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किशनगंज में महानंदा बेसिन परियोजना के तहत तटबंध निर्माण कार्य को ले डीएम द्वारा छह सदस्यीय टीम गठित; भूमि की प्रकृति, मिट्टी की स्थिति आदि की गठित टीम करेगी जांच।


सारस न्यूज, किशनगंज।

किशनगंज जिले को बाढ़ व कटाव से निजात दिलाने के लिए परिकल्पित महानंदा बेसिन परियोजना के तहत महानंदा नदी के दोनों तरफ तटबंध निर्माण कार्य को लेकर जिलाधिकारी द्वारा गठित छह सदस्यीय टीम जांच करेगी। जांच के दौरान टीम भूमि की प्रकृति, मिट्टी की स्थिति सहित अन्य जांच करेगी। जांच कमिटी की रिपोर्ट के बाद इसका संभावित एस्टिमेट तैयार कर अधियाची विभाग को भेजा जाएगा। वहां से आवंटन आने के बाद भू अर्जन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। छह सदस्यीय टीम में एडीएम, भू अर्जन पदाधिकारी, डीसीएलआर, एसडीएम, जल निस्सरण विभाग के कार्यपालक अभियंता रहेंगे।

महानंदा नदी पर दोनों किनारे तटबंध का निर्माण होना है। जिसमें किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड के कुट्टी घाट से झौआ तक दायें तटबंध का निर्माण होना है। कोचाधामन प्रखंड के आठ मौजा का अधियाचना प्रस्ताव बाढ़ नियंत्रण एवं जल निस्सरण विभाग, कटिहार के द्वारा पूर्व में ही भेज दिया गया है। वहीं महानंदा नदी पर ही कुट्टी घाट से बागडोब बायां तटबंध का निर्माण होना है। इसकी अधियाची विभाग बाढ़ नियंत्रण एवं जल निस्सरण कार्यालय सालमारी, कटिहार है। महानन्दा बेसिन परियोजना के तहत फेज टू में रतवा नदी व महानन्दा नदी मिलाकर कुल 98 किमी तटबंध का निर्माण होना है। जिसमें 66 किमी रतवा नदी के दोनों किनारे व 32 किमी महानन्दा नदी के दोनों किनारे शामिल है।

ज्ञात हो कि रतवा नदी पर तटबंध निर्माण के लिए बिना भू अर्जन किये चार साल पूर्व टेंडर भी हैदराबाद की कंपनी को मिल गया था। जो अब रद्द हो गया है। अभी तक स्थिति/ है कि इस परियोजना के भू अर्जन के लिए आवंटन भी विभाग द्वारा नहीं दिया गया है। पूर्व के डीएम द्वारा भी 247 करोड़ 41 लाख का एस्टिमेट बनाकर भेजा गया था। लेकिन विभाग द्वारा इसे अस्वीकृत करते इससे कम का एस्टिमेट मांगा गया था।

लेकिन मिली जानकारी अनुसार अब फिर से डीएम श्रीकांत शास्त्री के निर्देश पर 210 करोड़ का एस्टिमेट बनाकर कुछ दिन पूर्व ही अधियाची विभाग को भेजा गया है। अब देखना है कि विभाग इस एस्टिमेट के आधार पर फण्ड का आवंटन करती है या फिर आवंटन को लटका कर रखती है। क्योंकि जब तक आवंटन नहीं मिल जाता तब तक किशनगंज जिला में परियोजना को गति मिलना मुश्किल है।

इस परियोजना के तहत जिले से गुजरनेवाली रतवा नदी पर 66 किमी तटबंध का निर्माण होना है। जिसमें 56 किमी किशनगंज में व 10 किमी अररिया जिले में तटबंध का निर्माण किया जाएगा। तटबंध निर्माण के लिए किशनगंज जिले में 462.55558 एकड़ व अररिया जिले में 135 एकड़ भूमि का अधिग्रहण होना है। तटबंध निर्माण का काम पूर्व में हैदराबाद की बीएसएसीपीएल कंपनी को दिया गया था। जो अब रद्द कर दिया गया है। भूमि के एलायनमेंट का कार्य रांची की सिटीजन फांउडेशन कंपनी कर रही है।

महानंदा फेज टू में किशनगंज व अररिया जिले को मिलाकर रेतुआ नदी पर तटबंध निर्माण के लिए बिना भूमि अधिग्रहण किए वर्ष 2018 में ही हैदराबाद की कंपनी को टेंडर दिया गया था। जिसे तटबंध निर्माण का काम वर्ष 2021 के जून माह में ही पूरा करना था। टेंडर की मियाद भी पूरी हो गयी। लेकिन भू अर्जन प्रक्रिया में विलंब के कारण काम तय समय पर पूरा नहीं हो पाया।

रेतुआ नदी पर बनने वाला तटबंध किशनगंज के 33 व अररिया के 11 मौजा होकर गुजरेगा। रेतुआ नदी के दोनों तरफ 33-33 किमी तटबंध का निर्माण होना है। जिसमें किशनगंज जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड के 24 मौजा, कोचाधामन के एक मौजा व बहादुरगंज प्रखंड के 8 मौजा होकर तटबंध गुजरेगा। जबकि अररिया जिले के जोकीहाट, सिकटी व पलासी प्रखंड के 11 मौजा होकर तटबंध गुजरेगा।

इस संबंध में जिला भू अर्जन पदाधिकारी संदीप कुमार ने बताया कि जिले में महानन्दा बेसिन परियोजना के तहत महानन्दा नदी पर दोनों किनारे तटबंध का निर्माण होना है। जिसके लिए जिलाधिकारी द्वारा गठित छह सदस्यीय टीम भूमि की प्रकृति की जांच करेगी। उसके बाद आगे की प्रक्रिया की जाएगी।

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