राज्य सरकार ने 18 जून से जिलों में कैंप लगाकर शिक्षकों एवं विभागीय कर्मियों से जुड़े सभी तरह के वादों के निष्पादन का आदेश दिया है। विभागीय स्तर पर वेतन-पेंशन आदि के लंबित मामले और न्यायालयों में मुकदमों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर यह निर्देश दिया है।
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने रविवार को राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक की। सभी 38 जिलों में लंबित मामलों को 45 दिन में निष्पादन का अल्टीमेटम दिया। कहा कि कोताही होने पर कार्रवाई तय है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि जिलों में हर सप्ताह समीक्षा करें। इससे कोई मामला लंबित नहीं रह सकेगा। उन्होंने अफसरों को अपनी कार्य शैली में सुधार लाने और चाइल्ड फर्स्ट, टीचर फर्स्ट की नीति अपनाकर शिक्षा विभाग की छवि सुधारने की नसीहत भी दी। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बच्चों के लिए लागू सुविधाओं में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दास्त नहीं की जाएगी। शिक्षा मंत्री ने आगाह किया कि तय अवधि में शत-प्रतिशत मामले निष्पादित नहीं हुए तो विभाग जवाबदेही तय कर सख्त कार्रवाई करेगा।
उन्होंने सभी विद्यालयों में अफसरों द्वारा नियमित निरीक्षण पर जोर देते हुए कहा कि कक्षाओं में जाकर बैठें और शिक्षण कार्य का जायजा लें। शिक्षकों व बच्चों से संवाद करें, उनकी समस्याओं को जाने और समाधान करें। सरकार से काम के लिए वेतन लेते हैं तो ईमानदारी से काम करें, नहीं तो कड़ी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि 45 दिन के बाद वे स्वयं और मुख्यालय के सभी अफसर जिलों में जाएंगे और मामलों का अवलोकन करेंगे। शिक्षकों, बच्चों व अभिभावकों से मिलेंगे। फिर किसी पदाधिकारी या लिपिक के विरुद्ध शिकायत मिली तो खैर नहीं। उन्होंने कहा कि जो बच्चे कक्षाओं में लगातार अनुपस्थित हो रहे हैं, उनके अभिभावकों से संपर्क करें और बच्चों को कक्षाओं में आने हेतु प्रेरित करें।
सारस न्यूज टीम, पटना।
राज्य सरकार ने 18 जून से जिलों में कैंप लगाकर शिक्षकों एवं विभागीय कर्मियों से जुड़े सभी तरह के वादों के निष्पादन का आदेश दिया है। विभागीय स्तर पर वेतन-पेंशन आदि के लंबित मामले और न्यायालयों में मुकदमों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर यह निर्देश दिया है।
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने रविवार को राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक की। सभी 38 जिलों में लंबित मामलों को 45 दिन में निष्पादन का अल्टीमेटम दिया। कहा कि कोताही होने पर कार्रवाई तय है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि जिलों में हर सप्ताह समीक्षा करें। इससे कोई मामला लंबित नहीं रह सकेगा। उन्होंने अफसरों को अपनी कार्य शैली में सुधार लाने और चाइल्ड फर्स्ट, टीचर फर्स्ट की नीति अपनाकर शिक्षा विभाग की छवि सुधारने की नसीहत भी दी। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बच्चों के लिए लागू सुविधाओं में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दास्त नहीं की जाएगी। शिक्षा मंत्री ने आगाह किया कि तय अवधि में शत-प्रतिशत मामले निष्पादित नहीं हुए तो विभाग जवाबदेही तय कर सख्त कार्रवाई करेगा।
उन्होंने सभी विद्यालयों में अफसरों द्वारा नियमित निरीक्षण पर जोर देते हुए कहा कि कक्षाओं में जाकर बैठें और शिक्षण कार्य का जायजा लें। शिक्षकों व बच्चों से संवाद करें, उनकी समस्याओं को जाने और समाधान करें। सरकार से काम के लिए वेतन लेते हैं तो ईमानदारी से काम करें, नहीं तो कड़ी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि 45 दिन के बाद वे स्वयं और मुख्यालय के सभी अफसर जिलों में जाएंगे और मामलों का अवलोकन करेंगे। शिक्षकों, बच्चों व अभिभावकों से मिलेंगे। फिर किसी पदाधिकारी या लिपिक के विरुद्ध शिकायत मिली तो खैर नहीं। उन्होंने कहा कि जो बच्चे कक्षाओं में लगातार अनुपस्थित हो रहे हैं, उनके अभिभावकों से संपर्क करें और बच्चों को कक्षाओं में आने हेतु प्रेरित करें।
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