आज से ठीक 35 साल पहले, चीन ने अपनी सैन्य और वैज्ञानिक क्षमताओं का दुनिया को परिचय कराते हुए अपना पहला सफल परमाणु परीक्षण किया। यह ऐतिहासिक परीक्षण 16 अगस्त 1990 को किया गया था, जिसने चीन को औपचारिक रूप से परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल कर दिया।
तत्कालीन अंतरराष्ट्रीय माहौल में यह परीक्षण भू-राजनीतिक रूप से बेहद अहम माना गया। चीन का यह कदम वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित करने वाला साबित हुआ। परीक्षण ने न केवल उसकी सैन्य क्षमता को उजागर किया, बल्कि तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक बड़ा संदेश दिया।
परीक्षण का स्थान चीन के शिनजियांग प्रांत स्थित लोप नूर (Lop Nur) परीक्षण स्थल था, जहाँ पहले भी कई गुप्त अनुसंधान किए गए थे। इसके बाद चीन ने अपने परमाणु कार्यक्रम में लगातार प्रगति की और वह आज विश्व के प्रमुख परमाणु हथियार संपन्न देशों में शामिल है।
इतिहास की नज़र से: हालांकि चीन ने पहला परमाणु परीक्षण 1964 में ही कर लिया था, लेकिन 1990 में किया गया यह परीक्षण तकनीकी रूप से एक उन्नत और सामरिक दृष्टिकोण से अधिक प्रभावशाली माना जाता है। यह चीन की नई रणनीतिक दिशा और रक्षा नीति का प्रतीक बन गया।
निष्कर्ष: चीन का यह परमाणु परीक्षण सिर्फ एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संकेत था कि वह वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहता है। 16 अगस्त 1990 का यह दिन इतिहास में चीन की परमाणु ताकत की निर्णायक शुरुआत के रूप में दर्ज हो गया।
सारस न्यूज, वेब डेस्क।
आज से ठीक 35 साल पहले, चीन ने अपनी सैन्य और वैज्ञानिक क्षमताओं का दुनिया को परिचय कराते हुए अपना पहला सफल परमाणु परीक्षण किया। यह ऐतिहासिक परीक्षण 16 अगस्त 1990 को किया गया था, जिसने चीन को औपचारिक रूप से परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल कर दिया।
तत्कालीन अंतरराष्ट्रीय माहौल में यह परीक्षण भू-राजनीतिक रूप से बेहद अहम माना गया। चीन का यह कदम वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित करने वाला साबित हुआ। परीक्षण ने न केवल उसकी सैन्य क्षमता को उजागर किया, बल्कि तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक बड़ा संदेश दिया।
परीक्षण का स्थान चीन के शिनजियांग प्रांत स्थित लोप नूर (Lop Nur) परीक्षण स्थल था, जहाँ पहले भी कई गुप्त अनुसंधान किए गए थे। इसके बाद चीन ने अपने परमाणु कार्यक्रम में लगातार प्रगति की और वह आज विश्व के प्रमुख परमाणु हथियार संपन्न देशों में शामिल है।
इतिहास की नज़र से: हालांकि चीन ने पहला परमाणु परीक्षण 1964 में ही कर लिया था, लेकिन 1990 में किया गया यह परीक्षण तकनीकी रूप से एक उन्नत और सामरिक दृष्टिकोण से अधिक प्रभावशाली माना जाता है। यह चीन की नई रणनीतिक दिशा और रक्षा नीति का प्रतीक बन गया।
निष्कर्ष: चीन का यह परमाणु परीक्षण सिर्फ एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संकेत था कि वह वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहता है। 16 अगस्त 1990 का यह दिन इतिहास में चीन की परमाणु ताकत की निर्णायक शुरुआत के रूप में दर्ज हो गया।
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