यात्रीगण कृपया ध्यान दें रेलवे मंत्रालय आपके लिए एक खुशखबरी लेकर आई है। महत्वपूर्ण सेक्शनों पर दोहरी लाइन के लिए अंतिम स्थान सर्वेक्षण को मंजूरी। देश के शेष हिस्सों से पूर्वोत्तर क्षेत्र की कनेक्टिविटी को मिलेगा बढ़ावा। रेल मंत्रालय ने लगभग 19 किलोमीटर का अलुआबाड़ी- ठाकुरगंज सेक्शन, लगभग 168 किलोमीटर का अररिया-ठाकुरगंज-सिलीगुड़ी सेक्शन, 14 किलोमीटर का सिलीगुड़ी टाउन- गुलमा (बाईपास लाइन) और 8 किलोमीटर का न्यू जलपाईगुड़ी -सिलीगुड़ी सेक्शन के नई दोहरी लाइनों के निर्माण हेतु अंतिम स्थान सर्वेक्षण कार्य के लिए धनराशि मंजूर करते हुए आवंटित किया है। कटिहार मालदा टाउन से डिब्रुगढ़ तक का रेल मार्ग पूर्वोत्तर सीमा रेल प्रणाली का प्रमुख मार्ग है। यह महत्वपूर्ण रेल मार्ग सात राज्यों वाले पूर्वोत्तर क्षेत्र को भारत के शेष राज्यों से जोड़ता है। निर्धारित सेक्शनों के ब्रॉड गेज लाइन का दोहरीकरण पू.सी.रेल के लिए उच्च प्राथमिकता है, क्योंकि यह हिस्सा भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और देश के बाकी हिस्सों के बीच एक महत्वपूर्ण सेतु के रूप में कार्य करता है। प्रस्तावित दोहरीकरण कार्यों के पूरा होने पर कटिहार से पूर्वोत्तर राज्यों तक चार लाइनों की कनेक्टिविटी होगी जो भारत के उत्तरी हिस्से से पूर्वोत्तर राज्यों को रेल परिवहन में बेहतर गतिशीलता प्रदान करने में मदद करेगी। एक्ट नॉर्थईस्ट पॉलिसी के तहत, भारत सरकार कृषि सहित बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भारी निवेश कर रही है, जिससे परिवहन की आवश्यकता में वृद्धि होगी। ऐसे में इस रूट पर ट्रैफिक बोझ काफी बढ़ने की संभावना है। यह क्षेत्र पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम और अंतर्राष्ट्रीय देश जैसे नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के लिए व्यापार, वाणिज्य और पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण है। रेलवे लाइन का दोहरीकरण पूरा होने पर इन सेक्शनों को जोन के लिए एक प्रमुख वैकल्पिक कनेक्टिविटी के रूप में विचार किया जाएगा, जिससे लोगों और सामग्रियों दोनों के परिवहन में लगने वाले समय, लागत और दूरी में कमी होगी तथा इस प्रकार इस संपूर्ण क्षेत्र को एक बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक बढ़ावा मिलेगा। इस परियोजना से कुशल और अकुशल दोनों तरह के लोगों के लिए बड़ी मात्रा में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। बुनियादी ढांचे के विकास जैसे नए स्टेशन, सड़क संपर्क, गुड्स यार्ड,व्यवसाय से आस-पास के जिलों की समग्र आर्थिक वृद्धि होगी। साथ ही, इन दोहरी लाइनों से अंतरराष्ट्रीय देश जैसे भूटान, नेपाल, बांग्लादेश के साथ परिवहन को प्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा मिलेगा क्योंकि कच्चे माल के परिवहन में आसानी होगी और अन्य आवश्यकतायें कम लागत और समय पर उपलब्ध होगी। कोचिंग ट्रेनों के समयपालन से यात्रियों के आवागमन के समय में भी काफी बचत होगी। माल की निर्बाध आवाजाही होगी जिससे माल ढुलाई सेवाओं का उपयोग करने वाले मौजूदा व्यवसायों की लागत में काफी कमी आएगी। इस क्षेत्र में बेहतर कनेक्टिविटी के लिए भारतीय रेल लगातार निवेश कर रही है। इस परियोजना के कार्यान्वयन से, एक ही समय सीमा के भीतर अधिक रेकों को लोड किया और ले जाया जा सकता है, जिससे भारतीय रेल के आर्थिक आय में इजाफा होगा। इस क्षेत्र में सड़क मार्गों की तुलना में रेल की लागत और समय की प्रतिस्पर्धात्मकता काफी बढ़ जाएगी।
सारस न्यूज, ठाकुरगंज।
