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देश में बढ़ रही है पत्नियों द्वारा प्रताड़ित पतियों की संख्या, पत्नियों द्वारा पतियों को खानी पड़ती है पिटाई

चंदन मंडल, सारस न्यूज़, दार्जिलिंग।

● खोरीबाड़ी व नक्सलबाड़ी में है ऐसे दर्जनों लोग

खोरीबाड़ी : देश की महिलाएं अब किसी भी मायने में पुरुषों से पीछे नहीं है। यह हर कोई जानता है। साथ ही दहेज उत्पीड़न, मारपीट या फिर अन्य कारणों से महिलाओं के साथ हत्या की खबरे अक्सर सुर्खियों में रहती है। लेकिन देश में पीड़ित पतियों की संख्या भी कम नही है। भारतीय समाज पुरुषों के साथ होने वाले जुल्मों को खास तरजीह नहीं देता। लेकिन एक सच यह भी है की दुनिया के साथ -साथ भारत में पति भी बड़ी संख्या में सताए जा रहे हैं। एक सर्वे के मुताबिक पत्नी की मार खाने में भारतीय पति तीसरे नंबर पर है। वही नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे की ताजा रिपोर्ट चौकाने वाली है।

दरअसल, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 2019-2021 की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे पति-पत्नी जो संयुक्त परिवार में नही रहकर अकेले रहते हुए उन परिवारों में सबसे ज्यादा महिलाएं अपने पति के साथ घरेलू हिंसा करती है यानी मारपीट करती है। रिपोर्ट के अनुसार न्यूक्लियर फैमिली में रहने वाली 3.9 फीसदी महिलाओं ने कभी न कभी अपने पति के साथ हिंसा की है। जबकि संयुक्त परिवार में 3.3 फीसदी महिलाओं ने अपने पति के साथ हिंसा की है।

रिपोर्ट के अनुसार पति के खिलाफ शारीरिक हिंसा या घरेलू हिंसा के मामले में शिक्षा के स्तर की भी अहम भूमिका रही है। मालूम हो कि ऐसे पति -पत्नी जिसमें पति ने ज्यादा पढ़ाई की है, उनके साथ हिंसा करने वाली पत्नियों की संख्या 3.1 फीसदी है। लेकिन जहां पर पति से ज्यादा महिलाएं पढ़ी हुई हैं, वहां हिंसा करने वाली पत्नियों की संख्या 3.7 फीसदी है। जबकि ऐसे मामले जिसमें पति और पत्नी दोनों नहीं पढ़े हुए हैं, वहां पर 5.6 फीसदी पत्नियां हैं, जिन्होंने अपनी पति के साथ हिंसा की है।

इसी तरह पत्नियों द्वारा पिटाई के मामलों में आर्थिक आधार की अहम भूमिका दिखती है। रिपोर्ट के अनुसार सबसे निचले आय वर्ग में 4.8 फीसदी, मध्यम वर्ग में 3.8 फीसदी और उच्च आयवर्ग में 2.1 फीसदी महिलाओं ने कभी न कभी अपने पति के साथ हिंसा की है। यही नहीं रिपोर्ट की माने तो हिंदू 3.6%, मुस्लिम 3.2%, क्रिस्चन 3.3%, सिख 2.2%, बौद्ध 5.5%, जैन 1.4% एवम अन्य 4.1% पुरुष पत्नी की प्रताड़ना या पिटाई के शिकार हुए हैं।

सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि 3 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने पिछले 12 महीने में अपने पति के साथ कभी न कभी हिंसा की है। सर्वे रिपोर्ट सामने आने के बाद भारत-नेपाल सीमांत खोरीबाड़ी व नक्सलबाड़ी में ऐसे दर्जनों लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पत्नी की प्रताड़ित का हमलोग शिकार हैं। लेकिन हमलोग शर्म के मारे न पुलिस के पास जा पाते हैं और न ही कोर्ट का दरवाजा खटखटा पाते हैं। हमलोग चुप मार करके घर में ही रहते हैं और पत्नी की प्रताड़ित होने पर विवश रहते हैं। लोगों ने कहा सरकार को कानून में संशोधन करना चाहिए और पुरुषों के सुरक्षा का भी ध्यान सरकार द्वारा दिया जाना चाहिए।

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