सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग न करने के समर्थन हाई स्कूल गलगलिया में एक कार्यक्रम आयोजित कर शपथ लिया गया । इस दौरान विद्यालय के छात्र-छात्राओं व शिक्षकों ने शपथ लिया कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे । ज्ञात हो कि थर्मोकोल के पत्तल, कटोरी आदि की बिक्री, उत्पादन, परिवहन और उपयोग पर बिहार सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। प्रतिबंध के कारण शुक्रवार से राज्य में अब थर्मोकोल का कोई भी उत्पाद नहीं बिकेगा. थर्मोकोल उत्पादों पर यह प्रतिबंध 30 जून की मध्य रात्रि से लागू हो रहा है। यानी 1 जुलाई शुक्रवार से राज्य में थर्मोकोल से बने पत्तल, गिलास, कटोरी आदि की बिक्री और उपयोग की अनुमति नहीं होगी। अगर कोई दुकानदार या उपभोक्ता इसका उल्लंघन करते पकड़े जाते हैं। तो उनके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी। प्रतिबंध को लेकर दिशा निर्देश भी बिहार प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड की ओर से जारी किया जा चुका है।
पर्यावरण विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में इस बात की जानकारी दी गई है। कि अगर इन नियमों का कोई भी व्यक्ति उल्लंघन करते हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। इसके तहत 5 साल की जेल के साथ ही 1 लाख रुपये जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान लागू किया गया है।
विजय गुप्ता,सारस न्यूज, गलगलिया ।
सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग न करने के समर्थन हाई स्कूल गलगलिया में एक कार्यक्रम आयोजित कर शपथ लिया गया । इस दौरान विद्यालय के छात्र-छात्राओं व शिक्षकों ने शपथ लिया कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे । ज्ञात हो कि थर्मोकोल के पत्तल, कटोरी आदि की बिक्री, उत्पादन, परिवहन और उपयोग पर बिहार सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। प्रतिबंध के कारण शुक्रवार से राज्य में अब थर्मोकोल का कोई भी उत्पाद नहीं बिकेगा. थर्मोकोल उत्पादों पर यह प्रतिबंध 30 जून की मध्य रात्रि से लागू हो रहा है। यानी 1 जुलाई शुक्रवार से राज्य में थर्मोकोल से बने पत्तल, गिलास, कटोरी आदि की बिक्री और उपयोग की अनुमति नहीं होगी। अगर कोई दुकानदार या उपभोक्ता इसका उल्लंघन करते पकड़े जाते हैं। तो उनके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी। प्रतिबंध को लेकर दिशा निर्देश भी बिहार प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड की ओर से जारी किया जा चुका है।
पर्यावरण विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में इस बात की जानकारी दी गई है। कि अगर इन नियमों का कोई भी व्यक्ति उल्लंघन करते हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। इसके तहत 5 साल की जेल के साथ ही 1 लाख रुपये जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान लागू किया गया है।
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