पथ निर्माण विभाग से स्वीकृति न मिलने से ब्रिटिश जमाने में बना महानंदा पुल का निर्माण कार्य अधर में है लटका, 40 करोड़ की प्राक्कलित राशि से पुल निगम द्वारा डीपीआर है तैयार।
किशनगंज-तैयबपुर-ठाकुरगंज-गलगलिया (केटीटीजी) सड़क मार्ग पर तैयबपुर व खरना के समीप महानंदा नदी पर बना ब्रिटिश युग का पुल अब दम तोड़ने लगा है। पथ निर्माण विभाग के उदासीनता के कारण रेलवे द्वारा अंग्रेजों के जमाने में वर्ष 1913 में बने उक्त स्थान पर आरसीसी पुल निर्माण कार्य की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है। जबकि उक्त स्थान पर आरसीसी पुल निर्माण कार्य को लेकर पूर्व विधायक गोपाल कुमार अग्रवाल, पूर्व मंत्री सह विधायक नौशाद आलम तथा वर्तमान विधायक सऊद आलम के द्वारा बिहार विधानसभा में कई बार प्रश्न उठाए गए। इन विधायकों के कई प्रयासों के बाबजूद भी पथ निर्माण विभाग बिहार, पटना द्वारा प्रशासनिक स्वीकृति नहीं दिए जाने के कारण 109 साल पुराना जीर्ण-शीर्ण पुल का निर्माण कार्य की प्रशासनिक कार्रवाई आगे बढ़ नहीं पा रही हैं।
विधायक ने तारांकित प्रश्न के द्वारा गत मॉनसून सत्र में उठाया था मामला:-
यह पुल ठाकुरगंज प्रखंड को जिला मुख्यालय किशनगंज से जोड़ती है। एक शताब्दी से भी अधिक समय बीतने के बाद भी रेलवे द्वारा निर्मित पुल के स्थान पर पथ निर्माण विभाग द्वारा पुल का निर्माण नहीं हो पाया हैं जबकि बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड, पटना के प्रबंध निदेशक ने करीब सात वर्ष पूर्व वर्ष 2014 में सॉयल टेस्ट सहित भौतिक सत्यापन कार्य के उपरांत वर्ष 2015 में करीब 25 करोड़ 88 लाख रुपए का प्राक्कलित राशि का डीपीआर बना पथ निर्माण विभाग बिहार, पटना को प्रशासनिक स्वीकृति के लिए भेजा गया। गत दो माह पूर्व भी बिहार विधानसभा के मौनसून सत्र में विधायक सऊद आलम ने बिहार विधानसभा में तारांकित प्रश्न के माध्यम से महानंदा नदी पर आरसीसी पुल निर्माण के लिए सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया। पर स्थिति जस की तस है।
40 करोड़ की प्राक्कलित राशि की डीपीआर बन कर है तैयार:-
जानकारी के मुताबिक महानंदा नदी पर पुल निर्माण कार्य हेतु पीडब्ल्यूडी ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के कार्य योजना में पुनः सम्मिलित किया जिसके आधार पर पुल निर्माण निगम ने फिर डीपीआर बनाया। बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक ने जून, 2019 को प्राक्कलित राशि 40.09 करोड़ रुपए का डीपीआर तकनीकी अनुमोदन के उपरांत पीडब्लूडी को प्रशासनिक स्वीकृति के लिए भेजा गया। इसके अलावा निगम ने वांछित चेकलिस्ट भी समर्पित किए पर पीडब्ल्यूडी द्वारा प्रशासनिक स्वीकृति प्राप्त न होने से पुल निर्माण कार्य के लिए आगे की कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
ब्रिटिश जमाने में वर्ष 1913 में हुआ था पुल का निर्माण:-
महानंदा नदी पर बने पुल पर अंकित सूचना के मुताबिक इस पुल का निर्माण वर्ष 1913 में ब्रिटिश शासन के दौरान वर्ण एन्ड कंपनी लिमिटेड, हावड़ा (पश्चिम बंगाल) की कंपनी ने कराया था। जानकारी अनुसार पहले इस पुल का निर्माण दार्जिलिंग-हिमालयन रेलमार्ग के तहत नैरो गेज की रेलगाड़ियां चलाने के लिए किया गया था। इसके बाद असम रेलवे लिंक प्रोजेक्ट (एआरएलपी) के तहत जब नैरो गेज को मीटर गेज के रुप में अमान परिवर्तन किया गया तब इस स्थान से 50 मीटर उत्तर महानंदा नदी पर मीटर गेज के लिए वर्ष 1949 में पुल का निर्माण कराया गया। जिसमें वर्तमान में ब्रॉड गेज की ट्रेन चल रही है। रेलवे सूत्रों के अनुसार दार्जिलिंग-हिमालयन रेल मार्ग के तहत नेरो गेज में रेलगाड़ियां सन 1881 ईसवी से सिलीगुड़ी तक चल रही थी। वर्ष 1915 ईसवी में इसमें बढ़ोत्तरी कर ठाकुरगंज होते हुए किशनगंज तक किया गया था। जब 1949 ई. में असम रेलवे लिंक प्रोजेक्ट (एआरएलपी) के तहत मीटर गेज के लिए ट्रेन का परिचालन प्रारंभ हुआ तब नेरो गेज वाले महानंदा नदी पर बने पुल को आम जनता के आवागमन के लिए सड़क मार्ग से वर्ष 1950 ईसवी को जोड़ दिया गया। जो वर्तमान समय में पथ निर्माण विभाग, किशनगंज के तहत केटीटीजी रोड से जुड़ा हुआ है।
