आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से विप्लवी विवाह का कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस वैवाहिक कार्यक्रम को वर पक्ष से पौरोहित्य का काम आचार्य रघुरामानंद अवधूत एवं वधू पक्ष से महिला पौरोहित्य अवधूतिका आनंद चत्रि प्रभा आचार्या ने किया है। जलालगढ़ पूर्णिया के दिनेश कुमार दिनकर की सुपुत्री चेतना कुमारी के साथ समस्तीपुर योगीराज के सुपुत्र जय राज के साथ वैदिक मंत्र उच्चारण से विवाह संपन्न हुआ। इस विवाह की विशेषता यह थी कि महिला पौरोहित्य के द्वारा इस वैवाहिक कार्यक्रम को संपन्न कराया गया।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए महिला पौरोहत्यि ने कहा कि जाति-पाति, रंगभेद, नस्लवाद, और दहेज प्रथा को दूर करने के लिए इस जोड़ी का अंतरजातीय विवाह क्रांतिकारी विवाह संपन्न हुआ। आनंद मार्ग पद्धति से विवाह होता है वह क्रांतिकारी (बिना तिलक दहेज का एवं जातिविहीन संप्रदाय विहीन विवाह) को आनंद मार्ग में प्राथमिकता दी जाती है। इस विवाह में वर एवं वधु दोनों के परिवार की सहमति अति आवश्यक है। दोनों परिवार वर वधु समान विचारधारा के हो तभी विवाह को सफल बनाया जाता है। आनंद मार्ग प्रचारक संघ की अवधूतिका आनंद चित्रप्रभा आचार्या का कहना है कि महिला तो भौतिक स्तर पर स्वालंबी हो रही है परंतु उन्हें मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर भी विकसित होने का अवसर प्रदान करना होगा। महिलाओं को केवल पौरोहित्य गिरी का अधिकार ही नहीं बल्कि महिलाओं द्वारा वैवाहिक कार्यक्रम दाह संस्कार कर्म श्राद्ध कर्म करने का भी अधिकार समाज को देना होगा। आनंद मार्ग के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने महिलाओं को पौरोहित्य गिरी का अधिकार देकर महिला सशक्तिकरण को मजबूत किया।
सारस न्यूज टीम, पूर्णिया।
आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से विप्लवी विवाह का कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस वैवाहिक कार्यक्रम को वर पक्ष से पौरोहित्य का काम आचार्य रघुरामानंद अवधूत एवं वधू पक्ष से महिला पौरोहित्य अवधूतिका आनंद चत्रि प्रभा आचार्या ने किया है। जलालगढ़ पूर्णिया के दिनेश कुमार दिनकर की सुपुत्री चेतना कुमारी के साथ समस्तीपुर योगीराज के सुपुत्र जय राज के साथ वैदिक मंत्र उच्चारण से विवाह संपन्न हुआ। इस विवाह की विशेषता यह थी कि महिला पौरोहित्य के द्वारा इस वैवाहिक कार्यक्रम को संपन्न कराया गया।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए महिला पौरोहत्यि ने कहा कि जाति-पाति, रंगभेद, नस्लवाद, और दहेज प्रथा को दूर करने के लिए इस जोड़ी का अंतरजातीय विवाह क्रांतिकारी विवाह संपन्न हुआ। आनंद मार्ग पद्धति से विवाह होता है वह क्रांतिकारी (बिना तिलक दहेज का एवं जातिविहीन संप्रदाय विहीन विवाह) को आनंद मार्ग में प्राथमिकता दी जाती है। इस विवाह में वर एवं वधु दोनों के परिवार की सहमति अति आवश्यक है। दोनों परिवार वर वधु समान विचारधारा के हो तभी विवाह को सफल बनाया जाता है। आनंद मार्ग प्रचारक संघ की अवधूतिका आनंद चित्रप्रभा आचार्या का कहना है कि महिला तो भौतिक स्तर पर स्वालंबी हो रही है परंतु उन्हें मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर भी विकसित होने का अवसर प्रदान करना होगा। महिलाओं को केवल पौरोहित्य गिरी का अधिकार ही नहीं बल्कि महिलाओं द्वारा वैवाहिक कार्यक्रम दाह संस्कार कर्म श्राद्ध कर्म करने का भी अधिकार समाज को देना होगा। आनंद मार्ग के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने महिलाओं को पौरोहित्य गिरी का अधिकार देकर महिला सशक्तिकरण को मजबूत किया।
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