी का इलाज 9 से 11 माह में ही संभव हो गया है। पहले इलाज में 24 माह तक लग जाते थे, लेकिन अब बेडाक्विलीन जैसी महंगी दवाएं उपलब्ध होने से मरीज एक साल से कम समय में ठीक हो सकते हैं।
टीबी के मरीज सावधानियां बरतें और नियमित दवाओं का सेवन करें
जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने बताया कि जिले में एक्सडीआर श्रेणी के मरीजों की संख्या शून्य है। एमडीआर श्रेणी के 20 मरीज हैं। एमडीआर मरीजों में लापरवाही बरतने पर एक्सडीआर टीबी का खतरा बढ़ जाता है। यह स्थिति तब आती है, जब मरीज दवाओं का नियमित सेवन नहीं करते। टीबी के प्रति लापरवाही खतरनाक हो सकती है। इसलिए मरीजों को सावधानियां बरतनी चाहिए और नियमित रूप से दवाओं का सेवन करना चाहिए।
निक्षय पोषण योजना: टीबी मरीजों के लिए मददगार
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि “निक्षय पोषण योजना” टीबी मरीजों के लिए काफी मददगार साबित हो रही है। इस योजना के तहत, टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए 500 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं। नए मरीजों को भी यह सहायता प्रदान की जा रही है। आठ महीने के इलाज के दौरान हर माह 500 रुपये दिए जाते हैं, जो सीधे मरीजों के बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से भेजे जाते हैं।
इसके अलावा, टीबी मरीजों के नोटीफिकेशन पर निजी चिकित्सकों को 500 रुपये और मरीज के पूरी तरह ठीक होने पर भी 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। ट्रीटमेंट सपोर्टर को एमडीआर मरीजों के ठीक होने पर 5000 रुपये की प्रोत्साहन राशि मिलती है। अगर कोई आम व्यक्ति टीबी के मरीज को अस्पताल लेकर आता है और उसकी पुष्टि होती है, तो उसे भी 500 रुपये की सहायता राशि दी जाती है।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
दवाओं के सेवन में लापरवाही के कारण सामान्य टीबी एमडीआर और एक्सडीआर में तब्दील हो जाती है।
अब 24 माह की जगह 9 से 11 माह में दवाओं के नियमित सेवन से ठीक हो रहे हैं मरीज।
चिकित्सक किसी भी बीमारी में दवाओं का पूरा कोर्स करने की सलाह देते हैं। यह सलाह तब और भी अधिक जरूरी हो जाती है, जब बीमारी गंभीर हो। टीबी के मामले में भी ऐसा ही होता है। टीबी के मरीजों को इलाज के दौरान दवाओं का कोर्स पूरा करने के लिए कहा जाता है, लेकिन कई लोग लापरवाही करते हैं और नियमित रूप से दवाएं नहीं लेते, जिसके कारण सामान्य टीबी मल्टी ड्रग रजिस्टेंट (एमडीआर) और एक्सटेंसिव ड्रग रेजिस्टेंट (एक्सडीआर) टीबी में बदल जाती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि एमडीआर टीबी, टीबी का बिगड़ा हुआ रूप है। इसमें टीबी के बैक्टीरिया पर सामान्य दवाएं काम नहीं करतीं। जहां आम टीबी कमजोर शरीर वालों को प्रभावित करती है, वहीं एमडीआर टीबी सभी वर्गों को प्रभावित कर सकती है। अच्छी बात यह है कि अब एमडीआर और एक्सडीआर टीबी का इलाज संभव है।
टीबी की खतरनाक श्रेणी: एक्सडीआर
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार बताते हैं कि जब एमडीआर टीबी के रोगी की दवा शुरू करने के छह माह बाद भी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो वह एक्सडीआर टीबी की श्रेणी में आ जाता है। एक्सडीआर टीबी टीबी की सबसे खतरनाक श्रेणी है, जिसके लिए दवाओं का नियमित सेवन अत्यंत आवश्यक है। अच्छी खबर यह है कि अब एमडीआर और एक्सडीआर टीबी का इलाज 9 से 11 माह में ही संभव हो गया है। पहले इलाज में 24 माह तक लग जाते थे, लेकिन अब बेडाक्विलीन जैसी महंगी दवाएं उपलब्ध होने से मरीज एक साल से कम समय में ठीक हो सकते हैं।
टीबी के मरीज सावधानियां बरतें और नियमित दवाओं का सेवन करें
जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने बताया कि जिले में एक्सडीआर श्रेणी के मरीजों की संख्या शून्य है। एमडीआर श्रेणी के 20 मरीज हैं। एमडीआर मरीजों में लापरवाही बरतने पर एक्सडीआर टीबी का खतरा बढ़ जाता है। यह स्थिति तब आती है, जब मरीज दवाओं का नियमित सेवन नहीं करते। टीबी के प्रति लापरवाही खतरनाक हो सकती है। इसलिए मरीजों को सावधानियां बरतनी चाहिए और नियमित रूप से दवाओं का सेवन करना चाहिए।
निक्षय पोषण योजना: टीबी मरीजों के लिए मददगार
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि “निक्षय पोषण योजना” टीबी मरीजों के लिए काफी मददगार साबित हो रही है। इस योजना के तहत, टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए 500 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं। नए मरीजों को भी यह सहायता प्रदान की जा रही है। आठ महीने के इलाज के दौरान हर माह 500 रुपये दिए जाते हैं, जो सीधे मरीजों के बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से भेजे जाते हैं।
इसके अलावा, टीबी मरीजों के नोटीफिकेशन पर निजी चिकित्सकों को 500 रुपये और मरीज के पूरी तरह ठीक होने पर भी 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। ट्रीटमेंट सपोर्टर को एमडीआर मरीजों के ठीक होने पर 5000 रुपये की प्रोत्साहन राशि मिलती है। अगर कोई आम व्यक्ति टीबी के मरीज को अस्पताल लेकर आता है और उसकी पुष्टि होती है, तो उसे भी 500 रुपये की सहायता राशि दी जाती है।
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