Saaras News – सारस न्यूज़ – चुन – चुन के हर खबर, ताकि आप न रहें बेखबर

माघी पूर्णिमा के अवसर पर ठाकुरगंज में भारत सेवाश्रम के संस्थापक स्वामी प्रणवानंद महाराज का मनाया गया 127 वां जन्मोत्सव।

सारस न्यूज, किशनगंज।

माघी पूर्णिमा के अवसर पर रविवार को नगर पंचायत ठाकुरगंज के वार्ड नं पांच आश्रमपाड़ा में स्थित भारत सेवाश्रम संघ के हिंदू मिलन मंदिर प्रांगण में भारत सेवाश्रम के संस्थापक स्वामी प्रणवानंद महाराज का 127वां जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। मंदिर के कर्त्ताधर्त्ता फटिक महाराज के देखरेख में आयोजित उक्त धार्मिक कार्यक्रम में हवन व पूजन किया गया।

कार्यक्रम के संबंध में संयोजक प्रदीप्ता दत्ता ने बताया कि कार्यक्रम के तहत भारत सेवाश्रम मंदिर के प्रांगण में हवन, पूजन व महाआरती का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भजन-कीर्तन व भक्ति संगीत कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। पूजा- आरती के बाद लोगों के बीच भगवान के महाप्रसाद बांटे गए। इस दौरान भारत सेवाश्रम संघ के संस्थापक सह युवाचार्य स्वामी प्रणवानंद जी महाराज के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया।

कार्यक्रम के संचालक प्रदीप्ता दत्ता ने इस उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि 29 जनवरी, 1896 ई. में माघ माह पूर्णिमा को ग्राम बाजिदपुर, जिला फरीदपुर (वर्तमान में बांग्लादेश) में स्वामी जी का जन्म हुआ था। सन् 1913 ई. में विजया दशमी के दूसरे दिन गोरखपुर के बाबा गम्भीरनाथ ने उन्हें ब्रह्मचारी की दीक्षा तथा सन् 1924 ई. में पौष पूर्णिमा के दिन स्वामी गोविन्दानन्द गिरि से संन्यास की दीक्षा ली। इसके बाद अब इनका नाम स्वामी प्रणवानन्द हो गया।

वहीं मंदिर के पुरोहित फटिक महाराज ने कहा कि दीक्षा लेने के बाद स्वामी जी ने गया, पुरी, काशी, प्रयाग आदि स्थानों पर संघ के आश्रमों की स्थापना की। तभी से भारत सेवाश्रम संघ विपत्ति के समय सेवा कार्यों में जुटा हुआ है। उन्होंने समाजसेवा, तीर्थसंस्कार, धार्मिक और नैतिक आदर्श का प्रचार, गुरु पूजा के प्रति जागरूकता जैसे अनेक कार्य किये। स्वामी प्रणवानंद जी जातिभेद को मान्यता नहीं देते थे। उन्होंने अपने आश्रमों में हिन्दू मिलन मंदिर बनाये। इनमें जातिगत भेद को छोड़कर सब हिन्दू प्रार्थना करते थे। सबको धर्मशास्त्रों की शिक्षा दी जाती थी। इसके बाद उन्होंने हिन्दू रक्षा दल गठित किया। इसका उद्देश्य भी जातिगत भावना से ऊपर उठकर हिन्दू युवकों को व्यायाम और शस्त्र संचालन सिखाकर संगठित करना था। उन्होंने बताया कि इन दिनों भारत सेवाश्रम संघ के देश-विदेश में 75 आश्रम कार्यरत हैं। आठ जनवरी, 1941 को अपना जीवन-कार्य पूरा कर उन्होंने देह त्याग दी। अब उनके बताए आदर्शों पर उनके अनुयायी संघ को चला रहे हैं।

इस मौके पर पूरा मंदिर परिसर गीता पाठ और चंडी पाठ के वैदिक मंत्रों से गुंजायमान रहा। वही इस अवसर पर अनिल घोष, बाबू दास, राजेन्द्र कर्मकार, अमरेंद्र चटर्जी, आनंद साहा, अभिषेक साहा, फणींद्र सिंहा, राजोश्री लाहिड़ी, सान्तवना लाहिड़ी, रिंकू कुंडू, अणिमा कुंडू, अपर्णा दास, प्रेमलता कुमारी, शोभा देवनाथ, यशोदा साहा   आदि भक्तजन मुख्य रूप से मौजूद थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *