जैन पर्युषण पर्व का सोमवार को दूसरा दिवस मनाया गया। आठ दिवसीय पर्युषण पर्व का द्वितीय दिवस स्वाध्याय दिवस के रूप में मनाया गया। किशनगंज तेरापंथ भवन में दो उपासक सुशील कुमार बाफना एवं सुमेरमल बैद इस पर्व के मद्देनजर किशनगंज प्रवास पर हैं। उपस्थित श्रावक समाज को उन्होंने स्वाध्याय दिवस पर बताया कि बारह प्रकार के तप में एक तप है “स्वाध्याय” उन्होंने बताया कि स्वाध्याय मुख्य रूप से पांच प्रकार के माने गए है।
पहला है वाचना जिसमे सत साहित्य का अनुशीलन करना बताया गया है। दूसरा प्रकार है पृच्छना जिसमे ज्ञान वृद्धि के लिए जिज्ञासापूर्वक प्रश्नोत्तर करना बताया गया है। तीसरा प्रकार है पुनरावर्तना, इसमे प्राप्त ज्ञान का बार-बार पुनरावर्तन करना,उसे दोहराना बताया गया है। इसके बाद अनुप्रेक्ष जिसमे तत्त्व का गहरा चिंतन, अनुचिंतन करना होता है और अंतिम प्रकार है धर्मकथा इसमे धार्मिक विषयों पर चर्चा, उपदेश एवं प्रवचन आदि करना होता है। उपासक द्वय ने तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्यों द्वारा रचित साहित्य की चर्चा करते हुए एक साल में एक पुस्तक पढ़ने या प्रतिदिन कुछ समय के लिए स्वाध्याय करने की प्रेरणा दी। सभी श्रावकों से निवेदन किया कि अधिक से अधिक संख्या स्वाध्याय दिवस पर त्याग-जप-तप कर अपनी आत्मा का उत्थान करें।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
जैन पर्युषण पर्व का सोमवार को दूसरा दिवस मनाया गया। आठ दिवसीय पर्युषण पर्व का द्वितीय दिवस स्वाध्याय दिवस के रूप में मनाया गया। किशनगंज तेरापंथ भवन में दो उपासक सुशील कुमार बाफना एवं सुमेरमल बैद इस पर्व के मद्देनजर किशनगंज प्रवास पर हैं। उपस्थित श्रावक समाज को उन्होंने स्वाध्याय दिवस पर बताया कि बारह प्रकार के तप में एक तप है “स्वाध्याय” उन्होंने बताया कि स्वाध्याय मुख्य रूप से पांच प्रकार के माने गए है।
पहला है वाचना जिसमे सत साहित्य का अनुशीलन करना बताया गया है। दूसरा प्रकार है पृच्छना जिसमे ज्ञान वृद्धि के लिए जिज्ञासापूर्वक प्रश्नोत्तर करना बताया गया है। तीसरा प्रकार है पुनरावर्तना, इसमे प्राप्त ज्ञान का बार-बार पुनरावर्तन करना,उसे दोहराना बताया गया है। इसके बाद अनुप्रेक्ष जिसमे तत्त्व का गहरा चिंतन, अनुचिंतन करना होता है और अंतिम प्रकार है धर्मकथा इसमे धार्मिक विषयों पर चर्चा, उपदेश एवं प्रवचन आदि करना होता है। उपासक द्वय ने तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्यों द्वारा रचित साहित्य की चर्चा करते हुए एक साल में एक पुस्तक पढ़ने या प्रतिदिन कुछ समय के लिए स्वाध्याय करने की प्रेरणा दी। सभी श्रावकों से निवेदन किया कि अधिक से अधिक संख्या स्वाध्याय दिवस पर त्याग-जप-तप कर अपनी आत्मा का उत्थान करें।
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