सोमवार को नगर पंचायत पौआखाली में सुहागिन महिलाओं ने पारंपरिक आस्था के साथ वट सावित्री व्रत का पालन करते हुए वटवृक्ष की पूजा की। इस मौके पर महिलाओं ने पति की दीर्घायु के लिए उपवास रखा और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की।
सोलह श्रृंगार में सजी महिलाओं ने बरगद के पेड़ के चारों ओर सात बार परिक्रमा कर रक्षा सूत्र बांधा और अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र की मंगलकामना की। मान्यता है कि इस व्रत के पालन से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
पूजा के दौरान महिलाओं ने व्रत की परंपराओं का पालन करते हुए सावित्री और सत्यवान की कथा का श्रवण किया। फल, फूल, मिठाई आदि अर्पित कर वट वृक्ष की पूजा की गई। यह पर्व पति-पत्नी के प्रेम और निष्ठा का प्रतीक माना जाता है, जो भारतीय संस्कृति में नारी की श्रद्धा और समर्पण को दर्शाता है।
कुछ महिलाओं ने दिनभर निर्जला उपवास भी रखा और शाम को वटवृक्ष की आराधना कर व्रत संपन्न किया। वट सावित्री व्रत, हिंदू संस्कृति में सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पर्वों में से एक माना जाता है।
सारस न्यूज, वेब डेस्क।
सोमवार को नगर पंचायत पौआखाली में सुहागिन महिलाओं ने पारंपरिक आस्था के साथ वट सावित्री व्रत का पालन करते हुए वटवृक्ष की पूजा की। इस मौके पर महिलाओं ने पति की दीर्घायु के लिए उपवास रखा और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की।
सोलह श्रृंगार में सजी महिलाओं ने बरगद के पेड़ के चारों ओर सात बार परिक्रमा कर रक्षा सूत्र बांधा और अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र की मंगलकामना की। मान्यता है कि इस व्रत के पालन से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
पूजा के दौरान महिलाओं ने व्रत की परंपराओं का पालन करते हुए सावित्री और सत्यवान की कथा का श्रवण किया। फल, फूल, मिठाई आदि अर्पित कर वट वृक्ष की पूजा की गई। यह पर्व पति-पत्नी के प्रेम और निष्ठा का प्रतीक माना जाता है, जो भारतीय संस्कृति में नारी की श्रद्धा और समर्पण को दर्शाता है।
कुछ महिलाओं ने दिनभर निर्जला उपवास भी रखा और शाम को वटवृक्ष की आराधना कर व्रत संपन्न किया। वट सावित्री व्रत, हिंदू संस्कृति में सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पर्वों में से एक माना जाता है।
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