एकता समाज, खपरैल फूलबाड़ी के प्रांगण में 34वां नेपाली भाषा मान्यता दिवस बड़े ही उत्साह और गरिमा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर समाज के वरिष्ठ सदस्य, युवावर्ग सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित रहे।के साथ मनाया गया। इस अवसर पर समाज के वरिष्ठ सदस्य, युवावर्ग सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और स्वागत भाषण से हुई, जिसके बाद समाज के विभिन्न सदस्यों ने क्रमवार अपने विचार साझा किए। समाज के अध्यक्ष आइ.बी. लिम्बु ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नेपाली भाषा को संविधान में मिली मान्यता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को साझा किया।
उन्होंने बताया कि 20 अगस्त 1992 को नेपाली भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान दिया गया, जिससे यह भारत की एक मान्यता प्राप्त भाषाओं में शामिल हुई। उन्होंने कहा, “हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं और अपेक्षा करते हैं कि हमारी मातृभाषा नेपाली को भी वह सम्मान मिले जिसकी वह हकदार है।”
कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी हुईं, जिसमें युवाओं ने नेपाली गीतों और नृत्यों के माध्यम से भाषा और संस्कृति के प्रति अपनी आस्था प्रकट की।
यह दिवस विशेष रूप से भारत के तराई क्षेत्र में रहने वाले नेपाली भाषी समुदाय द्वारा हर्षोल्लास से मनाया जाता है, जो अपनी भाषा, संस्कृति और पहचान को सहेजने का प्रतीक है।
सारस न्यूज, सिलीगुड़ी।
एकता समाज, खपरैल फूलबाड़ी के प्रांगण में 34वां नेपाली भाषा मान्यता दिवस बड़े ही उत्साह और गरिमा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर समाज के वरिष्ठ सदस्य, युवावर्ग सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित रहे।के साथ मनाया गया। इस अवसर पर समाज के वरिष्ठ सदस्य, युवावर्ग सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और स्वागत भाषण से हुई, जिसके बाद समाज के विभिन्न सदस्यों ने क्रमवार अपने विचार साझा किए। समाज के अध्यक्ष आइ.बी. लिम्बु ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नेपाली भाषा को संविधान में मिली मान्यता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को साझा किया।
उन्होंने बताया कि 20 अगस्त 1992 को नेपाली भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान दिया गया, जिससे यह भारत की एक मान्यता प्राप्त भाषाओं में शामिल हुई। उन्होंने कहा, “हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं और अपेक्षा करते हैं कि हमारी मातृभाषा नेपाली को भी वह सम्मान मिले जिसकी वह हकदार है।”
कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी हुईं, जिसमें युवाओं ने नेपाली गीतों और नृत्यों के माध्यम से भाषा और संस्कृति के प्रति अपनी आस्था प्रकट की।
यह दिवस विशेष रूप से भारत के तराई क्षेत्र में रहने वाले नेपाली भाषी समुदाय द्वारा हर्षोल्लास से मनाया जाता है, जो अपनी भाषा, संस्कृति और पहचान को सहेजने का प्रतीक है।
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