प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व देखभाल प्रदान करना और मातृ मृत्यु दर को कम करना है। इस अभियान के तहत प्रत्येक माह की 9 एवं 21 तारीख को सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं को नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
आज जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की नि:शुल्क जांच की गई। सदर अस्पताल में महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शबनम यास्मीन ने 20 गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड किया। उन्होंने बताया कि यह जांच गर्भावस्था की जटिलताओं को समय पर पहचानने और उनका उचित समाधान सुनिश्चित करने में सहायक है।
अल्ट्रासाउंड: मातृत्व स्वास्थ्य का सटीक मापदंड
अल्ट्रासाउंड गर्भावस्था के दौरान मां और शिशु की स्थिति जानने का एक सटीक और प्रभावी उपकरण है। यह न केवल शिशु के विकास की निगरानी करता है, बल्कि गर्भावस्था से जुड़ी संभावित जटिलताओं की पहचान भी करता है। डॉ. शबनम यास्मीन ने बताया, “अल्ट्रासाउंड से हमें शिशु की स्थिति, गर्भ में पानी की मात्रा, प्लेसेंटा की स्थिति और शिशु के दिल की धड़कन जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती हैं। इससे जटिलताओं का समय रहते निदान कर उन्हें नियंत्रित किया जा सकता है।”
जिले में मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने का प्रयास
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि PMSMA के तहत अल्ट्रासाउंड जैसी सेवाएं अब ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की महिलाओं को आसानी से उपलब्ध हो रही हैं। उन्होंने कहा, “यह अभियान मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य को मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। नियमित अल्ट्रासाउंड जांच से संभावित जोखिमों को समय रहते टालने में मदद मिलती है।” सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन ने कहा कि आधुनिक तकनीक, जैसे अल्ट्रासाउंड, ने मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक प्रभावी और सुलभ बना दिया है।
अल्ट्रासाउंड जांच के लाभ:
शिशु की स्थिति का आकलन: गर्भ में शिशु के विकास और स्थिति की जानकारी।
जटिलताओं की पहचान: प्लेसेंटा प्रीविया, गर्भ में पानी की कमी या अधिकता जैसी समस्याओं का पता।
मल्टीपल प्रेग्नेंसी का पता: एक से अधिक शिशु होने की स्थिति की पहचान।
डॉपलर स्टडी: शिशु तक रक्त प्रवाह की स्थिति का विश्लेषण।
सुरक्षित प्रसव की योजना: जटिल प्रसव की पूर्व तैयारी सुनिश्चित करना।
ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए वरदान
जिला पदाधिकारी विशाल राज ने कहा, “गर्भवती महिलाओं के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच और अल्ट्रासाउंड न केवल उनके स्वास्थ्य को सुरक्षित रखता है, बल्कि शिशु के स्वस्थ भविष्य की नींव भी रखता है।” उन्होंने बताया कि पहले जहां महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए शहरों का रुख करना पड़ता था, अब यह सुविधा जिले के स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है। इससे महिलाओं के समय और धन की बचत हो रही है।
डॉ. शबनम यास्मीन ने बताया कि PMSMA के तहत सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को भी अल्ट्रासाउंड जैसी आधुनिक तकनीक का लाभ मिल रहा है। सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार के मार्गदर्शन में आज की अल्ट्रासाउंड जांच से कई गर्भवती महिलाओं को उनकी गर्भावस्था से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी मिली।
सुरक्षित मातृत्व की ओर कदम
प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा अभियान न केवल मातृत्व स्वास्थ्य को सशक्त बना रहा है, बल्कि सुरक्षित प्रसव और स्वस्थ शिशुओं के जन्म का मार्ग भी प्रशस्त कर रहा है। यह अभियान सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व देखभाल प्रदान करना और मातृ मृत्यु दर को कम करना है। इस अभियान के तहत प्रत्येक माह की 9 एवं 21 तारीख को सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं को नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
आज जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की नि:शुल्क जांच की गई। सदर अस्पताल में महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शबनम यास्मीन ने 20 गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड किया। उन्होंने बताया कि यह जांच गर्भावस्था की जटिलताओं को समय पर पहचानने और उनका उचित समाधान सुनिश्चित करने में सहायक है।
अल्ट्रासाउंड: मातृत्व स्वास्थ्य का सटीक मापदंड
अल्ट्रासाउंड गर्भावस्था के दौरान मां और शिशु की स्थिति जानने का एक सटीक और प्रभावी उपकरण है। यह न केवल शिशु के विकास की निगरानी करता है, बल्कि गर्भावस्था से जुड़ी संभावित जटिलताओं की पहचान भी करता है। डॉ. शबनम यास्मीन ने बताया, “अल्ट्रासाउंड से हमें शिशु की स्थिति, गर्भ में पानी की मात्रा, प्लेसेंटा की स्थिति और शिशु के दिल की धड़कन जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती हैं। इससे जटिलताओं का समय रहते निदान कर उन्हें नियंत्रित किया जा सकता है।”
जिले में मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने का प्रयास
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि PMSMA के तहत अल्ट्रासाउंड जैसी सेवाएं अब ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की महिलाओं को आसानी से उपलब्ध हो रही हैं। उन्होंने कहा, “यह अभियान मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य को मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। नियमित अल्ट्रासाउंड जांच से संभावित जोखिमों को समय रहते टालने में मदद मिलती है।” सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन ने कहा कि आधुनिक तकनीक, जैसे अल्ट्रासाउंड, ने मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक प्रभावी और सुलभ बना दिया है।
अल्ट्रासाउंड जांच के लाभ:
शिशु की स्थिति का आकलन: गर्भ में शिशु के विकास और स्थिति की जानकारी।
जटिलताओं की पहचान: प्लेसेंटा प्रीविया, गर्भ में पानी की कमी या अधिकता जैसी समस्याओं का पता।
मल्टीपल प्रेग्नेंसी का पता: एक से अधिक शिशु होने की स्थिति की पहचान।
डॉपलर स्टडी: शिशु तक रक्त प्रवाह की स्थिति का विश्लेषण।
सुरक्षित प्रसव की योजना: जटिल प्रसव की पूर्व तैयारी सुनिश्चित करना।
ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए वरदान
जिला पदाधिकारी विशाल राज ने कहा, “गर्भवती महिलाओं के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच और अल्ट्रासाउंड न केवल उनके स्वास्थ्य को सुरक्षित रखता है, बल्कि शिशु के स्वस्थ भविष्य की नींव भी रखता है।” उन्होंने बताया कि पहले जहां महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए शहरों का रुख करना पड़ता था, अब यह सुविधा जिले के स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है। इससे महिलाओं के समय और धन की बचत हो रही है।
डॉ. शबनम यास्मीन ने बताया कि PMSMA के तहत सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को भी अल्ट्रासाउंड जैसी आधुनिक तकनीक का लाभ मिल रहा है। सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार के मार्गदर्शन में आज की अल्ट्रासाउंड जांच से कई गर्भवती महिलाओं को उनकी गर्भावस्था से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी मिली।
सुरक्षित मातृत्व की ओर कदम
प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा अभियान न केवल मातृत्व स्वास्थ्य को सशक्त बना रहा है, बल्कि सुरक्षित प्रसव और स्वस्थ शिशुओं के जन्म का मार्ग भी प्रशस्त कर रहा है। यह अभियान सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
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