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शीतला अष्टमी के अवसर पर मारवाड़ी समुदाय के लोगों ने की पूजा अर्चना

सारस न्यूज़ टीम, सारस न्यूज़।

नगर क्षेत्र ठाकुरगंज में अवस्थित जगनाथ मंदिर में स्थापित शीतला माता मंदिर में शीतलाष्टमी के अवसर पर लोगो ने स्वास्थ्य एवं सुख समृद्धि की कामना को लेकर माता शीतला का पूजन किया गया। सुबह से ही लोग  पूजा के लिए जुटने लगे थे। बासोड़ा के नाम से प्रसिद्ध इस पूजन में राजस्थान हरियाणा आदि क्षेत्र के लोग इस दिन माता शीतला को ठंडे पकवानों का भोग लगाते है और स्वयं भी ठंडा भोजन ही करते है। इसके लिए विभिन्न प्रकार के पकवान एक दिन पूर्व बनाकर शीतला माता का पूजन कर भोग चढ़ाते है और अपने परिवार के स्वास्थ्य की रक्षा के साथ सुख समृद्धि की कामना करते है। आस्था के इस पूजन पर्व की राजस्थानी हरियाणवी परिवारों में बहुत मान्यता है।  

बताते चले चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला शीतला अष्टमी पर्व हिन्दू धर्मावलंबियों का एक प्रमुख पर्व है, जिसमें शीतला माता का व्रत और पूजन किया जाता हैं। यह पर्व होली सम्पन्न होने के अगले सप्ताह में किया जाता हैं। प्रायः शीतला माता की पूजा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को की जाती है, लेकिन कुछ स्थानों पर इनकी पूजा होली के बाद पड़ने वाले पहले सोमवार अथवा गुरुवार के दिन ही की जाती है। शीतलाष्टमी के एक दिन पूर्व उन्हें भोग लगाने के लिए बासी खाने का भोग यानि बासौड़ा तैयार कर लिया जाता है। अष्टमी के दिन बासी पदार्थ ही देवी को भोग के रूप में समर्पित किया जाता है और भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। शीतला माता की पूजा के दिन घर में चूल्हा भी नहीं जलाया जाता है। आज भी लोग इस नियम का बड़ी कड़ाई एवं आस्था के साथ पालन करते हैं। आधुनिक युग में भी शीतला माता की उपासना स्वच्छता की प्रेरणा देने के कारण सर्वथा प्रासंगिक है। भगवती शीतला की उपासना से स्वच्छता और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की प्रेरणा एवं संदेश मिलता है।

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