राजधानी पटना के स्कूली छात्रों के जीवन में नशा जहर घोल रहा है। प्रतिबंध के बावजूद स्कूलों के बाहर सिगरेट, तंबाकू की दुकानें चल रही हैं। आरोप है कि यहां सिगरेट, बीड़ी, खैनी के अलावा भांग, गांजा व स्मैक तक धड़ल्ले से बिकते हैं। ऐसे में छात्र भी बेधड़क इनका इस्तेमाल करने लगे हैं।
डीएवी बीएसईबी के बाहर कई दुकानें हैं। छुट्टी के बाद कई छात्र इन दुकानों पर सिगरेट का कश लगाते दिखते हैं। स्कूल प्रशासन ने इन्हें हटाने के लिए कई बार जिला प्रशासन से कहा लेकिन कोई ठोस कार्रवाई हुई। यह स्थिति कई स्कूलों की है। पिछले पांच वर्षों की बात करें तो पहले स्कूलों के बाहर एक-दो दुकानें हुआ करती थीं।लेकिन अब एक-एक स्कूल के बाहर 15 से 20 दुकानें खुल गयी हैं।
ये कहते हैं प्राचार्य
डीएवी बीएसईबी के पूर्व प्राचार्य वीएस ओझा ने बताया कि कई बार उन्होंने जिला प्रशासन और संबंधित थाने को दुकान हटाने के लिए पत्र लिखा, लेकिन कुछ नहीं हुआ। वहीं डान बास्को एकेडमी की प्राचार्य मेरी अल्फांसो ने बताया कि जिला प्रशासन जब तक स्कूल के बाहर से दुकानों को नहीं हटाएगा। तब तक यह रोका नहीं जा सकता है। बीडी पब्लिक स्कूल के निदेशक एसबी राय ने बताया कि बच्चों की काउंसिलिंग की जाती है। नशा करने से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाता है। इसके बावजूद कई बच्चे नशे के चंगुल में फंस रहे हैं। कई स्कूल प्रशासन और अभिभावकों का कहना है कि छात्र पकड़े जाने के डर से दूसरे स्कूल के पास की दुकानों में जाकर नशा करते हैं। शिक्षक संजय कुमार कहते हैं कि कई अभिभावकों ने बच्चों को बाइक दे दी है। ऐसे में बच्चों के लिए एक से दूसरी जगह जाना आसान है। नशे की लत का असर छात्र की पढ़ाई और रिजल्ट पर पड़ता है। स्कूलों की मानें तो आठवीं से 12वीं तक के आठ से नौ फीसदी बच्चों का रिजल्ट नशे की लत के कारण खराब होता है। आए दिन ये छात्र स्कूल से गायब भी रहते हैं।
दिल्ली एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के डॉक्टरों द्वारा 2020 में किए गए एक सर्वे के अनुसार देश में करीब हर दसवां स्कूली बच्चा नशे की लत का शिकार है। जानकारों के अनुसार यह सर्वे दो वर्ष पुराना है। लेकिन हालात बहुत नहीं बदले हैं। बच्चे परिवार के सदस्यों व दोस्तों को तंबाकू व नशीले पदार्थों का सेवन करते देख नशे के लिए प्रेरित होते हैं। दस शहरों के आठवीं से 12वीं कक्षा के छह हजार स्कूली बच्चों पर यह सर्वे हुआ था। सर्वे में 52 फीसद लड़के व 48 फीसद लड़कियों को शामिल किया गया था। बच्चों में यह लत लगातार जारी है। इससे उनका भविष्य खराब होता है।
स्कूलों के बाहर खोमचे में मिलता है नशे का सामान
नियमानुसार किसी स्कूल के बाहर सौ मीटर की दूरी तक कोई दुकान या खोमचा नहीं होना चाहिए। लेकिन राजधानी पटना में 90 फीसदी स्कूलों के बाहर दुकानें और खोमचा सजे रहते हैं। कई स्कूल के बाहर तो खोमचा वाले भी नशीला पदार्थ बेचते हैं। छात्राओं के एक नामी स्कूल के बाहर तो कई बार खोमचा वालों से नशीला पदार्थ खरीदते हुए छात्राओं को पकड़ा गया।
सारस न्यूज टीम, पटना।
