अररिया ज़िले की छह विधानसभा सीटों—नरपतगंज, रानीगंज (SC), फारबिसगंज, अररिया, जोकीहाट और सिकटी—पर इस बार चुनावी मुकाबला बेहद रोमांचक रहा। हर सीट पर आख़िर तक कांटे की टक्कर देखने को मिली। वोटों की गिनती के दौरान किसी भी दल के लिए जीत आसान नहीं दिख रही थी और बढ़त का खेल लगातार उलट-पुलट होता रहा।
आख़िरकार इस कड़े संघर्ष के बीच महागठबंधन (MGB) ने बढ़त बनाते हुए तीन सीटें अपने नाम कर लीं। वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को दो सीटों पर जीत मिली। इस बार का बड़ा सरप्राइज़ रहा एआईएमआईएम (AIMIM) का प्रदर्शन, जिसने एक सीट पर जीत दर्ज कर राजनीतिक समीकरणों को दिलचस्प बना दिया।
दिलचस्प बात यह है कि पिछले विधानसभा चुनावों में तस्वीर बिल्कुल अलग थी। तब NDA ने छह में से चार सीटों पर कब्ज़ा जमाया था, जबकि महागठबंधन सिर्फ दो सीटें जीत पाया था। यानी इस बार जनता के मूड में बड़ा बदलाव देखने को मिला है और अररिया के राजनीतिक परिदृश्य में नई गहमागहमी पैदा हो गई है।
विशेष रूप से ध्यान देने वाली बात यह रही कि सिकटी सीट को छोड़कर बाकी पाँचों क्षेत्रों में शुरू से लेकर आख़िर तक मुकाबला बेहद करीबी रहा। कभी MGB आगे तो कभी NDA बढ़त लेता दिखा। AIMIM की मौजूदगी ने कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला पैदा किया और परिणामों में नए आयाम जोड़ दिए।
इस तरह अररिया ज़िले का चुनाव परिणाम न सिर्फ़ स्थानीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण रहा, बल्कि राज्य की राजनीति में भी इसके असर को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गई हैं।
सारस न्यूज, वेब डेस्क।
अररिया ज़िले की छह विधानसभा सीटों—नरपतगंज, रानीगंज (SC), फारबिसगंज, अररिया, जोकीहाट और सिकटी—पर इस बार चुनावी मुकाबला बेहद रोमांचक रहा। हर सीट पर आख़िर तक कांटे की टक्कर देखने को मिली। वोटों की गिनती के दौरान किसी भी दल के लिए जीत आसान नहीं दिख रही थी और बढ़त का खेल लगातार उलट-पुलट होता रहा।
आख़िरकार इस कड़े संघर्ष के बीच महागठबंधन (MGB) ने बढ़त बनाते हुए तीन सीटें अपने नाम कर लीं। वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को दो सीटों पर जीत मिली। इस बार का बड़ा सरप्राइज़ रहा एआईएमआईएम (AIMIM) का प्रदर्शन, जिसने एक सीट पर जीत दर्ज कर राजनीतिक समीकरणों को दिलचस्प बना दिया।
दिलचस्प बात यह है कि पिछले विधानसभा चुनावों में तस्वीर बिल्कुल अलग थी। तब NDA ने छह में से चार सीटों पर कब्ज़ा जमाया था, जबकि महागठबंधन सिर्फ दो सीटें जीत पाया था। यानी इस बार जनता के मूड में बड़ा बदलाव देखने को मिला है और अररिया के राजनीतिक परिदृश्य में नई गहमागहमी पैदा हो गई है।
विशेष रूप से ध्यान देने वाली बात यह रही कि सिकटी सीट को छोड़कर बाकी पाँचों क्षेत्रों में शुरू से लेकर आख़िर तक मुकाबला बेहद करीबी रहा। कभी MGB आगे तो कभी NDA बढ़त लेता दिखा। AIMIM की मौजूदगी ने कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला पैदा किया और परिणामों में नए आयाम जोड़ दिए।
इस तरह अररिया ज़िले का चुनाव परिणाम न सिर्फ़ स्थानीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण रहा, बल्कि राज्य की राजनीति में भी इसके असर को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गई हैं।
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