गरीब परिवारों के बच्चों में जन्मजात हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज अब किसी सपने जैसा नहीं रहा। बिहार सरकार की सात निश्चय-2 के अंतर्गत संचालित बाल हृदय योजना और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) ने ऐसे बच्चों को जीवन की नई उम्मीद दी है।
आज किशनगंज जिले से दो मासूम – अमन कुमार और मोहित आलम – को उन्नत इलाज के लिए IGIMS, पटना भेजा गया है। इनमें अमन को 08 अगस्त को डिवाइस क्लोजर प्रक्रिया के लिए भर्ती किया जाना है। इन बच्चों के इलाज, यात्रा, दवाइयों, ठहराव और भोजन की संपूर्ण व्यवस्था जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा निःशुल्क की गई है।
योजनाएं जो दे रही हैं जीवनदान
बाल हृदय योजना के तहत उन बच्चों की पहचान की जाती है जो जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित हैं और उन्हें उन्नत चिकित्सा संस्थानों जैसे IGIMS, AIIMS आदि में इलाज के लिए रेफर किया जाता है। इस योजना के अंतर्गत परिवार से एक भी पैसा नहीं लिया जाता, सारा खर्च सरकार वहन करती है।
स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने जानकारी दी कि अब तक बाल हृदय योजना के अंतर्गत कई बच्चों का सफल इलाज हो चुका है। उन्होंने बताया, “हमारा प्रयास है कि कोई भी बच्चा इलाज से वंचित न रहे। आज अमन और मोहित को IGIMS भेजा गया है, और अमन का डिवाइस क्लोजर कल प्रस्तावित है। संपूर्ण प्रक्रिया पूरी तरह निःशुल्क है।”
जागरूकता ही सबसे बड़ा इलाज
जिलाधिकारी विशाल राज ने भी इस अवसर पर बताया कि आरबीएसके और बाल हृदय योजना जैसी पहलें गरीब परिवारों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही हैं। उन्होंने अपील की कि यदि बच्चों में किसी प्रकार के असामान्य लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत आशा कार्यकर्ता या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।
पूरी सुविधाएं, पूरी निःशुल्क
डीपीएम डॉ. मुनाजिम के अनुसार, बीमारी की पहचान RBSK टीम द्वारा की जाती है और आवश्यकता अनुसार उच्च संस्थानों में रेफर किया जाता है। मरीजों की यात्रा, ठहराव, इलाज, जाँच और सर्जरी तक की सभी सेवाएं निःशुल्क होती हैं। साथ ही, उन्हें अस्पताल तक लाने और वापस घर पहुंचाने की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है।
ये लक्षण नजर आएं तो रहें सतर्क
अभिभावकों को चाहिए कि वे निम्नलिखित लक्षणों पर विशेष ध्यान दें:
बच्चे का बार-बार बीमार पड़ना
दूध पीते समय थकावट या पसीना आना
नीले होंठ, नाखून या त्वचा
वजन नहीं बढ़ना
सांस लेने में दिक्कत
ऐसे किसी भी लक्षण के दिखने पर तुरंत आशा, ANM या RBSK टीम से संपर्क करने की सलाह दी गई है।
योजनाएं जब बनें ज़मीन पर हकीकत
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि जब सरकारी योजनाएं ज़रूरतमंदों तक सही समय पर पहुँचती हैं, तो वे केवल योजनाएं नहीं, जीवन बचाने का साधन बन जाती हैं। अमन और मोहित जैसे बच्चों का मुफ्त और उन्नत इलाज यह साबित करता है कि जागरूकता और समय पर कार्यवाही से बड़ी से बड़ी बीमारी भी मात खा सकती है।
सारस न्यूज़, किशनगंज।
गरीब परिवारों के बच्चों में जन्मजात हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज अब किसी सपने जैसा नहीं रहा। बिहार सरकार की सात निश्चय-2 के अंतर्गत संचालित बाल हृदय योजना और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) ने ऐसे बच्चों को जीवन की नई उम्मीद दी है।
आज किशनगंज जिले से दो मासूम – अमन कुमार और मोहित आलम – को उन्नत इलाज के लिए IGIMS, पटना भेजा गया है। इनमें अमन को 08 अगस्त को डिवाइस क्लोजर प्रक्रिया के लिए भर्ती किया जाना है। इन बच्चों के इलाज, यात्रा, दवाइयों, ठहराव और भोजन की संपूर्ण व्यवस्था जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा निःशुल्क की गई है।
योजनाएं जो दे रही हैं जीवनदान
बाल हृदय योजना के तहत उन बच्चों की पहचान की जाती है जो जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित हैं और उन्हें उन्नत चिकित्सा संस्थानों जैसे IGIMS, AIIMS आदि में इलाज के लिए रेफर किया जाता है। इस योजना के अंतर्गत परिवार से एक भी पैसा नहीं लिया जाता, सारा खर्च सरकार वहन करती है।
स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने जानकारी दी कि अब तक बाल हृदय योजना के अंतर्गत कई बच्चों का सफल इलाज हो चुका है। उन्होंने बताया, “हमारा प्रयास है कि कोई भी बच्चा इलाज से वंचित न रहे। आज अमन और मोहित को IGIMS भेजा गया है, और अमन का डिवाइस क्लोजर कल प्रस्तावित है। संपूर्ण प्रक्रिया पूरी तरह निःशुल्क है।”
जागरूकता ही सबसे बड़ा इलाज
जिलाधिकारी विशाल राज ने भी इस अवसर पर बताया कि आरबीएसके और बाल हृदय योजना जैसी पहलें गरीब परिवारों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही हैं। उन्होंने अपील की कि यदि बच्चों में किसी प्रकार के असामान्य लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत आशा कार्यकर्ता या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।
पूरी सुविधाएं, पूरी निःशुल्क
डीपीएम डॉ. मुनाजिम के अनुसार, बीमारी की पहचान RBSK टीम द्वारा की जाती है और आवश्यकता अनुसार उच्च संस्थानों में रेफर किया जाता है। मरीजों की यात्रा, ठहराव, इलाज, जाँच और सर्जरी तक की सभी सेवाएं निःशुल्क होती हैं। साथ ही, उन्हें अस्पताल तक लाने और वापस घर पहुंचाने की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है।
ये लक्षण नजर आएं तो रहें सतर्क
अभिभावकों को चाहिए कि वे निम्नलिखित लक्षणों पर विशेष ध्यान दें:
बच्चे का बार-बार बीमार पड़ना
दूध पीते समय थकावट या पसीना आना
नीले होंठ, नाखून या त्वचा
वजन नहीं बढ़ना
सांस लेने में दिक्कत
ऐसे किसी भी लक्षण के दिखने पर तुरंत आशा, ANM या RBSK टीम से संपर्क करने की सलाह दी गई है।
योजनाएं जब बनें ज़मीन पर हकीकत
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि जब सरकारी योजनाएं ज़रूरतमंदों तक सही समय पर पहुँचती हैं, तो वे केवल योजनाएं नहीं, जीवन बचाने का साधन बन जाती हैं। अमन और मोहित जैसे बच्चों का मुफ्त और उन्नत इलाज यह साबित करता है कि जागरूकता और समय पर कार्यवाही से बड़ी से बड़ी बीमारी भी मात खा सकती है।
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