क्या कहते हैं ग्रामीण:-
स्थानीय ग्रामीण मीर महफूज आलम, सालिम अहमद, इकरामुल हक, शाहिद आलम आदि बताते हैं कि केटीटीजी मार्ग में ट्रैफिक बढ़ने व पुल का एक लेन होने के कारण प्रत्येक दिन जाम की समस्या से राहगीरों को रुबरु होना पड़ता है। साथ ही पुल के जर्जर हालत को देख जहां कभी भी भयंकर दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती हैं। नदी पर नए पुल निर्माण के लिए करीब सात वर्ष पूर्व मिट्टी की जांच कराई गई थी। जिससे आमजनों को उम्मीद बढ़ी थी कि अब पुल का निर्माण कार्य अतिशीघ्र शुरू होगा। लेकिन अब तक यह विभागीय पेंच में फंसा हुआ है।
क्या कहते हैं विधायक:-
महानंदा नदी पर पुल निर्माण कार्य के संबंध में ठाकुरगंज विधायक सऊद आलम ने बताया कि बिहार राज्य पुल निर्माण निगम द्वारा मिट्टी परीक्षण कर करीब 40 करोड़ की लागत से विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) तैयार कर तकनीकी स्वीकृति के लिए पथ निर्माण विभाग बिहार को सुपुर्द किया गया है। इस बावत विभागीय मंत्री सह उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से व्यक्तिगत रूप से भेंट कर यथाशीघ्र महानंदा नदी पर पुल निर्माण कार्य हेतु सार्थक पहल की जाएगी। उन्होंने बताया कि पीडब्ल्यूडी से स्वीकृति मिलने के बाद पुल निर्माण की दिशा में अग्रेतर कार्रवाई की जायेगी।
सारस न्यूज, किशनगंज।
किशनगंज-तैयबपुर-ठाकुरगंज-गलगलिया (केटीटीजी) सड़क मार्ग पर तैयबपुर व खरना के समीप महानंदा नदी पर बना ब्रिटिश युग का पुल अब दम तोड़ने लगा है। पथ निर्माण विभाग के उदासीनता के कारण रेलवे द्वारा अंग्रेजों के जमाने में वर्ष 1913 में बने उक्त स्थान पर आरसीसी पुल निर्माण कार्य की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है। जबकि उक्त स्थान पर आरसीसी पुल निर्माण कार्य को लेकर पूर्व विधायक गोपाल कुमार अग्रवाल, पूर्व मंत्री सह विधायक नौशाद आलम तथा वर्तमान विधायक सऊद आलम के द्वारा बिहार विधानसभा में कई बार प्रश्न उठाए गए। इन विधायकों के कई प्रयासों के बाबजूद भी पथ निर्माण विभाग बिहार, पटना द्वारा प्रशासनिक स्वीकृति नहीं दिए जाने के कारण 109 साल पुराना जीर्ण-शीर्ण पुल का निर्माण कार्य की प्रशासनिक कार्रवाई आगे बढ़ नहीं पा रही हैं।
विधायक ने तारांकित प्रश्न के द्वारा गत मॉनसून सत्र में उठाया था मामला:-
यह पुल ठाकुरगंज प्रखंड को जिला मुख्यालय किशनगंज से जोड़ती है। एक शताब्दी से भी अधिक समय बीतने के बाद भी रेलवे द्वारा निर्मित पुल के स्थान पर पथ निर्माण विभाग द्वारा पुल का निर्माण नहीं हो पाया हैं जबकि बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड, पटना के प्रबंध निदेशक ने करीब सात वर्ष पूर्व वर्ष 2014 में सॉयल टेस्ट सहित भौतिक सत्यापन कार्य के उपरांत वर्ष 2015 में करीब 25 करोड़ 88 लाख रुपए का प्राक्कलित राशि का डीपीआर बना पथ निर्माण विभाग बिहार, पटना को प्रशासनिक स्वीकृति के लिए भेजा गया। गत दो माह पूर्व भी बिहार विधानसभा के मौनसून सत्र में विधायक सऊद आलम ने बिहार विधानसभा में तारांकित प्रश्न के माध्यम से महानंदा नदी पर आरसीसी पुल निर्माण के लिए सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया। पर स्थिति जस की तस है।