राजधानी पटना के स्कूली छात्रों के जीवन में नशा जहर घोल रहा है। प्रतिबंध के बावजूद स्कूलों के बाहर सिगरेट, तंबाकू की दुकानें चल रही हैं। आरोप है कि यहां सिगरेट, बीड़ी, खैनी के अलावा भांग, गांजा व स्मैक तक धड़ल्ले से बिकते हैं। ऐसे में छात्र भी बेधड़क इनका इस्तेमाल करने लगे हैं।
डीएवी बीएसईबी के बाहर कई दुकानें हैं। छुट्टी के बाद कई छात्र इन दुकानों पर सिगरेट का कश लगाते दिखते हैं। स्कूल प्रशासन ने इन्हें हटाने के लिए कई बार जिला प्रशासन से कहा लेकिन कोई ठोस कार्रवाई हुई। यह स्थिति कई स्कूलों की है। पिछले पांच वर्षों की बात करें तो पहले स्कूलों के बाहर एक-दो दुकानें हुआ करती थीं।लेकिन अब एक-एक स्कूल के बाहर 15 से 20 दुकानें खुल गयी हैं।
ये कहते हैं प्राचार्य
डीएवी बीएसईबी के पूर्व प्राचार्य वीएस ओझा ने बताया कि कई बार उन्होंने जिला प्रशासन और संबंधित थाने को दुकान हटाने के लिए पत्र लिखा, लेकिन कुछ नहीं हुआ। वहीं डान बास्को एकेडमी की प्राचार्य मेरी अल्फांसो ने बताया कि जिला प्रशासन जब तक स्कूल के बाहर से दुकानों को नहीं हटाएगा। तब तक यह रोका नहीं जा सकता है। बीडी पब्लिक स्कूल के निदेशक एसबी राय ने बताया कि बच्चों की काउंसिलिंग की जाती है। नशा करने से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाता है। इसके बावजूद कई बच्चे नशे के चंगुल में फंस रहे हैं। कई स्कूल प्रशासन और अभिभावकों का कहना है कि छात्र पकड़े जाने के डर से दूसरे स्कूल के पास की दुकानों में जाकर नशा करते हैं। शिक्षक संजय कुमार कहते हैं कि कई अभिभावकों ने बच्चों को बाइक दे दी है। ऐसे में बच्चों के लिए एक से दूसरी जगह जाना आसान है। नशे की लत का असर छात्र की पढ़ाई और रिजल्ट पर पड़ता है। स्कूलों की मानें तो आठवीं से 12वीं तक के आठ से नौ फीसदी बच्चों का रिजल्ट नशे की लत के कारण खराब होता है। आए दिन ये छात्र स्कूल से गायब भी रहते हैं।
दिल्ली एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के डॉक्टरों द्वारा 2020 में किए गए एक सर्वे के अनुसार देश में करीब हर दसवां स्कूली बच्चा नशे की लत का शिकार है। जानकारों के अनुसार यह सर्वे दो वर्ष पुराना है। लेकिन हालात बहुत नहीं बदले हैं। बच्चे परिवार के सदस्यों व दोस्तों को तंबाकू व नशीले पदार्थों का सेवन करते देख नशे के लिए प्रेरित होते हैं। दस शहरों के आठवीं से 12वीं कक्षा के छह हजार स्कूली बच्चों पर यह सर्वे हुआ था। सर्वे में 52 फीसद लड़के व 48 फीसद लड़कियों को शामिल किया गया था। बच्चों में यह लत लगातार जारी है। इससे उनका भविष्य खराब होता है।
स्कूलों के बाहर खोमचे में मिलता है नशे का सामान
नियमानुसार किसी स्कूल के बाहर सौ मीटर की दूरी तक कोई दुकान या खोमचा नहीं होना चाहिए। लेकिन राजधानी पटना में 90 फीसदी स्कूलों के बाहर दुकानें और खोमचा सजे रहते हैं। कई स्कूल के बाहर तो खोमचा वाले भी नशीला पदार्थ बेचते हैं। छात्राओं के एक नामी स्कूल के बाहर तो कई बार खोमचा वालों से नशीला पदार्थ खरीदते हुए छात्राओं को पकड़ा गया।
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