इस्कॉन मंदिर, सिलीगुड़ी में मंगलवार को भगवान जगन्नाथ की स्नान यात्रा का आयोजन किया गया। ज्येष्ठ माह के पूर्णिमा के अवसर पर दूध, दही, घी, फलों के रस से भगवान जगन्नाथ का अभिषेक किया गया। मंदिर में रहने वाले साधु संतों ने पूरे विधि विधान के साथ अभिषेक किया। इस मौके पर मंदिर में पहुंचे सभी श्रद्धालुओं को भी भगवान जगन्नाथ का अभिषेक करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। भगवान को खूब स्नान कराया गया। श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। अब उनके बीमार पड़ने का इंतजार है।
मान्यता के अनुसार, ज्येष्ठ माह के पूर्णिमा के दिन ज्यादा स्नान करने से भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं। इसके बााद वे 14 दिन के अज्ञातवास में रहेंगे। मंदिर के पुजारियों द्वारा आयुर्वेदिक औषधियों से उनका इलाज किया जाएगा। उबले हए भोजन का भोग लगाया जाएगा ताकि वह जल्दी स्वस्थ हो जाएं। जब वे स्वस्थ हो जाएंगे तब बहन सुभद्रा, भाई बलभद्र के साथ मौसी के घर की ओर रवाना होंगी। इस दिन को रथ यात्रा उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। एक जुलाई को रथ उत्सव मनाया जाएगा। इस्कॉन मंदिर से रथ यात्रा की शुरुआत होगी। भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के साथ नौ दिनों तक मौसी के घर में रहने के पश्चात जब अपने घर लौटेंगे तो उल्टा रथ उत्सव मनाया जाएगा। आज इस्कॉन मंदिर के अलावा शहर में भगवान जगन्नाथ के अन्य मंदिरों में भी स्नान यात्रा का आयोजन किया गया।
मंदिर पहुंचे भक्तों का कहना था कि अभिषेक और स्नान पूजा में शामिल होना एक विशेष आनंद की अनुभूति प्रदान करता है। पिछले दो सालों से श्रद्धालुओं को भगवान का अभिषेक करने का मौका नहीं मिला था। किंतु इस वर्ष भगवान जगन्नाथ का अभिषेक कर मन को बेहद शांति मिल रही है।
उल्लेखनीय है कि इस दिन से देवी दुर्गा का पंडाल बनाने हेतु खूंटी पूजन इत्यादि का कार्य में शुरू हो जाता है। रथ उत्सव के दिन देवी प्रतिमा को बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा।
सारस न्यूज टीम, सिलिगुड़ी।
इस्कॉन मंदिर, सिलीगुड़ी में मंगलवार को भगवान जगन्नाथ की स्नान यात्रा का आयोजन किया गया। ज्येष्ठ माह के पूर्णिमा के अवसर पर दूध, दही, घी, फलों के रस से भगवान जगन्नाथ का अभिषेक किया गया। मंदिर में रहने वाले साधु संतों ने पूरे विधि विधान के साथ अभिषेक किया। इस मौके पर मंदिर में पहुंचे सभी श्रद्धालुओं को भी भगवान जगन्नाथ का अभिषेक करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। भगवान को खूब स्नान कराया गया। श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। अब उनके बीमार पड़ने का इंतजार है।
मान्यता के अनुसार, ज्येष्ठ माह के पूर्णिमा के दिन ज्यादा स्नान करने से भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं। इसके बााद वे 14 दिन के अज्ञातवास में रहेंगे। मंदिर के पुजारियों द्वारा आयुर्वेदिक औषधियों से उनका इलाज किया जाएगा। उबले हए भोजन का भोग लगाया जाएगा ताकि वह जल्दी स्वस्थ हो जाएं। जब वे स्वस्थ हो जाएंगे तब बहन सुभद्रा, भाई बलभद्र के साथ मौसी के घर की ओर रवाना होंगी। इस दिन को रथ यात्रा उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। एक जुलाई को रथ उत्सव मनाया जाएगा। इस्कॉन मंदिर से रथ यात्रा की शुरुआत होगी। भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के साथ नौ दिनों तक मौसी के घर में रहने के पश्चात जब अपने घर लौटेंगे तो उल्टा रथ उत्सव मनाया जाएगा। आज इस्कॉन मंदिर के अलावा शहर में भगवान जगन्नाथ के अन्य मंदिरों में भी स्नान यात्रा का आयोजन किया गया।
मंदिर पहुंचे भक्तों का कहना था कि अभिषेक और स्नान पूजा में शामिल होना एक विशेष आनंद की अनुभूति प्रदान करता है। पिछले दो सालों से श्रद्धालुओं को भगवान का अभिषेक करने का मौका नहीं मिला था। किंतु इस वर्ष भगवान जगन्नाथ का अभिषेक कर मन को बेहद शांति मिल रही है।
उल्लेखनीय है कि इस दिन से देवी दुर्गा का पंडाल बनाने हेतु खूंटी पूजन इत्यादि का कार्य में शुरू हो जाता है। रथ उत्सव के दिन देवी प्रतिमा को बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा।
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