देवाशीष चटर्जी, सारस न्यूज़, किशनगंज।
- सास बहू बेटी सम्मेलन में शामिल लाभार्थियों को किया गया सम्मानित।
- जिले के सभी स्वास्थ्य उपकेंद्रों में आशा कार्यकर्ताओं के कार्यों की हुई समीक्षा।
जिले में जनसंख्या स्थिरीकरण अभियान को बढ़ावा देने और लोगों परिवार नियोजन के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य सभी प्रखंडों में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। इस पूरे अभियान को सफल बनाने की जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी सेविकाओं को दी गई है। जो ग्रामीण इलाकों में पुरुष और महिलाओं को परिवार नियोजन के साधनों के लिए प्रेरित कर रही हैं। इसी क्रम में जिले के सभी प्रखंडो के साथ ठाकुरगंज प्रखंड के ग्राम पंचायत बेसरबाटी, कनकपुर, भात गाँव, चुरली में भी ग्राम पंचायत मुखिया के अध्यक्षता में सास बहू बेटी सम्मलेन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सम्मेलन में शामिल महिलाओं को सम्मानित भी किया गया। बेसरबाटी पंचायत में सास बहु सम्मलेन कार्यक्रम में ठाकुरगंज प्रखंड के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक बसंत कुमार एवं यूनिसेफ के बीसीएम एजाज अंसारी, एएनएम मीरा कुमारी तथा स्थानीय आशा कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।
परिवार नियोजन के लिए सास-बहू का आपसी सामंजस्य महत्वपूर्ण:-
प्रभारी चिकित्षा पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार ने बताया की सामाजिक व्यवस्थाओं में परिवार का बड़ा महत्व है। खासकर घर की सबसे बड़ी व बुजुर्ग महिला की। शायद, यही वजह होगा कि बहू का निर्णय कहीं ना कहीं सास के विचार धाराओं से प्रभावित रहता है। इसलिए, सास और बहू के आपसी सामंजस्य से परिवार नियोजन कार्यक्रम सफल होगा और जनसंख्या स्थिरीकरण को बल मिलेगा। यही कारण है कि सरकार द्वारा सास-बहू सम्मेलन कार्यक्रम का आयोजन कराया जा रहें हैं। क्योंकि, इसके लिए दोनों (सास-बहू) का सामंजस्य महत्वपूर्ण है। जिसके कारण एक मंच पर दोनों को एक साथ लाकर जागरूक किया जा रहा है। साथ ही बेहतर सामंजस्य वाले सास-बहू को प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कृत भी किया जाता है। सास-बहू सम्मेलन कार्यक्रम के माध्यम से खासकर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को छोटा परिवार, खुशहाल परिवार का संदेश दिया जायेगा। प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक बसंत कुमार ने बताया की दरअसल, आज भी देखा जा रहा है कि लोग परिवार नियोजन को उचित नहीं मानते हैं। खासकर पुराने ख्यालात के लोग तो इसे किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं मानते हैं। जो कि महज एक अवधारणा है और यह अवधारणा वर्षों से चली आ रही है। उक्त कार्यक्रम से ना सिर्फ लोग परिवार नियोजन के लिए जागरूक होंगे, बल्कि वर्षों से चली आ रही है बेटे-बेटियों में फर्क का अवधारणा भी दूर होगा। इसके लिए बच्चे दो ही अच्छे स्लोगन के माध्यम से सास-बहू को जागरूक किया गया और छोटे परिवार के महत्व की जानकारी दी जाएगी।
परिवार के दोनों सदस्यों को जागरूक करना जरूरी:-
कार्यक्रम के बारे में बताते हुए सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने कहा की आंगनबाड़ी केंद्र में आयोजित सास बहू बेटी सम्मनेलन में जनसंख्या स्थिरीकरण को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से सरकार ने सास-बहू बेटी सम्मेलन कराने का निर्णय लिया है। सास-बहू में सामंजस्य स्थापित करते हुए परिवार नियोजन अभियान को बल दिया जा सके। इसके लिए एक साथ परिवार के दोनों सदस्यों को जागरूक करना जरूरी है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि मध्यम परिवारों में विशेषकर ग्रामीण इलाकों में सास और बहू के विचारों में मतभेद होता है। इसलिए एक मंच पर दोनो को लेकर परिवार नियोजन के फायदों को समझाने से दोनों में इस पर सहमति बन सकती है। वहीं, जिन सास बहुओं में आपसी समझ और परस्पर सामंजस्य है, उनको पुरस्कृत करके लोगों को संदेश भी दिया जा रहा है। उन्होंने बताया, पहले लोग परिवार नियोजन के प्रति जागरूक नहीं थे, वे इसे गलत मानते थे। इस कार्यक्रम से न सिर्फ लोग परिवार नियोजन के लिए जागरूक होंगे, बल्कि समाज में व्याप्त बहु और बेटियों के बीच फर्क है उसे भी दूर किया जा सकेगा। सम्मेलन में बच्चे दो ही अच्छे स्लोगन के माध्यम से सास-बहू को जागरूक किया जा रहा है और छोटे परिवार के महत्व की जानकारी दी जा रही है।
सास-बहू सम्मेलन का भी आयोजन कर किया गया जागरूक:-
जिला योजना समन्वयक विस्वजित कुमार ने बताया की आगामी दिनों में परिवार नियोजन के सफलता के लिए प्रखंड के विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों पर सास-बहू सम्मेलन का भी आयोजन किया जायेगा। जिसमें सास-बहू को एकसाथ परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए जागरूक किया जायेगा। जिसके दौरान बच्चे की शादी सही उम्र पर एवं शादी के कम से कम दो साल बाद ही पहला बच्चा हो और दूसरे बच्चे में कम से कम तीन साल का अंतर हो। इससे ना सिर्फ जनसंख्या स्थिरीकरण सफल होगा, बल्कि माँ और बच्चे दोनों स्वस्थ भी रहेंगे। स्वस्थ माँ से ही मजबूत बच्चा संभव है और तभी हम स्वस्थ और गुणवत्तापूर्ण जिंदगी जी सकते हैं।