40 करोड़ की प्राक्कलित राशि की डीपीआर बन कर है तैयार:-
जानकारी के मुताबिक महानंदा नदी पर पुल निर्माण कार्य हेतु पीडब्ल्यूडी ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के कार्य योजना में पुनः सम्मिलित किया जिसके आधार पर पुल निर्माण निगम ने फिर डीपीआर बनाया। बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक ने जून, 2019 को प्राक्कलित राशि 40.09 करोड़ रुपए का डीपीआर तकनीकी अनुमोदन के उपरांत पीडब्लूडी को प्रशासनिक स्वीकृति के लिए भेजा गया। इसके अलावा निगम ने वांछित चेकलिस्ट भी समर्पित किए पर पीडब्ल्यूडी द्वारा प्रशासनिक स्वीकृति प्राप्त न होने से पुल निर्माण कार्य के लिए आगे की कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
ब्रिटिश जमाने में वर्ष 1913 में हुआ था पुल का निर्माण:-
महानंदा नदी पर बने पुल पर अंकित सूचना के मुताबिक इस पुल का निर्माण वर्ष 1913 में ब्रिटिश शासन के दौरान वर्ण एन्ड कंपनी लिमिटेड, हावड़ा (पश्चिम बंगाल) की कंपनी ने कराया था। जानकारी अनुसार पहले इस पुल का निर्माण दार्जिलिंग-हिमालयन रेलमार्ग के तहत नैरो गेज की रेलगाड़ियां चलाने के लिए किया गया था। इसके बाद असम रेलवे लिंक प्रोजेक्ट (एआरएलपी) के तहत जब नैरो गेज को मीटर गेज के रुप में अमान परिवर्तन किया गया तब इस स्थान से 50 मीटर उत्तर महानंदा नदी पर मीटर गेज के लिए वर्ष 1949 में पुल का निर्माण कराया गया। जिसमें वर्तमान में ब्रॉड गेज की ट्रेन चल रही है। रेलवे सूत्रों के अनुसार दार्जिलिंग-हिमालयन रेल मार्ग के तहत नेरो गेज में रेलगाड़ियां सन 1881 ईसवी से सिलीगुड़ी तक चल रही थी। वर्ष 1915 ईसवी में इसमें बढ़ोत्तरी कर ठाकुरगंज होते हुए किशनगंज तक किया गया था। जब 1949 ई. में असम रेलवे लिंक प्रोजेक्ट (एआरएलपी) के तहत मीटर गेज के लिए ट्रेन का परिचालन प्रारंभ हुआ तब नेरो गेज वाले महानंदा नदी पर बने पुल को आम जनता के आवागमन के लिए सड़क मार्ग से वर्ष 1950 ईसवी को जोड़ दिया गया। जो वर्तमान समय में पथ निर्माण विभाग, किशनगंज के तहत केटीटीजी रोड से जुड़ा हुआ है।
क्या कहते हैं ग्रामीण:-
स्थानीय ग्रामीण मीर महफूज आलम, सालिम अहमद, इकरामुल हक, शाहिद आलम आदि बताते हैं कि केटीटीजी मार्ग में ट्रैफिक बढ़ने व पुल का एक लेन होने के कारण प्रत्येक दिन जाम की समस्या से राहगीरों को रुबरु होना पड़ता है। साथ ही पुल के जर्जर हालत को देख जहां कभी भी भयंकर दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती हैं। नदी पर नए पुल निर्माण के लिए करीब सात वर्ष पूर्व मिट्टी की जांच कराई गई थी। जिससे आमजनों को उम्मीद बढ़ी थी कि अब पुल का निर्माण कार्य अतिशीघ्र शुरू होगा। लेकिन अब तक यह विभागीय पेंच में फंसा हुआ है।
क्या कहते हैं विधायक:-
महानंदा नदी पर पुल निर्माण कार्य के संबंध में ठाकुरगंज विधायक सऊद आलम ने बताया कि बिहार राज्य पुल निर्माण निगम द्वारा मिट्टी परीक्षण कर करीब 40 करोड़ की लागत से विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) तैयार कर तकनीकी स्वीकृति के लिए पथ निर्माण विभाग बिहार को सुपुर्द किया गया है। इस बावत विभागीय मंत्री सह उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से व्यक्तिगत रूप से भेंट कर यथाशीघ्र महानंदा नदी पर पुल निर्माण कार्य हेतु सार्थक पहल की जाएगी। उन्होंने बताया कि पीडब्ल्यूडी से स्वीकृति मिलने के बाद पुल निर्माण की दिशा में अग्रेतर कार्रवाई की जायेगी।
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