परिवार नियोजन न केवल व्यक्तिगत और पारिवारिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का मानना है कि उचित परिवार नियोजन से माता-पिता को अपने बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण की सुविधा उपलब्ध कराना संभव हो पाता है। इससे महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार होता है, मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी आती है, और परिवारों की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है।
देश में बढ़ती जनसंख्या और उसके परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिलाधिकारी तुषार सिंगला की अध्यक्षता में एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य आगामी 02 सितम्बर से 30 सितम्बर तक आयोजित होने वाले परिवार नियोजन पखवाड़ा के सफल क्रियान्वयन और जनसंख्या स्थिरीकरण के लक्ष्यों को प्राप्त करना था। कार्यशाला में सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार सहित जिले के सभी स्वास्थ्य अधिकारी, सहयोगी संस्था के सदस्य और अन्य संबंधित हितधारकों ने हिस्सा लिया, जिन्होंने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श किया।
परिवार नियोजन के लिए अस्थाई एवं स्थाई साधन जिले में उपलब्ध
उन्मुखीकरण कार्यशाला में सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि ज़िले में परिवार नियोजन के लिए विभिन्न संसाधन उपलब्ध हैं। इसमें गर्भनिरोधक गोलियों, कॉन्डम, इंट्रा यूटेराइन डिवाइस (IUD) और स्थायी नसबंदी जैसी विधियों पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है। इन साधनों के लाभों को रेखांकित करते हुए यह बताया गया कि कैसे ये विधियाँ न केवल अनचाहे गर्भधारण को रोकती हैं, बल्कि महिलाओं को उनकी प्रजनन क्षमता पर नियंत्रण रखने का अधिकार भी देती हैं। हमारे स्वास्थ्यकर्मियों को समुदाय के साथ प्रभावी संवाद स्थापित करने और परिवार नियोजन सेवाओं के प्रसार के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाओं को समझते हुए लोगों को परिवार नियोजन के महत्व के बारे में जागरूक किया जा सकता है।
परिवार नियोजन: स्थाई विकास का आधार
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार द्वारा उन्मुखीकरण कार्यक्रम में यह भी जोर दिया गया कि परिवार नियोजन न केवल जनसंख्या नियंत्रण का माध्यम है, बल्कि यह सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विशेष रूप से यह लिंग समानता, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, शिक्षा, और गरीबी उन्मूलन जैसे कई अन्य लक्ष्यों को सीधे प्रभावित करता है।
स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने संबोधन में कहा, “परिवार नियोजन की महत्ता को समझना और इसे समुदाय के हर वर्ग तक पहुंचाना, हमारे देश के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए अनिवार्य है।” कार्यशाला में बीसीएम, आरएमएनसीएचए काउंसलर, सीएचओ, आशा फैसिलिटेटर आदि को परिवार नियोजन पर विस्तृत जानकारी दी गई तथा सभी सूचनाओं को पोर्टल पर अपलोड करने का निर्देश दिया गया। परिवार नियोजन के लक्ष्य निर्धारित करते हुए जागरूकता फैलाने का निर्देश दिया गया। उन्होंने बताया कि जिले में 02 सितम्बर से 30 सितम्बर तक मिशन परिवार विकास और 02 सितम्बर से 14 सितम्बर 2024 तक दम्पति सम्पर्क पखवाड़ा तथा 17 सितम्बर से 30 सितम्बर तक परिवार नियोजन सेवा पखवाड़ा सम्पादित किया जाएगा। दम्पतियों से सम्पर्क करने में आशा, आंगनबाड़ी सेविका, जीविका दीदी पूरे जोर-शोर से लग जाएं। सास-बहु सम्मेलन आयोजित करें और गर्भ निरोधक दवाओं के उपयोग की जानकारी दें।
राहुल कुमार, किशनगंज
परिवार नियोजन न केवल व्यक्तिगत और पारिवारिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का मानना है कि उचित परिवार नियोजन से माता-पिता को अपने बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण की सुविधा उपलब्ध कराना संभव हो पाता है। इससे महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार होता है, मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी आती है, और परिवारों की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है।
देश में बढ़ती जनसंख्या और उसके परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिलाधिकारी तुषार सिंगला की अध्यक्षता में एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य आगामी 02 सितम्बर से 30 सितम्बर तक आयोजित होने वाले परिवार नियोजन पखवाड़ा के सफल क्रियान्वयन और जनसंख्या स्थिरीकरण के लक्ष्यों को प्राप्त करना था। कार्यशाला में सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार सहित जिले के सभी स्वास्थ्य अधिकारी, सहयोगी संस्था के सदस्य और अन्य संबंधित हितधारकों ने हिस्सा लिया, जिन्होंने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श किया।
परिवार नियोजन के लिए अस्थाई एवं स्थाई साधन जिले में उपलब्ध
उन्मुखीकरण कार्यशाला में सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि ज़िले में परिवार नियोजन के लिए विभिन्न संसाधन उपलब्ध हैं। इसमें गर्भनिरोधक गोलियों, कॉन्डम, इंट्रा यूटेराइन डिवाइस (IUD) और स्थायी नसबंदी जैसी विधियों पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है। इन साधनों के लाभों को रेखांकित करते हुए यह बताया गया कि कैसे ये विधियाँ न केवल अनचाहे गर्भधारण को रोकती हैं, बल्कि महिलाओं को उनकी प्रजनन क्षमता पर नियंत्रण रखने का अधिकार भी देती हैं। हमारे स्वास्थ्यकर्मियों को समुदाय के साथ प्रभावी संवाद स्थापित करने और परिवार नियोजन सेवाओं के प्रसार के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाओं को समझते हुए लोगों को परिवार नियोजन के महत्व के बारे में जागरूक किया जा सकता है।
परिवार नियोजन: स्थाई विकास का आधार
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार द्वारा उन्मुखीकरण कार्यक्रम में यह भी जोर दिया गया कि परिवार नियोजन न केवल जनसंख्या नियंत्रण का माध्यम है, बल्कि यह सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विशेष रूप से यह लिंग समानता, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, शिक्षा, और गरीबी उन्मूलन जैसे कई अन्य लक्ष्यों को सीधे प्रभावित करता है।
स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने संबोधन में कहा, “परिवार नियोजन की महत्ता को समझना और इसे समुदाय के हर वर्ग तक पहुंचाना, हमारे देश के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए अनिवार्य है।” कार्यशाला में बीसीएम, आरएमएनसीएचए काउंसलर, सीएचओ, आशा फैसिलिटेटर आदि को परिवार नियोजन पर विस्तृत जानकारी दी गई तथा सभी सूचनाओं को पोर्टल पर अपलोड करने का निर्देश दिया गया। परिवार नियोजन के लक्ष्य निर्धारित करते हुए जागरूकता फैलाने का निर्देश दिया गया। उन्होंने बताया कि जिले में 02 सितम्बर से 30 सितम्बर तक मिशन परिवार विकास और 02 सितम्बर से 14 सितम्बर 2024 तक दम्पति सम्पर्क पखवाड़ा तथा 17 सितम्बर से 30 सितम्बर तक परिवार नियोजन सेवा पखवाड़ा सम्पादित किया जाएगा। दम्पतियों से सम्पर्क करने में आशा, आंगनबाड़ी सेविका, जीविका दीदी पूरे जोर-शोर से लग जाएं। सास-बहु सम्मेलन आयोजित करें और गर्भ निरोधक दवाओं के उपयोग की जानकारी दें।
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