सिलीगुड़ी महकमा के खोरीबाड़ी बुढ़ागंज ग्राम पंचायत के गुवाबारी इलाके में एक निजी ज़मीनी विवाद के चलते सरकारी पेयजल परियोजना पर ताला लगने से एक सौ परिवार पिछले एक हफ़्ते से पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इसी गांव के कुमार सिंह नामक व्यक्ति के कारण यह समस्या उत्पन्न हो गई है। पानी की किल्लत से तबाह ग्रामीणों का कहना है कि गांव में जलस्तर बहुत कम होने के कारण गांव के कुओं और चापाकलों में आसानी से पानी नहीं आ रहा है। यह सरकारी पेयजल परियोजना ही ग्रामीणों की एकमात्र उम्मीद थी। लेकिन पिछले सात दिनों से इस परियोजना पर ताला लगा हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि पानी की कमी का असर खाना पकाने से लेकर अन्य रोज़मर्रा के कामों, यहां तक कि पशुओं की देखभाल पर भी पड़ रहा है। लंबे समय से पानी की कमी से ग्रामीणों में गहरा रोष है। उनका आरोप है कि स्थानीय अधिकारियों से शिकायत के बावजूद अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है।
दूसरी ओर, कुमार सिंह ने अपने इस कदम के समर्थन में एक अलग तर्क दिया है। उनका दावा है कि प्लांट उनकी निजी ज़मीन पर लगाया गया था। प्लांट की स्थापना के दौरान उन्हें नौकरी देने का वादा किया गया था, जो पूरा नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “मैंने इस बारे में कई सरकारी अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसलिए मुझे मजबूरन यह कदम उठाना पड़ा।”
गांव के आम लोग इस निजी विवाद का शिकार नहीं बनना चाहते। उनकी बस यही मांग है कि प्रशासन जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करे और पेयजल आपूर्ति सामान्य करे। स्थानीय निवासी सुलेखा सिंह ने कहा, “हमारा जीवन ठहर सा गया है। अब सबसे पहले हमें पानी चाहिए। प्रशासन को जल्द हस्तक्षेप कर ताला खुलवाने की व्यवस्था करनी चाहिए।”
इस संबंध में खोरीबाड़ी बीडीओ दीप्ति साव ने कहा, “स्थानीय प्रधान ने मुझे इसकी जानकारी दी है। जिस व्यक्ति ने पहले ज़मीन दान की थी, वह खुद काम करना चाहता है। लेकिन पीएचई विभाग ने पहले ही एक जल ऑपरेटर नियुक्त कर दिया है। इसी वजह से दोनों पक्षों के बीच विवाद है।” उन्होंने आगे कहा, “हमने पीएचई विभाग के एक इंजीनियर को पंचायत भेजा है ताकि समस्या का समाधान वहीं हो सके। अगर पंचायत स्तर पर समस्या का समाधान नहीं होता है, तो बीडीओ कार्यालय में मामला सुलझाया जाएगा।”
सारस न्यूज, सिलीगुड़ी।
सिलीगुड़ी महकमा के खोरीबाड़ी बुढ़ागंज ग्राम पंचायत के गुवाबारी इलाके में एक निजी ज़मीनी विवाद के चलते सरकारी पेयजल परियोजना पर ताला लगने से एक सौ परिवार पिछले एक हफ़्ते से पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इसी गांव के कुमार सिंह नामक व्यक्ति के कारण यह समस्या उत्पन्न हो गई है। पानी की किल्लत से तबाह ग्रामीणों का कहना है कि गांव में जलस्तर बहुत कम होने के कारण गांव के कुओं और चापाकलों में आसानी से पानी नहीं आ रहा है। यह सरकारी पेयजल परियोजना ही ग्रामीणों की एकमात्र उम्मीद थी। लेकिन पिछले सात दिनों से इस परियोजना पर ताला लगा हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि पानी की कमी का असर खाना पकाने से लेकर अन्य रोज़मर्रा के कामों, यहां तक कि पशुओं की देखभाल पर भी पड़ रहा है। लंबे समय से पानी की कमी से ग्रामीणों में गहरा रोष है। उनका आरोप है कि स्थानीय अधिकारियों से शिकायत के बावजूद अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है।
दूसरी ओर, कुमार सिंह ने अपने इस कदम के समर्थन में एक अलग तर्क दिया है। उनका दावा है कि प्लांट उनकी निजी ज़मीन पर लगाया गया था। प्लांट की स्थापना के दौरान उन्हें नौकरी देने का वादा किया गया था, जो पूरा नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “मैंने इस बारे में कई सरकारी अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसलिए मुझे मजबूरन यह कदम उठाना पड़ा।”
गांव के आम लोग इस निजी विवाद का शिकार नहीं बनना चाहते। उनकी बस यही मांग है कि प्रशासन जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करे और पेयजल आपूर्ति सामान्य करे। स्थानीय निवासी सुलेखा सिंह ने कहा, “हमारा जीवन ठहर सा गया है। अब सबसे पहले हमें पानी चाहिए। प्रशासन को जल्द हस्तक्षेप कर ताला खुलवाने की व्यवस्था करनी चाहिए।”
इस संबंध में खोरीबाड़ी बीडीओ दीप्ति साव ने कहा, “स्थानीय प्रधान ने मुझे इसकी जानकारी दी है। जिस व्यक्ति ने पहले ज़मीन दान की थी, वह खुद काम करना चाहता है। लेकिन पीएचई विभाग ने पहले ही एक जल ऑपरेटर नियुक्त कर दिया है। इसी वजह से दोनों पक्षों के बीच विवाद है।” उन्होंने आगे कहा, “हमने पीएचई विभाग के एक इंजीनियर को पंचायत भेजा है ताकि समस्या का समाधान वहीं हो सके। अगर पंचायत स्तर पर समस्या का समाधान नहीं होता है, तो बीडीओ कार्यालय में मामला सुलझाया जाएगा।”
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