ढाई दशक पहले प्रायःअधिकांश किसानों के पास दुधारू गाय व भैंस हुआ करता था। इससे उसके हैसियत का भी पता चलता था। लेकिन समय के साथ बदले परिवेश और लोगों की बदली मानसिकता के कारण दुधारू पशुओं की संख्या घटती जा रही है। वहीं क्षेत्र में भैंस की संख्या में काफी कमी आई है।हालांकि मौजूदा समय में सरकार व पशु पालन विभाग दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु कई कई योजनाएं चला रही है।लेकिन विभागीय शिथिलता के कारण इस दिशा में बड़ी सफलता नहीं मिल पा रहा है।बीते 10 सालों के अंतराल में प्रखंड के विभिन्न गांवों में संचालित आधा दर्जन डेयरी फार्म बंद हो गया।बंद होने के कारणो के बारे में पुछने पर एक डेयरी फार्म के संचालक ने बताया कि मजदुर का अभाव व अन्य कारणो से इसे बंद कर दिया गया।इस संदर्भ में एम जे फार्म अलता कमलपुर के संचालक मुजफ्फर कमाल सबा ने कहा कि डेयरी फार्म फायदा का धंधा है इस वर्ष इस धंधा से जुड़कर शिक्षित बेरोजगार रोजी रोटी अर्जित कर सकते हैं। इस बाबत कन्हैयाबाड़ी निवासी डॉ नागराज शर्मा का कहना है कि दुधारू पशुओं की संख्या में कमी आने से अब दुध की किल्लत से लोग अब जुझ रहे हैं।दुध की किल्लत के चलते लोग।
बाजार में उपलब्ध विभिन्न कंपनियों के उत्पादित सेंथेटिक दुध का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन यह दुध सेहत के लिए काफी नुकसानदेय साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में पशु पालन व डेयरी विकास विभाग दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कटिबद्ध जरुर है। इसके लिए समय समय पर शिक्षित व अशिक्षित बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण देकर इस धंधे से जुड़ने के लिए प्रेरित भी करता है लेकिन विभाग की ओर से संपूर्ण सहयोग नहीं मिलने से प्रशिक्षण प्राप्त बेरोजगार युवक इस धंधा से नहीं जुड़ पा रहा है।
सारस न्यूज़, कोचाधामन, किशनगंज।
ढाई दशक पहले प्रायःअधिकांश किसानों के पास दुधारू गाय व भैंस हुआ करता था। इससे उसके हैसियत का भी पता चलता था। लेकिन समय के साथ बदले परिवेश और लोगों की बदली मानसिकता के कारण दुधारू पशुओं की संख्या घटती जा रही है। वहीं क्षेत्र में भैंस की संख्या में काफी कमी आई है।हालांकि मौजूदा समय में सरकार व पशु पालन विभाग दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु कई कई योजनाएं चला रही है।लेकिन विभागीय शिथिलता के कारण इस दिशा में बड़ी सफलता नहीं मिल पा रहा है।बीते 10 सालों के अंतराल में प्रखंड के विभिन्न गांवों में संचालित आधा दर्जन डेयरी फार्म बंद हो गया।बंद होने के कारणो के बारे में पुछने पर एक डेयरी फार्म के संचालक ने बताया कि मजदुर का अभाव व अन्य कारणो से इसे बंद कर दिया गया।इस संदर्भ में एम जे फार्म अलता कमलपुर के संचालक मुजफ्फर कमाल सबा ने कहा कि डेयरी फार्म फायदा का धंधा है इस वर्ष इस धंधा से जुड़कर शिक्षित बेरोजगार रोजी रोटी अर्जित कर सकते हैं। इस बाबत कन्हैयाबाड़ी निवासी डॉ नागराज शर्मा का कहना है कि दुधारू पशुओं की संख्या में कमी आने से अब दुध की किल्लत से लोग अब जुझ रहे हैं।दुध की किल्लत के चलते लोग।
बाजार में उपलब्ध विभिन्न कंपनियों के उत्पादित सेंथेटिक दुध का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन यह दुध सेहत के लिए काफी नुकसानदेय साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में पशु पालन व डेयरी विकास विभाग दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कटिबद्ध जरुर है। इसके लिए समय समय पर शिक्षित व अशिक्षित बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण देकर इस धंधे से जुड़ने के लिए प्रेरित भी करता है लेकिन विभाग की ओर से संपूर्ण सहयोग नहीं मिलने से प्रशिक्षण प्राप्त बेरोजगार युवक इस धंधा से नहीं जुड़ पा रहा है।
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