ईंट भट्ठों से निकलता जहरीला धुँआ आजकल प्रखंड क्षेत्र के पर्यावरण के लिए खतरा बनता जा रहा है। जिससे आमजीवन सहित पेड़ पौधे एवं पशुओं पर भी इसका सीधा असर देखा जा सकता है। किंतु सरकारी विभाग के अनेक नियमों का उल्लंघन करता ईंट भट्ठे के चिमनी का धुँआ आज भी आराम से धुँआ उगल रहा है।
बताया जाता है कि भट्ठों के चिमनियों से निकलते धुँआ जहाँ आमलोगों को सांसों की बीमारियां परोसने में सहायक सिद्ध हो रही है, वहीं इन धुँओं का प्रत्यक्ष असर यहाँ लगे पेड़-पौधों पर सहज ही देखा जा सकता है। सूत्र बतलाते हैं कि ईंट भट्ठों के संचालकों ने नियमतः इसके लिए सभी तरह की अनुमति ले रखे हैं। किंतु अगर इन स्वीकृतियों पर नजर डाली जाए तो ईंट भट्ठों का संचालन वर्णित नियमों के विरुद्ध ही पाया जा सकता है। एक तरफ ईंट के कथित व्यापारी ईंट बेचकर हो रहे हैं मालामाल तो बीमारियों का इलाज कराते स्थानीय लोग होते जा रहे हैं कंगाल। अतः ऐसी स्थिति में ईंट भट्ठों में नियम कानूनो को सख्ती से लागू करवाना जनहित में उचित लगता है। किंतु इस धंधे में शामिल रसूखदार ईंट भट्ठा मालिकों के सामने स्थानीय प्रशासन भी पंगु नजर आता है अगर जहरीले धुँओं पर रोक न लगाई गई तो आने वाले समय में स्थानीय लोगों का जनजीवन जहरीली धुँओं से प्रभावित होकर जहर का भंडार बन जायेगा।
देवाशीष चटर्जी, सारस न्यूज़, किशनगंज।
ईंट भट्ठों से निकलता जहरीला धुँआ आजकल प्रखंड क्षेत्र के पर्यावरण के लिए खतरा बनता जा रहा है। जिससे आमजीवन सहित पेड़ पौधे एवं पशुओं पर भी इसका सीधा असर देखा जा सकता है। किंतु सरकारी विभाग के अनेक नियमों का उल्लंघन करता ईंट भट्ठे के चिमनी का धुँआ आज भी आराम से धुँआ उगल रहा है।
बताया जाता है कि भट्ठों के चिमनियों से निकलते धुँआ जहाँ आमलोगों को सांसों की बीमारियां परोसने में सहायक सिद्ध हो रही है, वहीं इन धुँओं का प्रत्यक्ष असर यहाँ लगे पेड़-पौधों पर सहज ही देखा जा सकता है। सूत्र बतलाते हैं कि ईंट भट्ठों के संचालकों ने नियमतः इसके लिए सभी तरह की अनुमति ले रखे हैं। किंतु अगर इन स्वीकृतियों पर नजर डाली जाए तो ईंट भट्ठों का संचालन वर्णित नियमों के विरुद्ध ही पाया जा सकता है। एक तरफ ईंट के कथित व्यापारी ईंट बेचकर हो रहे हैं मालामाल तो बीमारियों का इलाज कराते स्थानीय लोग होते जा रहे हैं कंगाल। अतः ऐसी स्थिति में ईंट भट्ठों में नियम कानूनो को सख्ती से लागू करवाना जनहित में उचित लगता है। किंतु इस धंधे में शामिल रसूखदार ईंट भट्ठा मालिकों के सामने स्थानीय प्रशासन भी पंगु नजर आता है अगर जहरीले धुँओं पर रोक न लगाई गई तो आने वाले समय में स्थानीय लोगों का जनजीवन जहरीली धुँओं से प्रभावित होकर जहर का भंडार बन जायेगा।
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