विजय गुप्ता, सारस न्यूज, किशनगंज।
पड़ोसी देश नेपाल ने विदेशी मुद्रा भंडारण कम होने से भारत के अलावा अन्य देशों से आयात होने वाले सामानों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसका असर सीमावर्ती क्षेत्रों में दिखने लगा है। नेपाल का ज्यादातर व्यापार भारत के बाजारों पर निर्भर है। इस प्रतिबंध को देखते हुए बिहार का सीमावर्ती जिला किशनगंज के गलगलिया, ठाकुरगंज एवं सटे बंगाल के पानीटंकी बाजारों में नेपाली ग्राहकों की भीड़ बढ़ गई है। लोग भारतीय बाजारों से खरीदारी कर रहे हैं। अनुमान है कि इन बाजारों के व्यवसाय में करीब 25 प्रतिशत का इजाफा हो गया है।
एमबीइसी बीच कई लोग इन सामानों की तस्करी में भी लग गए हैं। ये लोग सुरक्षा बलों की नजर बचाकर ग्रामीण इलाकों से होकर साइकिल पर रख कर सामान नेपाल ले जा रहे हैं। सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) को भी इस बात की भनक है, इसे लेकर गश्ती पर तैनात जवानों को भी अलर्ट किया गया है। गलगलिया बाजार के किराना व्यवसायी भोला घोष ने कहा कि भारतीय मुद्रा में चिप्स-कुरकुरे का छोटा पैक जो यहां पांच रुपये में मिलता है, उसे नेपाल के बाजार में दस रुपये में बेचा जा रहा है। इससे ही समझा जा सकता है कि नेपाल के लोग सीमा पार आकर क्यों खरीददारी कर रहे हैं।
वहां के बाजार में सरसों तेल, गरम मसाला, आलू, प्याज व काजू-किशमिश की कीमत दोगुनी हो गई है। इसलिए सीमावर्ती इलाके के बाजारों में प्रतिबंध के बाद नेपाल से आने वाले लोग भारत में सामान खरीद रहे हैं। जानकारी मिली कि नेपाल सरकार ने लग्जरी वाहन, इलेक्ट्रानिक सामान, तंबाकू इत्यादि पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस प्रतिबंध से भारतीय बाजार गुलजार हैं।
वहीं प्रतिबंध के बीच नेपाल ने अपने कल-कारखानों के लिए कच्चे पदार्थो के आयात पर छूट दिया है। प्रतिबंध के बाद नेपाल में भारतीय पान मसालों की मांग बढ़ी है। वहीं नेपाल झापा जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष यम बहादुर श्रेष्ठ ने बताया कि नेपाल में करीब 33 माह के लिए विदेशी मुद्रा भंडार है। देश को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए गांधी जी के विचारों को नेपाल ने अपनाया है। स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए करीब 300 सामानों पर नेपाल ने प्रतिबंध लगाया है। वहीं रोजमार्रा के सामानों पर कोई प्रतिबंध नहीं है। सीमा पार के भद्रपुर से गलगलिया बाजार आए मोहन कार्की कहते हैं कि नेपाल में आयात पर प्रतिबंध के कारण विलासिता के साथ-साथ दैनिक उपयोग के सामान भी महंगे हो गये हैं। दुकानदार मनमानी कीमत वसूल रहे हैं। इस पार गलगलिया आने में 50 से 100 रुपये खर्च होता है तो भी यहां खरीदारी काफी सस्ती पड़ती है। यहां तक कि साबुन-शैंपू व हरी सब्जियां भी महंगी हो गईं हैं। सामान खरीदने आए हरिओम थापा कहते हैं कि हमारे यहां महंगाई चरम पर है। पहले जिन वस्तुओं के लिए भारतीय हमारे यहां आते थे, अब वही खरीदने हम इस पार आ रहे हैं।