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विश्व हाईपर टेंशन डे: गृहस्थी में व्यस्त बिहार की महिलाएं सेहतमंद, पुरुषों को टेंशन

सारस न्यूज टीम, बिहार।

बिहार की महिलाओं की सेहत पुरुषों के मुकाबले बेहतर है। घर-गृहस्थी में व्यस्त रहनेवाली महिलाएं सेहतमंद हैं जबकि पुरुष टेंशन झेल रहे हैं। इस महीने.

बिहार की महिलाओं की सेहत पुरुषों के मुकाबले बेहतर है। घर-गृहस्थी में व्यस्त रहनेवाली महिलाएं सेहतमंद हैं जबकि पुरुष टेंशन झेल रहे हैं। इस महीने नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की दूसरी रिपोर्ट जारी हुई है। इसके मुताबिक बिहार की 56 फीसदी महिलाओं का ब्लड प्रेशर सामान्य है जबकि 60 फीसदी पुरुष हाइपरटेंशन झेल रहे हैं। इनकी उम्र 15 वर्ष और इससे अधिक है। बिहार में सिर्फ 1.7 प्रतिशत महिलाएं बीपी की दवा खाती हैं।

वर्ष 2020 में जारी फैमिली हेल्थ सर्वे की पहली रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के शहरी क्षेत्र में रहने वाली 9 फीसदी महिलाओं का ब्लड प्रेशर 140 से 159 तक देखा गया। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली 8.6 फीसदी महिलाओं का भी ब्लड प्रेशर इसी रेंज में था। शहरी क्षेत्र की 3.2 फीसदी महिलाओं का बीपी 160 और इससे अधिक देखा गया। इसके उलट राज्य के शहरी क्षेत्र के 11.7 फीसदी पुरुषों का बीपी 140 से 159 के बीच था जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 11 फीसदी था। 160 से अधिक बीपी वाले पुरुषों की संख्या शहरी क्षेत्र में 4.2 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में 4.3 प्रतिशत थी।

कोरेाना का असर भी रहा बीपी बढ़ने में

एसकेएसमीएच के मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमित कुमार ने बताया कि कोरोना के कारण भी लोग हाइपरटेंशन के मरीज हो चुके हैं। कोरोना की दूसरी लहर में लोग काफी तनाव में थे। कोरोना के कारण भी कई लोग बीपी के मरीज बन गए। इस कारण भी बीपी के मरीजों की संख्या में इजाफा दिख रहा है। कोरोना के कारण लोग घरों में थे। मॉर्निंग वॉक बंद हो गया था। इसलिए भी लोगों का ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो गया और नये मरीज भी बढ़े हैं।

एनसीडी सेल में आ रहे हर माह सौ मरीज

जिला एनसीडी (नॉन कम्युनिकेबल डिजिज) सेल में हर महीने बीपी के 100 मरीज मिल रहे हैं। इनमें ज्यादातर पुरुष हैं और शहरी क्षेत्र के हैं। जिनलोगों में हाईपरटेंशन की शिकायत मिल रही है, उनमें 30 वर्ष से लेकर 50 वर्ष और इससे अधिक के लोग हैं। मुजफ्फरपुर के 16 प्रखंडों में 2699 पुरुषों और 1079 महिलाओं को बीपी की दवा चल रही है।

बच्चों को भी हो रही बीमारी

बड़ों के साथ बच्चों को भी यह बीमारी घेर रही है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. चिन्मयम शर्मा ने बताया कि बच्चों में भी हाइपरटेंशन देखा जा रहा है। जीवन शैली में बदलाव के कारण यह हुआ है। इसके साथ कोरोना में स्कूल बंद रहने और घर से बाहर नहीं निकलने से भी बच्चों में तनाव बढ़ा है। उन्होंने कहा कि बच्चों को हाइपरटेंशन से दूर रखने के लिए अभिभावकों को उनपर ज्यादा दबाव नहीं बनाना चाहिए।

कैसे बचें हाइपरटेंशन से

डायटीशियन और जिला पोषण समन्वयक सुषमा सुमन ने कहा कि हाइपरटेंशन से बचने के लिए रोज सुबह मॉर्निंग वॉक करना चाहिए। खान-पान में परहेज जरूरी है। हाइपरटेंशन के मरीज को खाने में नमक कम खाना चाहिए। टीवी पर हल्के-फुलके कार्यक्रम देखें। योग और प्राणायाम करें।

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