17 अगस्त 1917 को प्रथम विश्व युद्ध के बदलते परिदृश्य में आज के तारीख में एक बड़ा और निर्णायक कदम सामने आया था। इटली ने आधिकारिक रूप से तुर्की (उस्मानी साम्राज्य) के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दिया। यह निर्णय मित्र राष्ट्रों (एंटी एंटेंटे) की रणनीति को और मज़बूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी माना जा रहा है।
तत्कालीन इटालियन सरकार ने यह स्पष्ट किया कि तुर्की द्वारा जर्मनी और ऑस्ट्रिया-हंगरी के पक्ष में युद्ध में भाग लेना, शुरू हो गया। भूमध्यसागरीय क्षेत्र में इटली के हितों को सीधा खतरा पहुँचा रहा था। तुर्की की सैन्य गतिविधियों और रणनीतिक गठबंधनों ने इटली को इस संघर्ष में खुलकर भाग लेने पर विवश कर दिया।
इस घोषणा के साथ ही इटली ने अपनी सैन्य तैयारियों को तेज़ कर दिया है, और मध्य-पूर्व में तुर्की के कब्ज़े वाले क्षेत्रों में दबाव बनाने की योजना पर कार्य शुरू हो गया था। विशेषज्ञों का मानना था कि यह कदम उस्मानी साम्राज्य की स्थिति को और कमज़ोर कर सकता है, जो पहले ही विभिन्न मोर्चों पर संघर्ष कर रहा था।
यह युद्ध की दिशा में एक और निर्णायक मोड़ था, जो आने वाले महीनों में यूरोप और एशिया की राजनीतिक स्थिति को गहराई से प्रभावित करेगा।
सारस न्यूज, वेब डेस्क।
17 अगस्त 1917 को प्रथम विश्व युद्ध के बदलते परिदृश्य में आज के तारीख में एक बड़ा और निर्णायक कदम सामने आया था। इटली ने आधिकारिक रूप से तुर्की (उस्मानी साम्राज्य) के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दिया। यह निर्णय मित्र राष्ट्रों (एंटी एंटेंटे) की रणनीति को और मज़बूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी माना जा रहा है।
तत्कालीन इटालियन सरकार ने यह स्पष्ट किया कि तुर्की द्वारा जर्मनी और ऑस्ट्रिया-हंगरी के पक्ष में युद्ध में भाग लेना, शुरू हो गया। भूमध्यसागरीय क्षेत्र में इटली के हितों को सीधा खतरा पहुँचा रहा था। तुर्की की सैन्य गतिविधियों और रणनीतिक गठबंधनों ने इटली को इस संघर्ष में खुलकर भाग लेने पर विवश कर दिया।
इस घोषणा के साथ ही इटली ने अपनी सैन्य तैयारियों को तेज़ कर दिया है, और मध्य-पूर्व में तुर्की के कब्ज़े वाले क्षेत्रों में दबाव बनाने की योजना पर कार्य शुरू हो गया था। विशेषज्ञों का मानना था कि यह कदम उस्मानी साम्राज्य की स्थिति को और कमज़ोर कर सकता है, जो पहले ही विभिन्न मोर्चों पर संघर्ष कर रहा था।
यह युद्ध की दिशा में एक और निर्णायक मोड़ था, जो आने वाले महीनों में यूरोप और एशिया की राजनीतिक स्थिति को गहराई से प्रभावित करेगा।
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