बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) ने सोमवार को एक बड़ा राजनीतिक कदम उठाते हुए घोषणा की कि वह राज्य की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसी के साथ पार्टी ने अपने पहले चरण की 11 उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर दी है, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।
यह घोषणा तब सामने आई जब मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा की। चुनाव दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होंगे, जबकि 14 नवंबर को मतगणना के बाद परिणाम घोषित किए जाएंगे। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद आम आदमी पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति को सार्वजनिक करते हुए स्पष्ट कर दिया कि वह बिहार में पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरने जा रही है।
AAP के बिहार प्रभारी अजेश यादव ने पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पार्टी को पूरा विश्वास है कि वह दिल्ली और पंजाब में अपनाए गए शासन और विकास मॉडल को बिहार में भी सफलतापूर्वक लागू कर सकती है। उन्होंने कहा कि हमारे पास एक स्वीकृत मॉडल है जिसे देशभर में सराहा जा रहा है। पूर्वांचल क्षेत्र के लोगों ने दिल्ली में हमारी सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। हमारे राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि अगर वे दिल्ली में सरकार बना सकते हैं, तो बिहार में क्यों नहीं?
पार्टी द्वारा घोषित 11 उम्मीदवारों में विभिन्न जिलों और सामाजिक पृष्ठभूमियों से आने वाले नाम शामिल हैं। डॉ. मीरा सिंह को बेगूसराय से टिकट दिया गया है। भानु भारतीय को पूर्णिया जिले की कसबा विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। पटना जिले की बांकीपुर सीट से पंकज कुमार को मैदान में उतारा गया है, जबकि फुलवारी शरीफ से अरुण कुमार रजक को टिकट मिला है। बक्सर से सेवानिवृत्त कैप्टन धर्मराज सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है। मोतिहारी के गोविंदगंज से अशोक कुमार सिंह को टिकट दिया गया है।
इसके अलावा कुशेश्वरस्थान से योगी चौपाल, तरैया से अमित कुमार सिंह, बेनीपट्टी से शुभदा यादव, किशनगंज से अशरफ आलम और परिहार से अखिलेश नारायण ठाकुर को उम्मीदवार घोषित किया गया है। इन नामों के चयन से स्पष्ट है कि पार्टी ने सामाजिक संतुलन और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति तैयार की है।
AAP के राज्य सह-प्रभारी अभिनव राय ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी किसी भी राजनीतिक दल या गठबंधन के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि हमारा गठबंधन बिहार की जनता के साथ है। हम किसी पार्टी या गठबंधन से नहीं जुड़ेंगे। यह बयान बिहार की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में AAP की स्वतंत्र रणनीति को दर्शाता है।
अजेश यादव ने दिल्ली और पंजाब में शिक्षा, स्वास्थ्य और जनकल्याण के क्षेत्र में AAP की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा कि जहां कुछ लोग सुधारों की बात अभी शुरू कर रहे हैं, वहीं हमने उन्हें जमीन पर पहले ही लागू कर दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी जल्द ही अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी करेगी। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह और भगवंत मान जैसे शीर्ष नेता पहले भी बिहार का दौरा कर चुके हैं और चुनाव प्रचार में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
AAP की यह रणनीति बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है। सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान और गठबंधन से दूरी की नीति यह दर्शाती है कि पार्टी राज्य में स्वतंत्र और मजबूत विकल्प के रूप में खुद को स्थापित करना चाहती है। दिल्ली और पंजाब में सफल मॉडल को बिहार में लागू करने की योजना के साथ, AAP ने चुनावी मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है।
पार्टी के इस कदम को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर AAP अपने वादों और मॉडल को सही तरीके से प्रस्तुत कर पाती है, तो वह बिहार की राजनीति में एक प्रभावशाली भूमिका निभा सकती है।
अब देखना यह होगा कि जनता इस नए विकल्प को कितना समर्थन देती है और क्या आम आदमी पार्टी बिहार में भी अपनी पहचान बना पाती है।
प्रतिनिधि, सारस न्यूज़, पूर्णिया।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) ने सोमवार को एक बड़ा राजनीतिक कदम उठाते हुए घोषणा की कि वह राज्य की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसी के साथ पार्टी ने अपने पहले चरण की 11 उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर दी है, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।
यह घोषणा तब सामने आई जब मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा की। चुनाव दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होंगे, जबकि 14 नवंबर को मतगणना के बाद परिणाम घोषित किए जाएंगे। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद आम आदमी पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति को सार्वजनिक करते हुए स्पष्ट कर दिया कि वह बिहार में पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरने जा रही है।
AAP के बिहार प्रभारी अजेश यादव ने पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पार्टी को पूरा विश्वास है कि वह दिल्ली और पंजाब में अपनाए गए शासन और विकास मॉडल को बिहार में भी सफलतापूर्वक लागू कर सकती है। उन्होंने कहा कि हमारे पास एक स्वीकृत मॉडल है जिसे देशभर में सराहा जा रहा है। पूर्वांचल क्षेत्र के लोगों ने दिल्ली में हमारी सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। हमारे राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि अगर वे दिल्ली में सरकार बना सकते हैं, तो बिहार में क्यों नहीं?
