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जामिया हमदर्द मदरसे में आयोजित एक कार्यक्रम में राज्यपाल हुए शामिल, शिक्षा और महिला सशक्तीकरण की बात।

राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।

बिहार के राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान गुरुवार को अपने दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन किशनगंज के हलिम चौक स्थित जामिया हमदर्द मदरसे में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए। बीएसएफ हेडक्वार्टर से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सड़क मार्ग से पहुंचे राज्यपाल का स्थानीय लोगों ने बुके देकर स्वागत किया। इस दौरान डीएम विशाल राज और एसपी सागर कुमार ने सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी की। कार्यक्रम स्थल पर पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किए गए थे।

जामिया हमदर्द के वाइस चांसलर प्रो. डॉ. अफसार आलम ने कहा कि महापुरुषों के विजन को समझना जरूरी है। उन्होंने बताया कि जामिया हमदर्द के 40 से 50 नए सेंटर खोले जाएंगे, जिनके बेहतर संचालन की जिम्मेदारी तय की जाएगी। किशनगंज के निवासी होने के नाते, वे इस क्षेत्र को शिक्षा के क्षेत्र में समृद्ध करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने जामिया हमदर्द का एक कैंपस किशनगंज में स्थापित करने की योजना की भी घोषणा की।

राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान ने अपने संबोधन में कहा कि यह देखकर खुशी होती है कि हमारी बेटियां यहां शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत वह देश है, जहां ज्ञान को सरस्वती, धन को लक्ष्मी और शक्ति को देवी के रूप में पूजा जाता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण का जिक्र करते हुए कहा कि अब समय है कि देश को महिलाओं के नेतृत्व में आगे बढ़ाया जाए। महिलाएं डीएम, एसपी जैसे पदों पर अपनी भूमिका निभाएं।

राज्यपाल ने जोर देकर कहा कि समाज में बदलाव के लिए कुछ आवश्यक कदम उठाने होंगे। उन्होंने इंसानियत, रहम और करुणा की भावना को अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि अब तलवार का नहीं, बल्कि ज्ञान का युग है। इस्लाम भी मानव सेवा का संदेश देता है। पत्रकारों से बातचीत में राज्यपाल ने बेटियों को प्रेरित करते हुए कहा कि आसमान उनकी सीमा है। उन्हें हर क्षेत्र में तैयार रहना चाहिए। उन्होंने बेटियों के लिए उपयुक्त माहौल और सुविधाओं की जरूरत पर बल दिया, ताकि वे बिना किसी बाधा के अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर सकें।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि कोई लड़की अपराधी को पकड़ने के लिए दौड़ती है, तो उसका परिधान ऐसा होना चाहिए, जो उसे असुविधा न दे। उन्होंने लैंगिक समानता पर जोर देते हुए कहा कि लड़कियों को भी उतनी ही स्वतंत्रता मिलनी चाहिए, जितनी लड़कों को। यह कार्यक्रम शिक्षा और महिला सशक्तीकरण के प्रति एक सकारात्मक संदेश देने में सफल रहा।


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