केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह से मिले किशनगंज सांसद:
किशनगंज लोकसभा क्षेत्र के कांग्रेस सांसद डॉ. मो. जावेद आज़ाद ने मंगलवार को दिल्ली में केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह से मुलाकात की। सांसद ने किशनगंज और पूर्णिया जिलों में बांस और जूट से निर्मित हस्तशिल्प उत्पादों के कारीगरों को निःशुल्क प्रशिक्षण देने की मांग की।
सांसद ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि किशनगंज और पूर्णिया जिलों में बांस की पर्याप्त उपलब्धता और जूट की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इन संसाधनों का उपयोग करके हस्तशिल्प उत्पाद तैयार करने वाले कारीगर आर्थिक रूप से कमजोर हैं। यदि इन्हें निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाए, तो उनकी उत्पादकता और रोजगार की संभावनाओं में सम्मानजनक वृद्धि होगी।
रोजगार और उत्पादन में वृद्धि की संभावना:
सांसद ने केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया कि इस पहल से न केवल कारीगरों में उत्साह और रुचि बढ़ेगी, बल्कि इस क्षेत्र में आर्थिक प्रगति भी संभव होगी। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के माध्यम से कारीगरों के कौशल में निखार आएगा, जिससे हस्तशिल्प उत्पादों की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होगी।
सांसद की इस पहल को स्थानीय कारीगरों और हस्तशिल्प उद्योग से जुड़े लोगों द्वारा सराहा जा रहा है। अब देखना यह है कि केंद्र सरकार इस मांग पर क्या निर्णय लेती है।
राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।
केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह से मिले किशनगंज सांसद:
किशनगंज लोकसभा क्षेत्र के कांग्रेस सांसद डॉ. मो. जावेद आज़ाद ने मंगलवार को दिल्ली में केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह से मुलाकात की। सांसद ने किशनगंज और पूर्णिया जिलों में बांस और जूट से निर्मित हस्तशिल्प उत्पादों के कारीगरों को निःशुल्क प्रशिक्षण देने की मांग की।
सांसद ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि किशनगंज और पूर्णिया जिलों में बांस की पर्याप्त उपलब्धता और जूट की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इन संसाधनों का उपयोग करके हस्तशिल्प उत्पाद तैयार करने वाले कारीगर आर्थिक रूप से कमजोर हैं। यदि इन्हें निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाए, तो उनकी उत्पादकता और रोजगार की संभावनाओं में सम्मानजनक वृद्धि होगी।
रोजगार और उत्पादन में वृद्धि की संभावना:
सांसद ने केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया कि इस पहल से न केवल कारीगरों में उत्साह और रुचि बढ़ेगी, बल्कि इस क्षेत्र में आर्थिक प्रगति भी संभव होगी। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के माध्यम से कारीगरों के कौशल में निखार आएगा, जिससे हस्तशिल्प उत्पादों की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होगी।
सांसद की इस पहल को स्थानीय कारीगरों और हस्तशिल्प उद्योग से जुड़े लोगों द्वारा सराहा जा रहा है। अब देखना यह है कि केंद्र सरकार इस मांग पर क्या निर्णय लेती है।
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