पार्टी द्वारा घोषित 11 उम्मीदवारों में विभिन्न जिलों और सामाजिक पृष्ठभूमियों से आने वाले नाम शामिल हैं। डॉ. मीरा सिंह को बेगूसराय से टिकट दिया गया है। भानु भारतीय को पूर्णिया जिले की कसबा विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। पटना जिले की बांकीपुर सीट से पंकज कुमार को मैदान में उतारा गया है, जबकि फुलवारी शरीफ से अरुण कुमार रजक को टिकट मिला है। बक्सर से सेवानिवृत्त कैप्टन धर्मराज सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है। मोतिहारी के गोविंदगंज से अशोक कुमार सिंह को टिकट दिया गया है।
इसके अलावा कुशेश्वरस्थान से योगी चौपाल, तरैया से अमित कुमार सिंह, बेनीपट्टी से शुभदा यादव, किशनगंज से अशरफ आलम और परिहार से अखिलेश नारायण ठाकुर को उम्मीदवार घोषित किया गया है। इन नामों के चयन से स्पष्ट है कि पार्टी ने सामाजिक संतुलन और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति तैयार की है।
AAP के राज्य सह-प्रभारी अभिनव राय ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी किसी भी राजनीतिक दल या गठबंधन के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि हमारा गठबंधन बिहार की जनता के साथ है। हम किसी पार्टी या गठबंधन से नहीं जुड़ेंगे। यह बयान बिहार की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में AAP की स्वतंत्र रणनीति को दर्शाता है।
अजेश यादव ने दिल्ली और पंजाब में शिक्षा, स्वास्थ्य और जनकल्याण के क्षेत्र में AAP की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा कि जहां कुछ लोग सुधारों की बात अभी शुरू कर रहे हैं, वहीं हमने उन्हें जमीन पर पहले ही लागू कर दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी जल्द ही अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी करेगी। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह और भगवंत मान जैसे शीर्ष नेता पहले भी बिहार का दौरा कर चुके हैं और चुनाव प्रचार में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
AAP की यह रणनीति बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है। सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान और गठबंधन से दूरी की नीति यह दर्शाती है कि पार्टी राज्य में स्वतंत्र और मजबूत विकल्प के रूप में खुद को स्थापित करना चाहती है। दिल्ली और पंजाब में सफल मॉडल को बिहार में लागू करने की योजना के साथ, AAP ने चुनावी मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है।
पार्टी के इस कदम को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर AAP अपने वादों और मॉडल को सही तरीके से प्रस्तुत कर पाती है, तो वह बिहार की राजनीति में एक प्रभावशाली भूमिका निभा सकती है।
अब देखना यह होगा कि जनता इस नए विकल्प को कितना समर्थन देती है और क्या आम आदमी पार्टी बिहार में भी अपनी पहचान बना पाती है।
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