बीपीएससी 66वीं में रैंक वन लाकर टापर बने वैशाली जिले के महुआ निवासी सुधीर कुमार ने कहा है कि शार्टकट से सफलता नहीं मिलती। केवल सामान्य ज्ञान वाले किताबों के भरोसे नहीं रहना चाहिए, क्योंकि लिखित परीक्षा के लिए उतनी ही जानकारी काफी नहीं होती है। सुधीर ने महुआ के एक निजी स्कूल से दसवीं की पढ़ाई की। इसके बाद बिहार बोर्ड से प्लस टू करने के साथ उन्होंने जेईई क्वालीफाई कर लिया। सिविल में उन्होंने प्रतिष्ठित आइआइटी कानपुर से स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली चले गए। उन्होंने यूपीएससी प्री भी पास कर लिया है।
सुधीर के पिता वीरेंद्र कुमार महुआ पोस्टआफिस में कार्यरत हैं, जबकि मां प्रमिला कुमारी राजापकड़ में एएनएम हैं। उनसे बड़ी दो बहनें हैं। सुधीर ने कहा कि यूपीएससी हो या बीपीएससी, वे बिहार में ही सेवा देना चाहते हैं।
सारस न्यूज़ टीम, वेब डेस्क, सारस न्यूज़।
बीपीएससी 66वीं में रैंक वन लाकर टापर बने वैशाली जिले के महुआ निवासी सुधीर कुमार ने कहा है कि शार्टकट से सफलता नहीं मिलती। केवल सामान्य ज्ञान वाले किताबों के भरोसे नहीं रहना चाहिए, क्योंकि लिखित परीक्षा के लिए उतनी ही जानकारी काफी नहीं होती है। सुधीर ने महुआ के एक निजी स्कूल से दसवीं की पढ़ाई की। इसके बाद बिहार बोर्ड से प्लस टू करने के साथ उन्होंने जेईई क्वालीफाई कर लिया। सिविल में उन्होंने प्रतिष्ठित आइआइटी कानपुर से स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली चले गए। उन्होंने यूपीएससी प्री भी पास कर लिया है।
सुधीर के पिता वीरेंद्र कुमार महुआ पोस्टआफिस में कार्यरत हैं, जबकि मां प्रमिला कुमारी राजापकड़ में एएनएम हैं। उनसे बड़ी दो बहनें हैं। सुधीर ने कहा कि यूपीएससी हो या बीपीएससी, वे बिहार में ही सेवा देना चाहते हैं।
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