यात्रीगण कृपया ध्यान दें रेलवे मंत्रालय आपके लिए एक खुशखबरी लेकर आई है। महत्वपूर्ण सेक्शनों पर दोहरी लाइन के लिए अंतिम स्थान सर्वेक्षण को मंजूरी। देश के शेष हिस्सों से पूर्वोत्तर क्षेत्र की कनेक्टिविटी को मिलेगा बढ़ावा। रेल मंत्रालय ने लगभग 19 किलोमीटर का अलुआबाड़ी- ठाकुरगंज सेक्शन, लगभग 168 किलोमीटर का अररिया-ठाकुरगंज-सिलीगुड़ी सेक्शन, 14 किलोमीटर का सिलीगुड़ी टाउन- गुलमा (बाईपास लाइन) और 8 किलोमीटर का न्यू जलपाईगुड़ी -सिलीगुड़ी सेक्शन के नई दोहरी लाइनों के निर्माण हेतु अंतिम स्थान सर्वेक्षण कार्य के लिए धनराशि मंजूर करते हुए आवंटित किया है। कटिहार मालदा टाउन से डिब्रुगढ़ तक का रेल मार्ग पूर्वोत्तर सीमा रेल प्रणाली का प्रमुख मार्ग है। यह महत्वपूर्ण रेल मार्ग सात राज्यों वाले पूर्वोत्तर क्षेत्र को भारत के शेष राज्यों से जोड़ता है। निर्धारित सेक्शनों के ब्रॉड गेज लाइन का दोहरीकरण पू.सी.रेल के लिए उच्च प्राथमिकता है, क्योंकि यह हिस्सा भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और देश के बाकी हिस्सों के बीच एक महत्वपूर्ण सेतु के रूप में कार्य करता है। प्रस्तावित दोहरीकरण कार्यों के पूरा होने पर कटिहार से पूर्वोत्तर राज्यों तक चार लाइनों की कनेक्टिविटी होगी जो भारत के उत्तरी हिस्से से पूर्वोत्तर राज्यों को रेल परिवहन में बेहतर गतिशीलता प्रदान करने में मदद करेगी। एक्ट नॉर्थईस्ट पॉलिसी के तहत, भारत सरकार कृषि सहित बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भारी निवेश कर रही है, जिससे परिवहन की आवश्यकता में वृद्धि होगी। ऐसे में इस रूट पर ट्रैफिक बोझ काफी बढ़ने की संभावना है। यह क्षेत्र पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम और अंतर्राष्ट्रीय देश जैसे नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के लिए व्यापार, वाणिज्य और पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण है। रेलवे लाइन का दोहरीकरण पूरा होने पर इन सेक्शनों को जोन के लिए एक प्रमुख वैकल्पिक कनेक्टिविटी के रूप में विचार किया जाएगा, जिससे लोगों और सामग्रियों दोनों के परिवहन में लगने वाले समय, लागत और दूरी में कमी होगी तथा इस प्रकार इस संपूर्ण क्षेत्र को एक बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक बढ़ावा मिलेगा। इस परियोजना से कुशल और अकुशल दोनों तरह के लोगों के लिए बड़ी मात्रा में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। बुनियादी ढांचे के विकास जैसे नए स्टेशन, सड़क संपर्क, गुड्स यार्ड,व्यवसाय से आस-पास के जिलों की समग्र आर्थिक वृद्धि होगी। साथ ही, इन दोहरी लाइनों से अंतरराष्ट्रीय देश जैसे भूटान, नेपाल, बांग्लादेश के साथ परिवहन को प्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा मिलेगा क्योंकि कच्चे माल के परिवहन में आसानी होगी और अन्य आवश्यकतायें कम लागत और समय पर उपलब्ध होगी। कोचिंग ट्रेनों के समयपालन से यात्रियों के आवागमन के समय में भी काफी बचत होगी। माल की निर्बाध आवाजाही होगी जिससे माल ढुलाई सेवाओं का उपयोग करने वाले मौजूदा व्यवसायों की लागत में काफी कमी आएगी। इस क्षेत्र में बेहतर कनेक्टिविटी के लिए भारतीय रेल लगातार निवेश कर रही है। इस परियोजना के कार्यान्वयन से, एक ही समय सीमा के भीतर अधिक रेकों को लोड किया और ले जाया जा सकता है, जिससे भारतीय रेल के आर्थिक आय में इजाफा होगा। इस क्षेत्र में सड़क मार्गों की तुलना में रेल की लागत और समय की प्रतिस्पर्धात्मकता काफी बढ़ जाएगी।
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