Saaras News – सारस न्यूज़ – चुन – चुन के हर खबर, ताकि आप न रहें बेखबर

श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर आनंद मार्ग प्रचारक संघ किशनगंज द्वारा साधना, वाणिपाठ व बाबा नाम केवलम अनुष्ठान आयोजित।

सारस न्यूज, किशनगंज।

सोमवार को श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर आनंद मार्ग प्रचारक संघ किशनगंज की ओर से ठाकुरगंज नगर के वार्ड नं 4 फौदारबस्ती में स्थित आनंद मार्ग जागृति स्कूल के प्रार्थना सभाकक्ष में बाबा नाम केवलम अखंड कीर्तन हुआ। इस कार्यक्रम में सर्वप्रथमसंघ के ज़िला भुक्ति प्रधान सुमन भारती के नेतृत्व में आनंदमार्ग के संस्थापक व प्रवर्तक श्री श्री आनंदमूर्ति जी के तैलीय चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर दीप प्रज्ज्वलित किया गया। इसके बाद प्रभात संगीत, वाणिपाठ व गुरुपूजा आनंदमार्ग के विधि से की गई एवं इसके बाद अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र अखंड बाबा नाम केवलम संकीर्तन प्रारम्भ हुई। अखंड संकीर्त्तन के बाद अपने नियमानुसार आनंदमार्गियों ने साधना में बैठे।

इस अवसर पर आनंद मार्ग प्रचारक संघ के जिला भुक्ति प्रधान सुमन भारती ने कहा कि आनंद मार्ग के प्रवर्तक भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने आज ही के दिन वर्ष 1939 में प्रथम दीक्षा श्रावणी पूर्णिमा की रात्रि में काशीमित्रा घाट पर दुर्दांत डकैत कालीचरण चट्टोपाध्याय को दी थी और इसी दिन एक नई सभ्यता की नींव रखी है। इसी दिन से विश्व को नई दिशा देने के लिए गुरुदेव श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने योग और तंत्र साधना मुक्ति आकांक्षा प्राप्त व्यक्ति को देने लगे। आज पूरे विश्व में लाखों – लाख आनंदमार्गी आत्म मोक्ष और जगत हित के काम में लगे हैं। इस अवसर पर अनेक साधक-साधिका अपने संकल्प को पुनः दोहराते हुए अपने जीवन रथ को आलोकमय करने में पूरी शक्ति के साथ लग जाते हैं।

उन्होंने कहा कि आज से 85 वर्ष पूर्व वर्ष 1939 में प्रथम दीक्षा हुई थी और आज 2024 में आनंद मार्ग समग्र दुनिया के 180 देशों में फैल गया है जहां साधक साधिका योग साधना का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य साधना, सेवा और त्याग से महान बनता है। मनुष्य के जीवन की सार्थकता इन्हीं तीन चीजों पर निर्भर करती है। आगे उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि नैतिकता साधना की आधार भूमि है। साधना लक्ष्य प्राप्त करने का माध्यम है। दिव्य जीवन की प्राप्ति मनुष्य जीवन का लक्ष्य है। मनुष्य नीति को जितनी कठोरता से मान कर चलेंगे उनका जीवन उतना ही सहज हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आत्म मोक्षार्थ के लिए आनंदमार्ग किसी संप्रदाय के रूढ़वादी एवं अंधविश्वासी परम्परा को प्रश्रय नहीं देता है। आनंद मार्ग में व्यक्ति योग, साधना एवं सेवा के बल पर ईश्वर की ओर बढ़ने की चेष्टा करता है।

इस अवसर पर प्रकाश मंडल, कृष्ण प्रसाद सिंह, मंगला देवी, सरस्वती देवी, कमला देवी, सीता देवी आदि सहित अन्य आनन्दमार्गीगण मौजुद थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *