ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत बेसरबाटी पंचायत वार्ड संख्या 06 में आदिवासी सांवता सेचेद् लेक्चार सेंमलेद् संस्था की ओर से एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता श्री सरकार मरांडी ने की, जबकि आसेका बिहार प्रदेश सचिव श्री राज मरांडी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
बैठक का मुख्य उद्देश्य आदिवासी गांवों में संथाली अलचिकी लिपि के प्रचार-प्रसार के लिए शिक्षण केंद्र खोलने पर चर्चा करना था। आसेका संस्था के प्रदेश सचिव श्री राज मरांडी ने बताया कि संस्था का लक्ष्य है कि वर्ष 2025 से 2026 तक बिहार के हर संथाल गांव में कम से कम 1000 अल इतुन आखड़ा शिक्षण केंद्र खोले जाएं। उन्होंने कहा कि इस पहल से संथाल समाज के बच्चे अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे और आगे चलकर सरकारी नौकरी और अन्य रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकेंगे।
श्री मरांडी ने यह भी बताया कि पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों में सरकारी विद्यालयों में अलचिकी भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है। इसी तरह बिहार में भी अलचिकी शिक्षण केंद्र स्थापित कर युवाओं को उच्च शिक्षा और रोजगार से जोड़ा जाएगा।
बैठक में उपस्थित गांव के लोगों ने इस पहल का स्वागत किया और संथाली भाषा व लिपि के संरक्षण एवं संवर्धन पर बल दिया। बैठक में वार्ड सदस्य उमेश टुडू, पृथ्वी हेम्ब्रम, विरेन मुर्मू, सुनीराम सोरेन, सुखदेव सोरेन, शिवलाल टुडू, गांव के मांझी समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे।
यह बैठक आदिवासी समाज को अपनी भाषा और संस्कृति से जोड़ने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत बेसरबाटी पंचायत वार्ड संख्या 06 में आदिवासी सांवता सेचेद् लेक्चार सेंमलेद् संस्था की ओर से एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता श्री सरकार मरांडी ने की, जबकि आसेका बिहार प्रदेश सचिव श्री राज मरांडी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
बैठक का मुख्य उद्देश्य आदिवासी गांवों में संथाली अलचिकी लिपि के प्रचार-प्रसार के लिए शिक्षण केंद्र खोलने पर चर्चा करना था। आसेका संस्था के प्रदेश सचिव श्री राज मरांडी ने बताया कि संस्था का लक्ष्य है कि वर्ष 2025 से 2026 तक बिहार के हर संथाल गांव में कम से कम 1000 अल इतुन आखड़ा शिक्षण केंद्र खोले जाएं। उन्होंने कहा कि इस पहल से संथाल समाज के बच्चे अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे और आगे चलकर सरकारी नौकरी और अन्य रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकेंगे।
श्री मरांडी ने यह भी बताया कि पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों में सरकारी विद्यालयों में अलचिकी भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है। इसी तरह बिहार में भी अलचिकी शिक्षण केंद्र स्थापित कर युवाओं को उच्च शिक्षा और रोजगार से जोड़ा जाएगा।
बैठक में उपस्थित गांव के लोगों ने इस पहल का स्वागत किया और संथाली भाषा व लिपि के संरक्षण एवं संवर्धन पर बल दिया। बैठक में वार्ड सदस्य उमेश टुडू, पृथ्वी हेम्ब्रम, विरेन मुर्मू, सुनीराम सोरेन, सुखदेव सोरेन, शिवलाल टुडू, गांव के मांझी समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे।
यह बैठक आदिवासी समाज को अपनी भाषा और संस्कृति से जोड़ने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
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